नई दिल्ली: दिल्ली के एंटी करप्शन ब्रांच को लेकर एक बार फिर केंद्र और दिल्ली सरकार में ठन गई है। नई दिल्ली में ज्वाइंट सीपी पद पर तैनात मुकेश कुमार मीणा को एसीबी का प्रमुख बना दिया गया है।
इससे पहले एडिशनल सीपी एसएस यादव एसीबी के प्रमुख थे, लेकिन ज्वाइंट सीपी का पद उससे बड़ा होता है इसलिए अब मीणा, यादव के ऊपर आ गए हैं। उप राज्यपाल नजीब जंग ने इसके साथ ही दिल्ली पुलिस के आठ पुलिसकर्मियों को भी एसीबी में नियुक्त किया है।
एसीबी में नहीं है ज्वाइंट सीपी पद : दिल्ली सरकार
वहीं, दिल्ली सरकार के मुताबिक़ एंटी करप्शन ब्रांच में ज्वाइंट सीपी पद है ही नहीं, जिस पर मुकेश मीणा नियुक्त हुए हैं। दिल्ली सरकार मानती है कि ये एंटी करप्शन ब्रांच के काम में एलजी का सीधा दखल है। खासतौर से तब जब उनका नाम सीएनजी फिटनेस घोटाले में सवालों में हैं और दिल्ली सरकार उन पर कार्रवाई पर विचार कर रही है। इस बारे में एनडीटीवी आपको पहले ही बता चुका है। (सीएनजी घोटाला मामले में एलजी को घेरने की कोशिश में केजरीवाल)
इस मुद्दे पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किए हैं... सिसोदिया ने लिखा है कि...
ACB में अचानक ज्वाइंट कमिश्नर का पद नया पद बनाकर आनन-फानन में अपने चहेते अफ़सर की नियुक्ति और रात में ही पद संभालने के आदेश के पीछे साज़िश क्या है?
क्या CNG घोटाले की फाइल खुलने के डर से घबराकर की जा रही है ACB में नए चीफ़ की नियुक्ति?
सनद रहे कि ये वही अफसर हैं जिन्होंने जंतर-मंतर पर किसान गजेंद्र की आत्महत्या को हत्या बनाकर मुझे फंसाने की फर्जी स्क्रिप्ट लिखी थी।
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क्यों दिल्ली सरकार उठा रही है मीणा पर उंगलियां
आपको बता दें कि जंतर मंतर पर किसान गजेंद्र की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी के नेताओं पर एफआईआर दर्ज की थी। उस समय इस मामले के प्रमुख ज्वाइंट सीपी मुकेश मीणा ही थे और जंतर-मंतर पर धरने के चलते या 144 का उल्लंघन करने पर जो भी मामले आप पर दर्ज हुए डिस्ट्रिक्ट के हैड होने के चलते सभी मामले बिना मुकेश मीणा की इजाजत के नहीं हो सकते थे।