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This Article is From Feb 08, 2013

विरोध प्रदर्शनों के बीच श्रीलंकाई राष्ट्रपति राजपक्षे का भारत दौरा शुरू

विरोध प्रदर्शनों के बीच श्रीलंकाई राष्ट्रपति राजपक्षे का भारत दौरा शुरू
चेन्नई: श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे दो दिवसीय भारत यात्रा पर शुक्रवार को बिहार के बोधगया पहुंचे, जहां वह महाबोधि मंदिर में प्रार्थना के लिए गए। उनकी इस यात्रा के विरोध में देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन शुरू हो गया है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर राजपक्षे की अगवानी की। उनके साथ श्रीलंका के वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया हुआ है।

राजपक्षे की यात्रा के विरोध में प्रदर्शन करने की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्‍सवादी लेनिनवादी (भाकपा-माले) की चेतावनी को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

राजपक्षे की यात्रा के विरोध में देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन का दौर जारी है। मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) ने पार्टी महासचिव वाइको के नेतृत्व में राष्ट्रीय राजधानी में संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर राजपक्षे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने सम्बंधी मांग लिखी हुई थी। वे राजपक्षे के खिलाफ नारे लगा रहे थे।

राजपक्षे ने हालांकि अपनी यात्रा को 'निजी' बताया है, जो बोधगया के महाबोधि मंदिर में प्रार्थना के बाद आंध्र प्रदेश के तिरुपति जाएंगे। वहां वह शनिवार तड़के तीन बजे 'सुप्रभातम सेवा' में हिस्सा लेंगे। छह घंटे बाद वह कोलंबो लौट जाएंगे।

उधर, आंध्र प्रदेश के तिरुपति में तमिलनाडु से आए सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उनकी यात्रा के विरोध में प्रदर्शन किया। पुलिस ने सौ से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। साथ ही शहर में किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और तिरुमाला की ओर जाने वाले मार्गों पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।

प्रदर्शनकारी श्रीलंका में तमिल बहुल क्षेत्रों को स्वायत्तता न देने के राजपक्षे के बयान से नाराज हैं। उनका आरोप है कि श्रीलंका की सरकार पूर्व में किए गए अपने वादे से पलट गई है।

तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष एम. करुणानिधि के नेतृत्व में राज्य के कई संगठनों ने प्रदर्शन किया। करुणानिधि ने आरोप लगाया कि श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे अपने देश से तमिलों, उनकी संस्कृति, परम्परा को तथा तमिल भाषा को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।

करुणानिधि ने कहा कि श्रीलंका की सरकार तमिल नाम वाले गांवों को सिंघली नाम दे रही है। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन राजपक्षे को सबक सिखाने के लिए किया जा रहा है।

रैली में डीएमके सहित अन्य तमिल संगठनों के सदस्यों व नेताओं ने काले कपड़े पहनकर शिरकत की और अपना विरोध जताया।

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