महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में प्रार्थना के बाद संविधान की प्रस्तावना पढ़ना अनिवार्य कर दिया है. सरकार का यह आदेश 26 जनवरी से लागू होगा. किसी भी देश की आत्मा उसके संविधान में निहित होती है इसलिए बहुत जरूरी होता है कि उस देश का प्रत्येक नागरिक उसे जाने और आत्मसात करे. देर से ही सही महाराष्ट्र सरकार ने अब राज्य के सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में प्रार्थना के बाद संविधान की प्रस्तावना पढ़ना अनिवार्य कर दिया है.
महाराष्ट्र में वैसे तो साल 2013 से ही पाठ्यपुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना को जोड़ दिया गया था. बहुत से स्कूलों में उसका पठन भी किया जाता रहा है. मुंबई के सांताक्रुज का रामेश्वर विद्यालय ऐसा ही स्कूल है जहां के बच्चे रोजाना संविधान की प्रस्तावना का पाठ करते हैं. अब इसे अनिवार्य बनाए जाने से विद्यार्थी और शिक्षक सभी खुश हैं.
इस बीच राज्य में विपक्षी दल बीजेपी ने भी सरकार के इस कदम का स्वागत किया है लेकिन साथ में संविधान दिवस मनाए जाने का श्रेय भी लिया.
राज्य सरकार का कहना है उसका ये कदम संविधान की संप्रभुता और सबका कल्याण अभियान का ही हिस्सा है. लेकिन ऐसे समय में जब देश भर में CAA और NRC के खिलाफ विरोध हो रहा है लोग जगह-जगह संविधान की प्रस्तावना पढ़ रहे हैं, तब इस तरह का कदम अहम बन जाता है.
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