ITBP-BSF का ‘तोंद रहित-2020 मिशन’ और ‘दंपति तंदुरुस्ती पाठ्यक्रम’ शुरू करने का फैसला

चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की निगरानी की जिम्मेदारी संभालने वाले भारत-तिब्बत पुलिस बल (ITBP)  ने पहली बार अपने अधिकारियों और उनके जीवनसाथी के लिए ‘दंपति तंदुरुस्ती पाठ्यक्रम’ शुरू करने का फैसला किया है.

ITBP-BSF का ‘तोंद रहित-2020 मिशन’ और ‘दंपति तंदुरुस्ती पाठ्यक्रम’ शुरू करने का फैसला

भारत-तिब्बत पुलिस बल (ITBP)  ने पहली बार अपने अधिकारियों और उनके जीवनसाथी के लिए ‘दंपति तंदुरुस्ती पाठ्यक्रम’ शुरू करने का फैसला किया है.

खास बातें

  • चीन से लगती सीमा की जिम्मेदारी संभालती है आईटीबीपी
  • ‘दंपति तंदुरुस्ती पाठ्यक्रम’ शुरू करने का फैसला किया
  • अवसंरचना स्थापित करने की अनूठी परियोजना का हिस्सा है.
नई दिल्ली:

चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की निगरानी की जिम्मेदारी संभालने वाले भारत-तिब्बत पुलिस बल (ITBP)  ने पहली बार अपने अधिकारियों और उनके जीवनसाथी के लिए ‘दंपति तंदुरुस्ती पाठ्यक्रम' शुरू करने का फैसला किया है. बल की यह पहल देशभर में फैले अपने परिसरों में तंदुरुस्ती केंद्रित अवसंरचना स्थापित करने की अनूठी परियोजना का हिस्सा है .यह पहल ITBP के महानिदेशक एसएस देसवाल की सोच का नतीजा है और इसी का अनुकरण सीमा सुरक्षा बल (BSF) भी कर रहा है जिसके ढाई लाख जवानों के पास पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती सीमा की सुरक्षा का दायित्व है और इस समय देसवाल ही बीएसएफ का भी नेतृत्व कर रहे हैं. दोनों बल ‘तोंद रहित-2020' मिशन के लिए भी काम कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बल के अधिकारियों और जवानों में मोटापे की समस्या नहीं हो क्योंकि अर्धसैनिक बल की लड़ाकू क्षमता के लिए यह महत्वपूर्ण है.

ITBP की स्थापना 1962 में चीन के साथ हुई लड़ाई के बाद की गई थी. बल में शामिल 90 हजार जवान चीन के साथ लगती 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पर्वतीय क्षेत्र में युद्ध के लिए प्रशिक्षित हैं. देसवाल ने बताया एक हफ्ते के ‘दंपति तंदुरुस्ती पाठ्यक्रम' को जल्द उत्तराखंड के मसूरी स्थित ITBP की अधिकारी अकादमी में शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘जीवन में जीवनसाथी का महत्वपूर्ण योगदान है और व्यक्ति की खुशी तथा खुशहाल जीवन के लिए उनका बेहतर स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, खासतौर पर सेवानिवृत्ति के बाद जब उम्र ढल जाती है.'

महानिदेशक ने कहा, ‘हमारे अधिकारी अपने परिवार से अलग रहते हैं और कई बार उनके जीवनसाथी के स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर दिया जाता है.' उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमने फैसला किया कि अधिकारियों और उनके जीवनसाथी के लिए तंदुरुस्ती पाठ्यक्रम शुरू किया जाए. इस पाठ्यक्रम को जल्द ही बैच में शुरू किया जाएगा.' देसवाल ने कहा कि जीवनसाथी के लिए शुरू होने वाले तंदुरुस्ती पाठ्यक्रम पतियों के मुकाबले पत्नियों के लिए थोड़े हल्के होंगे. उन्होंने कहा कि इस तरह का कार्यक्रम चरणबद्ध तरीके से जवानों के लिए भी शुरू किया जाएगा.

‘तोंद रहित मिशन' के बारे में महानिदेशक ने कहा, ‘हमने बल के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) पद के कमांडरों और निचली रैंक के अधिकारियों के लिए कई तंदुरुस्ती कार्यक्रम शुरू किए हैं तथा इसके अलावा और कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे.' इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देसवाल ने हाल में कम से कम चार पाठ्यक्रमों के समापन समारोह में शिरकत की है. उन्होंने बताया कि महानिदेशक ने सात घंटे में 42 किलोमीटर के कदमताल व्यायाम में भी हिस्सा लिया.

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 58 वर्षीय अधिकारी ने इस साल की शुरुआत में ‘फिट इंडिया' का संदेश प्रचारित करने के लिए राजस्थान के बीकानेर से जोधपुर तक 100 किलोमीटर लंबे मार्च को पूरा किया था और वह इस तरह की गतिविधियों में शामिल होते रहते हैं. वर्ष 1984 बैच के आईपीएस और हरियाणा कैडर के अधिकारी कदमताल और तंदुरुस्ती के लिए जाने जाते हैं. महानिदेशक ने कहा कि उन्होंने जवानों और उनके परिवारों की तंदुरुस्ती को ध्यान में रखकर आधारभूत अवंसरचना स्थापित करने के लिए अधिकारियों की टीम गठित की है. देसवाल ने कहा, ‘हम बल के परिसरों में परिवार केंद्रित अधिक अवसंरचना स्थापित करेंगे ताकि जवान और अधिकारी अपने परिवारों के साथ कुछ समय इसका इस्तेमाल कर सकें.'

उन्होंने कहा, ‘तंदुरुस्ती को आदत बनाने के लिए हम अपने परिसरों में खुले में जिम स्थापित कर रहे हैं. इन जिम में व्यायाम करने के उपकरण होंगे जिनका इस्तेमाल जवान और उनके परिवार चलने, दौड़ने और साइकिल चलाने में कर सकते हैं.' देसवाल ने कहा, ‘हमारे पास काफी बड़े परिसर हैं. इनमें से कई 70 से 80 एकड़ में फैले हुए हैं और परिसर के चारों ओर बहुउद्देश्यीय ट्रैक है जिनका इस्तेमाल न केवल सुरक्षा गश्त के लिए, बल्कि अन्य कार्यों जैसे जॉगिंग और दौड़ने के लिए किया जा सकता है.' उन्होंने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे अधिकारी, जवान और उनके परिवार खुश रहें, ताकि वे उन्हें देश की आंतरिक सुरक्षा ग्रिड को अक्षुण्ण रखने के लिए प्रेरित कर सकें.'

देसवाल से दोनों बलों में कोविड-19 की स्थिति से निपटने और दिल्ली स्थिति ITBP के शिविर में पहला पृथक-वास केंद्र स्थापित करने, लॉकडाउन के बाद जवानों के अपनी इकाइयों में शामिल होने के आदेश के बारे में भी पूछा गया. उन्होंने कहा, ‘मैं देश में अच्छे मौसम का दोस्त नहीं हूं, बल्कि विपरीत मौसम का दोस्त हूं. जब कोरोना वायरस महामारी जैसी बड़ी आपदा की बात हो तो मैं कठिन दायित्व को निभाने वाला पहला व्यक्ति रहना चाहूंगा.' 

महानिदेशक ने कहा कि दक्षिण पश्चिमी दिल्ली स्थित छावला में ITBP के 1,000 बिस्तरों की क्षमता वाला पृथक-वास केंद्र स्थापित करने को लेकर शुरुआत में वह आशंकित थे क्योंकि इससे बल में संक्रमण के मामले आ सकते थे लेकिन उनकी डॉक्टरों, पैरामेडिक और सफाईकर्मियों की टीम ने बेहतरीन काम किया और चीन के वुहान तथा इटली से विशेष विमान के जरिए लाए गए 42 विदेशियों सहित 1,200 लोगों का सफलतापूर्वक इलाज किया.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में आईटीबीपी का यह छोटा सा योगदान है. महानिदेशक ने कहा कि दोनों बलों में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों के मुकाबले ठीक होने वाले लोगों की संख्या अधिक है और चिंता की बात नहीं है. गौरतलब है कि दोनों अर्धसैनिक बलों में कोरोना वायरस संक्रमण के कम से कम 795 मामले सामने आए हैं जिनमें से 649 कर्मी ठीक हो चुके हैं. कोरोना वायरस की वजह से इन बलों में चार लोगों की मौत हुई है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)