रांची:
झारखण्ड में अर्जुन मुंडा द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और मंत्रिमंडल द्वारा विधानसभा भंग किए जाने की सिफारिश करने के बाद राज्यपाल सैयद अहमद ने केंद्र सरकार से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। यदि ऐसा होता है तो गत 12 वर्षों में राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लगेगा।
मुंडा के इस्तीफे से उभरी राजनीतिक परिस्थिति पर राज्यपाल ने मंगलवार रात केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज दी।
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इसकी पुष्टि करते हुए नई दिल्ली में कहा, "झारखंड के राज्यपाल से मुझे प्राथमिक रिपोर्ट मिली है। मैं इसे देखूंगा। निर्णय के लिए कुछ समय इंतजार कीजिए।"
सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में विधानसभा भंग करने की मंत्रिमंडल की सिफारिश को नजरअंदाज करते हुए इसे फिलहाल के लिए निलंबित रखने और साथ ही राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश की है।
दूसरी ओर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेताओं ने नई सरकार के गठन की सम्भावना तलाशने के लिए कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की है।
झामुमो सूत्रों ने बुधवार को कहा कि झारखण्ड के निवर्तमान उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तथा पार्टी के अन्य नेता, कांग्रेस नेताओं से नई दिल्ली में बातचीत कर रहे हैं और सरकार गठन की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन के बेटे हेमंत ने कहा, "हम मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करेंगे।"
इस बीच, रांची से कांग्रेस सांसद व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने यहां राज्यपाल से मुलाकात की। उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया कि वह मुंडा की सिफारिशों को नजरअंदाज करें।
झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ने राज्यपाल से कहा कि वह विधानसभा भंग कर चुनाव के निर्देश दें।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने पटना में कहा कि विधानसभा में निलम्बित रखा जाए और राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। उन्होंने कहा कि नए सरकार के गठन की संभावना जरूर तलाशी जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को झामुमो द्वारा औपचारिक रूप से समर्थन वापस लेने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। झामुमो की समर्थन वापसी के बाद मुंडा सरकार 82 सदस्यीय विधानसभा में अल्पमत में आ गई थी।
कांग्रेस के झारखण्ड प्रभारी शकील अहमद ने कहा कि उनकी पार्टी राज्यपाल के निर्णय के बाद कोई रुख स्पष्ट करेगी। राज्य मंत्रिमंडल ने झामुमो द्वारा औपचारिक रूप से समर्थन वापस लिए जाने से कुछ समय पहले ही राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की अनुशंसा की थी।
मुंडा के इस्तीफे से उभरी राजनीतिक परिस्थिति पर राज्यपाल ने मंगलवार रात केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज दी।
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इसकी पुष्टि करते हुए नई दिल्ली में कहा, "झारखंड के राज्यपाल से मुझे प्राथमिक रिपोर्ट मिली है। मैं इसे देखूंगा। निर्णय के लिए कुछ समय इंतजार कीजिए।"
सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में विधानसभा भंग करने की मंत्रिमंडल की सिफारिश को नजरअंदाज करते हुए इसे फिलहाल के लिए निलंबित रखने और साथ ही राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश की है।
दूसरी ओर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेताओं ने नई सरकार के गठन की सम्भावना तलाशने के लिए कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की है।
झामुमो सूत्रों ने बुधवार को कहा कि झारखण्ड के निवर्तमान उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तथा पार्टी के अन्य नेता, कांग्रेस नेताओं से नई दिल्ली में बातचीत कर रहे हैं और सरकार गठन की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन के बेटे हेमंत ने कहा, "हम मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करेंगे।"
इस बीच, रांची से कांग्रेस सांसद व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने यहां राज्यपाल से मुलाकात की। उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया कि वह मुंडा की सिफारिशों को नजरअंदाज करें।
झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ने राज्यपाल से कहा कि वह विधानसभा भंग कर चुनाव के निर्देश दें।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने पटना में कहा कि विधानसभा में निलम्बित रखा जाए और राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। उन्होंने कहा कि नए सरकार के गठन की संभावना जरूर तलाशी जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को झामुमो द्वारा औपचारिक रूप से समर्थन वापस लेने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। झामुमो की समर्थन वापसी के बाद मुंडा सरकार 82 सदस्यीय विधानसभा में अल्पमत में आ गई थी।
कांग्रेस के झारखण्ड प्रभारी शकील अहमद ने कहा कि उनकी पार्टी राज्यपाल के निर्णय के बाद कोई रुख स्पष्ट करेगी। राज्य मंत्रिमंडल ने झामुमो द्वारा औपचारिक रूप से समर्थन वापस लिए जाने से कुछ समय पहले ही राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की अनुशंसा की थी।
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