जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला (Omar Abdullah) और महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) बीते छह महीने से नजरबंद हैं. अब दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (Public Safety Act) यानी नागरिक सुरक्षा क़ानून के तहत आरोप लगाए गए हैं. PSA ऐसा कठोर कानून है जो तीन महीने तक बिना सुनवाई के हिरासत में रखने की अनुमति देता है. बता दें कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला पर भी सितंबर में पीएसए लगाया गया था. महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने भी इस खबर को कंफर्म किया है. इल्तिजा महबूबा मुफ्ती का ट्विटर अकाउंट हैंडल कर रही हैं.
Ms Mehbooba Mufti, former Chief Minister J&K to whom this twitter handle belongs has been detained since 5th August 2019 without access to the account. This handle is now operated by myself, Iltija daughter of Ms Mufti with due authorisation.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 20, 2019
उधर, न्यूज एजेंसी 'भाषा' ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि पुलिस की मौजूदगी में मजिस्ट्रेट ने उस बंगले में जाकर महबूबा को आदेश सौंपा जहां उन्हें नजरबंद रखा गया है. उन्होंने बताया कि उमर अब्दुल्ला के खिलाफ भी पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है. नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव और पूर्व मंत्री मोहम्मद सागर को प्रशासन ने पीएसए नोटिस थमाया. शहर के कारोबारी इलाके में सागर का मजबूत आधार माना जाता है. इसी प्रकार पीडीपी के नेता सरताज मदनी के खिलाफ भी पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है. मदनी महबूबा मुफ्ती के मामा हैं. सागर और मदनी दोनों को केंद्र सरकार द्वारा पांच अगस्त के बाद राज्य के नेताओं पर की गई कार्रवाई के तहत नजरबंद किया गया था. पांच अगस्त को केंद्र ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के साथ ही इसे दो केंद्र शासित हिस्सों में बांट दिया था. इन लोगों की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि गुरुवार को खत्म हो रही थी. इससे पूर्व अधिकारियों ने बताया था कि नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व विधायक बशीर अहमद वीरी के खिलाफ भी पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है, लेकिन बाद में पता चला कि उन्हें रिहा कर दिया गया है.
क्या है पब्लिक सेफ्टी एक्ट?
1990 के दशक की शुरुआत में जब राज्य में उग्रवाद भड़का तो पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) पुलिस और सुरक्षा बलों के काम आया. 1990 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को लागू किया तो बड़े पैमाने पर PSA का इस्तेमाल लोगों को पकड़ने के लिए किया गया. PSA के तहत हिरासत की एक आधिकारिक समिति द्वारा समय समय पर समीक्षा की जाती है और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है.
सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) सरकार को 16 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को तीन महीने तक बिना मुकदमा चलाए रखने की अनुमति देता है. 2011 में, न्यूनतम आयु 16 से बढ़ाकर 18 कर दी गई थी. हालिया दशकों से दौरान इसका इस्तेमाल आतंकवादियों, अलगाववादियों और पत्थरबाजों के खिलाफ किया जाता था. 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की हत्या के बाद कश्मीर घाटी में विरोध प्रदर्शनों के दौरान पीएसए के तहत 550 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था.
(इनपुट: भाषा से भी)
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