वाराणसी:
बिहार में बीजेपी की हार के बाद देश में ये कयास लगने लगा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू अब कुछ कम हो रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव में प्रधानमंत्री के आदर्श गांव में हर प्रत्याशी उन्हीं के नाम पर चुनाव लड़ रहा है। गांव से तीन प्रत्याशी मैदान में हैं और सभी ने अपने पोस्टरों पर मोदी की तस्वीर लगा रखी है। लिहाजा कोई भी हारे पर मोदी का जादू कम नहीं होने वाला, क्योंकि सभी उन्हीं के नाम की दुहाई दे रहे हैं।
वाराणसी के जयापुर में पहुंचने बाद जब आप वहां की दीवारों पर लगे पोस्टरों पर नजर डालेंगे तो तीन पोस्टरों में प्रत्याशी अलग-अलग हैं, इनके चुनाव निशान भी अलग-अलग हैं, लेकिन एक चीज इन तीनों पोस्टरों में समान है। जिसके नाम पर ये लोग चुनावी बैतरनी पार करना चाहते हैं, वो शख्स कोई और नहीं, बल्कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उत्तर प्रदेश में हो रहे पंचायत के चुनाव में ये शायद इकलौता गांव होगा, जहां हर प्रत्याशी मोदी के नाम पर वोट मांग रहा है और ऐसा इसलिए है क्योंकि ये प्रधानमंत्री का गोद लिया गांव जयापुर है।
हालांकि इस नाम को भुनाने पर उसके काट के लिए राजनीति भी हो रही है। मौजूदा प्रधान नारायण पटेल कहते हैं कि ये तो पूरा देश जान रहा है कि मैं बीजेपी से जुड़ा हूं। मैंने मोदी जी का पोस्टर लगाया है, लेकिन बाकी जिन लोगों ने लगाया है, वे सभी राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। ये लोग हकीकत में बीजेपी के नहीं हैं। राजकुमार यादव सपा से जुड़े हैं ये पूरा गांव जनता है और प्रेम शंकर सिंह कांग्रेस से जुड़े हैं।
चुनाव प्रचार का दिलचस्प अंदाज
पोस्टर ही नहीं यहां का चुनाव प्रचार भी कम दिलचस्प नहीं है। कोई गले में केसरिया दुपट्टा डाले चुनाव प्रचार कर रहा है, तो कोई सिर पर नीली टोपी लगाकर गांव में वोट मांगने निकला है। इतना ही नहीं गांव में लगी बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर माला चढ़ाना भी इनकी दिनचर्या बन गई है। वेश-भूषा चाहे जो भी हो, लेकिन मुंह पर सिर्फ मोदी का नाम और उनके विकास के आधार पर ही इन्हें वोट भी चाहिए।
एक प्रत्याशी प्रेमशंकर सिंह ने तो मोदी के 'सबका साथ सबका विकास' के नारे को ही अपने चुनावी पोस्टर पर छपवा दिया है। पर मजे की बात ये है कि ये प्रत्याशी भले ही मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हों, लेकिन हमेशा से दूसरी पार्टी से जुड़े होने के कारण वो उनका विरोध करते रहे हैं। लिहाजा अभी भी पूछने पर विरोध का वो स्वर सुनाई पड़ने लगता है। एक प्रत्याशी कहते हैं, 'मोदी जी के आने से कुछ विकास तो हुआ पर कुछ दिक्कतें आईं... ये सड़क देख लीजिए कैसी है? अभी बनी है और टूट गई।'
गौरतलब है कि जयापुर गांव की आबादी 4200 है। ये पहले से भी आरएसएस के गोद लिया गांव था। इसी वजह से पीएम मोदी ने इसे अपना आदर्श गांव चुना था। इस गांव की 80 प्रतिशत आबादी पिछड़ी जाति का है। और उसमें पटेल सबसे ज्यादा 60 फीसदी है। वर्तमान प्रधान पटेल जाति से ही है और वो इस बार फिर चुनाव मैदान में है।
असमंजस में मतदाता
हर प्रत्याशी मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रहा है, ऐसे में यहां का मतदाता भी असमंजस की स्थिति में है। मतदाता ओम प्रकाश यादव पूछने पर हिचकिचाते हुए कहते हैं "मोदी जी विकास किए... अब तीन प्रत्याशी खड़े हैं। तीनों लोग मोदी जी का पोस्टर लगाए हैं, इसलिए असमंजस है।" देश के किसी भी चुनाव में ऐसा शायद ही देखने को मिलता हो कि सभी प्रत्याशी किसी एक शख्स के नाम पर वोट मांग रहे हों।
वाराणसी के जयापुर में पहुंचने बाद जब आप वहां की दीवारों पर लगे पोस्टरों पर नजर डालेंगे तो तीन पोस्टरों में प्रत्याशी अलग-अलग हैं, इनके चुनाव निशान भी अलग-अलग हैं, लेकिन एक चीज इन तीनों पोस्टरों में समान है। जिसके नाम पर ये लोग चुनावी बैतरनी पार करना चाहते हैं, वो शख्स कोई और नहीं, बल्कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उत्तर प्रदेश में हो रहे पंचायत के चुनाव में ये शायद इकलौता गांव होगा, जहां हर प्रत्याशी मोदी के नाम पर वोट मांग रहा है और ऐसा इसलिए है क्योंकि ये प्रधानमंत्री का गोद लिया गांव जयापुर है।
हालांकि इस नाम को भुनाने पर उसके काट के लिए राजनीति भी हो रही है। मौजूदा प्रधान नारायण पटेल कहते हैं कि ये तो पूरा देश जान रहा है कि मैं बीजेपी से जुड़ा हूं। मैंने मोदी जी का पोस्टर लगाया है, लेकिन बाकी जिन लोगों ने लगाया है, वे सभी राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। ये लोग हकीकत में बीजेपी के नहीं हैं। राजकुमार यादव सपा से जुड़े हैं ये पूरा गांव जनता है और प्रेम शंकर सिंह कांग्रेस से जुड़े हैं।
चुनाव प्रचार का दिलचस्प अंदाज
पोस्टर ही नहीं यहां का चुनाव प्रचार भी कम दिलचस्प नहीं है। कोई गले में केसरिया दुपट्टा डाले चुनाव प्रचार कर रहा है, तो कोई सिर पर नीली टोपी लगाकर गांव में वोट मांगने निकला है। इतना ही नहीं गांव में लगी बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर माला चढ़ाना भी इनकी दिनचर्या बन गई है। वेश-भूषा चाहे जो भी हो, लेकिन मुंह पर सिर्फ मोदी का नाम और उनके विकास के आधार पर ही इन्हें वोट भी चाहिए।
एक प्रत्याशी प्रेमशंकर सिंह ने तो मोदी के 'सबका साथ सबका विकास' के नारे को ही अपने चुनावी पोस्टर पर छपवा दिया है। पर मजे की बात ये है कि ये प्रत्याशी भले ही मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हों, लेकिन हमेशा से दूसरी पार्टी से जुड़े होने के कारण वो उनका विरोध करते रहे हैं। लिहाजा अभी भी पूछने पर विरोध का वो स्वर सुनाई पड़ने लगता है। एक प्रत्याशी कहते हैं, 'मोदी जी के आने से कुछ विकास तो हुआ पर कुछ दिक्कतें आईं... ये सड़क देख लीजिए कैसी है? अभी बनी है और टूट गई।'
गौरतलब है कि जयापुर गांव की आबादी 4200 है। ये पहले से भी आरएसएस के गोद लिया गांव था। इसी वजह से पीएम मोदी ने इसे अपना आदर्श गांव चुना था। इस गांव की 80 प्रतिशत आबादी पिछड़ी जाति का है। और उसमें पटेल सबसे ज्यादा 60 फीसदी है। वर्तमान प्रधान पटेल जाति से ही है और वो इस बार फिर चुनाव मैदान में है।
असमंजस में मतदाता
हर प्रत्याशी मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रहा है, ऐसे में यहां का मतदाता भी असमंजस की स्थिति में है। मतदाता ओम प्रकाश यादव पूछने पर हिचकिचाते हुए कहते हैं "मोदी जी विकास किए... अब तीन प्रत्याशी खड़े हैं। तीनों लोग मोदी जी का पोस्टर लगाए हैं, इसलिए असमंजस है।" देश के किसी भी चुनाव में ऐसा शायद ही देखने को मिलता हो कि सभी प्रत्याशी किसी एक शख्स के नाम पर वोट मांग रहे हों।
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