भारत के प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने जोर देकर कहा है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं हो सकता है और उसके पास किसी भी तरह के हस्तक्षेप को विफल करने की क्षमता निहित है।
उच्च न्यायिक नियुक्तियों के लिए न्यायाधीशों के निर्णायक मंडल की प्रणाली समाप्त करने की दिशा में उठाए गए कदमों की पृष्ठभूमि में न्यायमूर्ति लोढ़ा ने हालांकि संसद की ओर से पारित कानून का प्रत्यक्ष जिक्र नहीं किया, लेकिन यह जरूर कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को छीनने का कोई प्रयास सफल नहीं होगा।
'रूल ऑफ लॉ कनवेंशन 2014' विषयक सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए न्यायिक स्वतंत्रता जरूरी है और यह एक संस्था है, जो कार्यपालिका या किसी और की ओर से किए गए गलत कार्यो के मामले में उनकी मदद करती है।
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