
जीतनराम मांझी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ पहले बीजेपी को गुरुवार को बड़ी कामयाबी मिली जब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और महादलित नेता जीतन राम मांझी ने घोषणा की कि नीतीश-लालू के ‘अपवित्र गठबंधन’ को शिकस्त देने के लिए वह बीजेपी से मिल कर चुनाव लड़ेंगे।
बीजेपी नेता अमित शाह से मिलने के बाद मांझी ने कहा, ‘बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच अपवित्र गठबंधन बना है, मैंने इस बारे में अमित शाह से बात की। हमें लालू और नीतीश को सत्ता में आने से रोकने के लिए साथ काम करना होगा।’ शाह से 30 मिनट की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘साथ मिलकर लड़ेंगे। अभी सीट के बारे में कुछ ‘डिसाइड’ नहीं हुआ है।’
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद भी मांझी को अपने गठबंधन का हिस्सा बनाने की पैरवी कर रहे थे लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वह ऐसे किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगे जिसमें उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने वाले नीतीश कुमार शामिल हों।
मांझी ने कहा कि वह राज्य भर में घूमे हैं और वहां की जनता की आम राय है कि वे लालू-नीतीश गठबंधन से ‘निजात’ पाना चाहते हैं। मांझी ने दावा किया, ‘यादव समुदाय महसूस करता है कि लालू ने उस नीतीश से हाथ मिलाकर उनके साथ धोखा किया है, जिसने हजारों यादवों को छोटे-मोटे आरोपों में जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया। वे अब लालू को अपना नेता नहीं मानते हैं। इन परिस्थितियों में मैंने महसूस किया कि एक विकल्प की जरूरत है।’ पूर्व मुख्यमंत्री ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह अपनी नयी पार्टी ‘हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा’ चलाते रहेंगे और यह लालू-नीतीश गठबंधन को नष्ट करने के लिए एनडीए का हिस्सा बनेंगे।
सीटों के बंटवारे और एनडीए में औपचारिक रूप से शामिल होने के बारे में किए गए सवालों पर उन्होंने कहा, ‘यह निर्णय हुआ है कि एक-दूसरे की मदद के लिए जितना भी संभव होगा हम करेंगे। हमने सीटों के बंटवारे के बारे में कोई चर्चा नहीं की। हमारी कोर कमेटी 15 जून को मिलेगी और निर्णय करेगी। हमारी तैयारी सभी 243 सीटों के लिए है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, मांझी ने कहा, ‘बेहतर यही होगा कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाए।’ शाह के साथ चर्चा के दौरान केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बिहार मामलों के प्रभारी एवं महासचिव भूपेन्द्र यादव भी मौजूद थे।
बीजेपी अध्यक्ष ने मांझी से मिलने से पहले गुरुवार को एनडीए के घटक दल आरएलएसपी के नेता उपेन्द्र कुशवाहा से भी मुलाकात की। दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे के संबंध में चर्चा हुई।
बीजेपी नेता अमित शाह से मिलने के बाद मांझी ने कहा, ‘बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच अपवित्र गठबंधन बना है, मैंने इस बारे में अमित शाह से बात की। हमें लालू और नीतीश को सत्ता में आने से रोकने के लिए साथ काम करना होगा।’ शाह से 30 मिनट की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘साथ मिलकर लड़ेंगे। अभी सीट के बारे में कुछ ‘डिसाइड’ नहीं हुआ है।’
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद भी मांझी को अपने गठबंधन का हिस्सा बनाने की पैरवी कर रहे थे लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वह ऐसे किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगे जिसमें उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने वाले नीतीश कुमार शामिल हों।
मांझी ने कहा कि वह राज्य भर में घूमे हैं और वहां की जनता की आम राय है कि वे लालू-नीतीश गठबंधन से ‘निजात’ पाना चाहते हैं। मांझी ने दावा किया, ‘यादव समुदाय महसूस करता है कि लालू ने उस नीतीश से हाथ मिलाकर उनके साथ धोखा किया है, जिसने हजारों यादवों को छोटे-मोटे आरोपों में जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया। वे अब लालू को अपना नेता नहीं मानते हैं। इन परिस्थितियों में मैंने महसूस किया कि एक विकल्प की जरूरत है।’ पूर्व मुख्यमंत्री ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह अपनी नयी पार्टी ‘हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा’ चलाते रहेंगे और यह लालू-नीतीश गठबंधन को नष्ट करने के लिए एनडीए का हिस्सा बनेंगे।
सीटों के बंटवारे और एनडीए में औपचारिक रूप से शामिल होने के बारे में किए गए सवालों पर उन्होंने कहा, ‘यह निर्णय हुआ है कि एक-दूसरे की मदद के लिए जितना भी संभव होगा हम करेंगे। हमने सीटों के बंटवारे के बारे में कोई चर्चा नहीं की। हमारी कोर कमेटी 15 जून को मिलेगी और निर्णय करेगी। हमारी तैयारी सभी 243 सीटों के लिए है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, मांझी ने कहा, ‘बेहतर यही होगा कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाए।’ शाह के साथ चर्चा के दौरान केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बिहार मामलों के प्रभारी एवं महासचिव भूपेन्द्र यादव भी मौजूद थे।
बीजेपी अध्यक्ष ने मांझी से मिलने से पहले गुरुवार को एनडीए के घटक दल आरएलएसपी के नेता उपेन्द्र कुशवाहा से भी मुलाकात की। दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे के संबंध में चर्चा हुई।
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