सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आधार की अनिवार्यता का मामला में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने पश्चिम बंगाल के लिए बहस करते हुए पांच जजों के संविधान पीठ से कहा कि आधार का कोई भी फैसला इस देश के भविष्य को प्रभावित करेगा. यह मामला स्वतंत्रता के बाद सबसे महत्वपूर्ण मामला है और एडीएम जबलपुर मामले से अधिक महत्वपूर्ण है, जिसमें शीर्ष अदालत ने तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों को निलंबित करने के फैसले को बरकरार रखा था.
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कपिल सिब्बल ने कहा कि कि एडीएम जबलपुर मामला एक सीमित वक्त के लिए आदेश था, जबकि आधार हमेशा के लिए है. उन्होंने कहा कि यह फैसला देश के भविष्य को तय करेगा. क्या हम उस देश में रहते हैं जहां चुनने की आजादी है, क्या हम किसी ऐसे देश में रहते हैं जहां राज्य किसी की इच्छा को तय करता है, बेंच को इस मामले की गंभीरता पर विचार करना चाहिए.
नागरिकता पर संविधान के अनुच्छेद 5 का जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा कि अगर नागरिक के पास आधार नहीं है तो क्या नागरिक के रूप में उनके अधिकारों को रद्द कर दिया जाएगा? जब आप एक शर्त लगा देते हैं तो आप नागरिक को उनके अधिकारों से इनकार कर रहे हैं. इस तरह राज्य के बुनियादी ढांचे की रक्षा नहीं की जा सकती.
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जब डीवाई चंद्रचूड ने सिब्बल से पूछा कि क्या सरकार ने उचित परिस्थितियों में पहचान का प्रमाण लगाया है, तो सिब्बल ने जवाब दिया कि उनकी स्थिति उनके अधिकार से संबंधित है. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि उस स्थिति का कुछ प्रमाण होना चाहिए, सिब्बल ने कहा कि आधार स्थिति स्थापित नहीं करता. उन्होंने उल्लेख किया कि जब कोई किसी भी अन्य तरीके से अपनी पहचान साबित कर सकता है वो लाभ का हकदार है. बता दें कि गुरुवार को सुनवाई जारी रहेगी.
VIDEO: आधार की गोपनियता पर उठे सवाल, एक आधार से 9 फोन नंबर लिंक
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कपिल सिब्बल ने कहा कि कि एडीएम जबलपुर मामला एक सीमित वक्त के लिए आदेश था, जबकि आधार हमेशा के लिए है. उन्होंने कहा कि यह फैसला देश के भविष्य को तय करेगा. क्या हम उस देश में रहते हैं जहां चुनने की आजादी है, क्या हम किसी ऐसे देश में रहते हैं जहां राज्य किसी की इच्छा को तय करता है, बेंच को इस मामले की गंभीरता पर विचार करना चाहिए.
नागरिकता पर संविधान के अनुच्छेद 5 का जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा कि अगर नागरिक के पास आधार नहीं है तो क्या नागरिक के रूप में उनके अधिकारों को रद्द कर दिया जाएगा? जब आप एक शर्त लगा देते हैं तो आप नागरिक को उनके अधिकारों से इनकार कर रहे हैं. इस तरह राज्य के बुनियादी ढांचे की रक्षा नहीं की जा सकती.
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जब डीवाई चंद्रचूड ने सिब्बल से पूछा कि क्या सरकार ने उचित परिस्थितियों में पहचान का प्रमाण लगाया है, तो सिब्बल ने जवाब दिया कि उनकी स्थिति उनके अधिकार से संबंधित है. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि उस स्थिति का कुछ प्रमाण होना चाहिए, सिब्बल ने कहा कि आधार स्थिति स्थापित नहीं करता. उन्होंने उल्लेख किया कि जब कोई किसी भी अन्य तरीके से अपनी पहचान साबित कर सकता है वो लाभ का हकदार है. बता दें कि गुरुवार को सुनवाई जारी रहेगी.
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