यह ख़बर 25 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

न्यायिक जवाबदेही विधेयक को अंतिम रूप दिया गया

खास बातें

  • न्यायपालिका को भी लोकपाल के दायरे में लाए जाने की मांगों के बीच एक संसदीय समिति ने न्यायिक मानदंड एवं जवाबदेही विधेयक को अंतिम रूप दे दिया है।
नई दिल्ली:

अन्ना हजारे पक्ष की तरफ से न्यायपालिका को भी लोकपाल के दायरे में लाए जाने की मांगों के बीच एक संसदीय समिति ने न्यायिक मानदंड एवं जवाबदेही विधेयक को अंतिम रूप दे दिया है जिसमें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने वाले वरिष्ठ न्यायाधीशों के खिलाफ जांच करने वाली समिति में दो जन प्रतिनिधियों को शामिल करने की अनुशंसा की गई है। विधि एवं न्याय तथा कार्मिक मामलों की संसद की स्थायी समिति ने प्रस्तावित राष्ट्रीय न्यायिक पर्यवेक्षण समिति में दो गैर न्यायिक सदस्यों को शामिल करने की अनुशंसा की है। यह समिति भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने वाले वरिष्ठ न्यायाधीशों के खिलाफ जांच करने के लिए अधिकृत होगी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में ऐसा समझा जाता है कि राष्ट्रीय न्यायिक पर्यवेक्षण समिति में लोकसभा और राज्यसभा से एक-एक सांसदों को शामिल करने की अनुशंसा की है। समिति ने न्यायिक मानदंड एवं जवाबदेही विधेयक, 2010 का परीक्षण किया है और आज अपनी रिपोर्ट दी। विधेयक के तहत पांच सदस्यीय पर्यवेक्षण समिति की अध्यक्षता भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश करेंगे। इसमें उच्चतम न्यायालय का एक न्यायाधीश, उच्च न्यायालय का एक मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत एक जानी-मानी हस्ती और अटॉर्नी जनरल शामिल होंगे। अटार्नी जनरल पदेन सदस्य होंगे। हजारे पक्ष ने अब तक इस विधेयक का यह कहते हुए विरोध किया है कि इसमें न्यायाधीशों के खिलाफ उनके भाइयों द्वारा जांच का प्रावधान है।


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