 
                                            आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने आय से कथित रूप से अधिक संपत्ति के मामले में वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी की जमानत याचिका आज खारिज कर दी।
                                            
                                            क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
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                                                                                हैदराबाद: 
                                        आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने आय से कथित रूप से अधिक संपत्ति के मामले में वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी की जमानत याचिका आज खारिज कर दी।
इस मामले में प्रमुख आरोपी जगन को 27 मई को गिरफ्तार किया गया था और वह यहां की चंचलगुडा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।
न्यायाधीश समुद्राला गोविंदराजुलु ने 27 जून को याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी और आज तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रखा था। इस मामले में चर्चित वकील राम जेठमलानी जगन की ओर से पेश हुए थे जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक भान सीबीआई के वकील थे।
सीबीआई के वकील ने दलील दी थी कि यह मामला 43 हजार करोड़ रुपये की कथित अनियमितताओं से जुड़ा है और एजेंसी जगन की कंपनियों में धन आने की जांच कर रही है।
भान ने कहा था कि इस समय आरोपी को जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है क्योंकि जांच एजेंसी को इस मामले में कुछ और आरोप पत्र दाखिल करने हैं।
वहीं दूसरी ओर, जेठमलानी ने दलील दी थी कि कडप्पा के सांसद जगन की गिरफ्तारी राजनीतिक रूप से प्रेरित है और उनके मुवक्किल के खिलाफ इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि वह सीबीआई के साथ सहयोग नहीं करता है या वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।
जेठमलानी ने आरोप लगाया था कि जगन को सीबीआई द्वारा उनके राजनीतिक बॉसों के इशारे पर प्रताड़ित किया जा रहा है। सीबीआई ने जगन और अन्य के खिलाफ अपने तीन आरोप पत्रों में आरोप लगाया कि जगन और उनके पिता आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएसआर राजशेखर रेड्डी ने सरकार के साथ धोखा करने की साजिश रची थी और बेटे ने अपने पिता को प्रभावित करके विभिन्न उद्योगों को फायदा पहुंचाया जिसके बदले जगन के कारोबार में करोड़ों रुपयों का निवेश किया गया।
इसी मामले में गिरफ्तार जगन के करीबी सहयोगी और आडिटर विजय साई रेड्डी को एक स्थानीय सीबीआई विशेष अदालत ने जमानत दी थी।
                                                                        
                                    
                                इस मामले में प्रमुख आरोपी जगन को 27 मई को गिरफ्तार किया गया था और वह यहां की चंचलगुडा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।
न्यायाधीश समुद्राला गोविंदराजुलु ने 27 जून को याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी और आज तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रखा था। इस मामले में चर्चित वकील राम जेठमलानी जगन की ओर से पेश हुए थे जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक भान सीबीआई के वकील थे।
सीबीआई के वकील ने दलील दी थी कि यह मामला 43 हजार करोड़ रुपये की कथित अनियमितताओं से जुड़ा है और एजेंसी जगन की कंपनियों में धन आने की जांच कर रही है।
भान ने कहा था कि इस समय आरोपी को जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है क्योंकि जांच एजेंसी को इस मामले में कुछ और आरोप पत्र दाखिल करने हैं।
वहीं दूसरी ओर, जेठमलानी ने दलील दी थी कि कडप्पा के सांसद जगन की गिरफ्तारी राजनीतिक रूप से प्रेरित है और उनके मुवक्किल के खिलाफ इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि वह सीबीआई के साथ सहयोग नहीं करता है या वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।
जेठमलानी ने आरोप लगाया था कि जगन को सीबीआई द्वारा उनके राजनीतिक बॉसों के इशारे पर प्रताड़ित किया जा रहा है। सीबीआई ने जगन और अन्य के खिलाफ अपने तीन आरोप पत्रों में आरोप लगाया कि जगन और उनके पिता आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएसआर राजशेखर रेड्डी ने सरकार के साथ धोखा करने की साजिश रची थी और बेटे ने अपने पिता को प्रभावित करके विभिन्न उद्योगों को फायदा पहुंचाया जिसके बदले जगन के कारोबार में करोड़ों रुपयों का निवेश किया गया।
इसी मामले में गिरफ्तार जगन के करीबी सहयोगी और आडिटर विजय साई रेड्डी को एक स्थानीय सीबीआई विशेष अदालत ने जमानत दी थी।
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                                        Jagan Disproportionate Assets Case, Jagan In Jail, Jagan Mohan Reddy, जगन मोहन रेड्डी, जगन की जमानत याचिका खारिज
                            
                        