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This Article is From Feb 21, 2011

हाईकोर्ट ने कसाब की फांसी की सजा बरकरार रखी

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई हमलों के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब को निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा बरकरार रखी है। कसाब को नौ महीने पहले मुंबई हमलों को लेकर सुनवाई करते हुए विशेष अदालत ने दोषी करार दिया था। हाईकोर्ट ने इस हमले के दो भारतीय आरोपियों सबाउद्दीन और फहीम अंसारी को बरी कर दिया है। निचली अदालत ने भी इन दोनों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। मुंबई पर आतंकी हमले को अंजाम देने के आरोप में नौ महीने पहले निचली अदालत ने कसाब को मौत की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फरीदकोट जिले का रहने वाला 24 वर्षीय कसाब वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत के समक्ष पेश हुआ। न्यायमूर्ति रंजना देसाई और न्यायमूर्ति आरवी मोरे की खंडपीठ ने हमलों के मामले में आरोपी दो भारतीयों- फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर महाराष्ट्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। इन दोनों पर हमलों को अंजाम देने में मदद करने का आरोप था। कसाब मुंबई हमलों के मामले में जीवित पकड़ा गया एकमात्र आतंकवादी है। सुनवाई के दौरान सोमवार को कसाब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश हुआ। सफेद रंग का कुर्ता पहने हुए कसाब ने अपना सिर नीचे झुकाया हुआ था। अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कसाब को दी गई मौत की सजा को न्यायसंगत ठहराते हुए कहा था कि ये हमले लश्कर की साजिश का परिणाम हैं। अपनी अपील में कसाब ने तर्क दिया कि पुलिस ने उसे इस अपराध की साजिश में फंसाने के लिए गिरगांव चौपाटी पर फर्जी मुठभेड़ की। उसने हमलों के दौरान महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, पुलिस अधिकारी अशोक काम्टे और मुठभेड़ विशेषज्ञ विजय सालस्कर की हत्या के आरोपों को भी नकार दिया। कसाब कुछ मौकों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उच्च न्यायालय में पेश हुआ। एक बार उसने कैमरे पर थूक भी दिया और न्यायाधीशों से कहा कि वह अपना मुकदमा अमेरिका की अदालत में चलवाना चाहता है। अदालत ने कसाब और उसके साथियों के आतंकवादी हमलों में शामिल होने से संबंधित प्रदर्शित करने वाले सीसीटीवी फुटेज दो बार देखे। कसाब के वकील अमीन सोलकर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने कसाब को फंसाने के लिए सीसीटीवी के कुछ फुटेज दबा लिए।(इनपुट एजेंसी से भी)

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