जज लोया की मौत के मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा
नई दिल्ली:
जज लोया की मौत के मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. नियमों के मुताबिक, ये सुनवाई खुली अदालत में नहीं होगी बल्कि जज चेंबर में फ़ैसला करेंगे. दरअसल बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दाखिल की है. याचिका में मांग की गई है कि अदालत अप्रैल में दिए उस फ़ैसले पर फिर से विचार करे जिसमें कहा गया था कि जज लोया की मौत प्राकृतिक थी और SIT जांच की ज़रूरत नहीं है. कोर्ट अपने आदेश के निष्कर्षों को हटाए, जिसमें कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि न्यायपालिका की आज़ादी परहमला और न्यायिक संस्थानों की विश्वसनीयता को कम करने का प्रयास किया जा रहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया केस की SIT से जांच कराने की मांग ठुकरा दी थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि अब जस्टिस लोया केस में कुछ नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि केस को देख रहे जजों पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है और याचिकाकर्ताओं की मंशा न्यायपालिका को खराब करना है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि जज लोया के मामले में जांच के लिए दी गई अर्जी में कोई दम नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है. उनके बयान पर संदेह करना संस्थान पर संदेह करना जैसा होगा. याचिका में जस्टिस लोया के मौत की जांच SIT से कराने की मांग की गई थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि अब जस्टिस लोया केस में कुछ नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि केस को देख रहे जजों पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है और याचिकाकर्ताओं की मंशा न्यायपालिका को खराब करना है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि जज लोया के मामले में जांच के लिए दी गई अर्जी में कोई दम नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है. उनके बयान पर संदेह करना संस्थान पर संदेह करना जैसा होगा. याचिका में जस्टिस लोया के मौत की जांच SIT से कराने की मांग की गई थी.
महाभियोग पर रवीश कुमार की त्वरित टिप्पणी...
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं थी ये बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस याचिका में न तो तर्क है और न ही कोई दम.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जस्टिस लोया की मौत प्राकृतिक थी और यह ये याचिका आपराधिक अवमानना के समान है, मगर हम कोई कार्रवाई नहीं कर रहे.
- सुप्रीम कोर्ट ने PIL के दुरुपयोग की आलोचना की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, PIL का दुरुपयोग चिंता का विषय.
- याचिकाकर्ता का उद्देश्य जजों को बदनाम करना है. PIL शरारतपूर्ण उद्देश्य से दाखिल की गई, यह आपराधिक अवमानना है. यह न्यायपालिका पर सीधा हमला है.
- कोर्ट ने कहा कि राजनैतिक प्रतिद्वंद्विताओं को लोकतंत्र के सदन में ही सुलझाना होगा, कोर्ट में नहीं.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम उन न्यायिक अधिकारियों के बयानों पर संदेह नहीं कर सकते, जो जज लोया के साथ थे.
- याचिकाकर्ताओं ने याचिका के जरिए जजों की छवि खराब करने का प्रयास किया. कोर्ट कानून के शासन के सरंक्षण के लिए है.
- जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल एजेंडा वाले लोग कर रहे हैं. याचिका के पीछे असली चेहरा कौन है पता नहीं चलता.
- तुच्छ और मोटिवेटिड जनहित याचिकाओं से कोर्ट का वक्त खराब होता है. हमारे पास लोगों की निजी स्वतंत्रता से जुड़े बहुत केस लंबित हैं.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज लोया की मौत प्राकृतिक थी और इस पर कोर्ट को संदेह नहीं है.
VIDEO: जज लोया के बेटे अनुज ने कहा था, पिता की मौत पर शक नहीं
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