जीसैट-6 का प्रक्षेपण
श्रीहरिकोटा:
भारत ने गुरुवार को अपने संचार उपग्रह जीसैट-6 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया, जो सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान डी6 (जीएसएलवी-डी6) उपग्रह के साथ ने गुरुवार शाम 4.52 बजे उड़ान भरी। इसके लिए बुधवार सुबह से ही उलटी गिनती शुरू कर दी गई थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने सफल लॉन्च पर इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ की।
उपग्रह को लेकर एक इंजन वाला जीएसएलवी रॉकेट भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) तक गया, जहां से वह अपने अंतिम भूस्थिर कक्षा में प्रवेश कर जाएगा। जीएसएलवी के सफल उड़ान से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को बड़ा प्रोत्साहन मिला है, क्योंकि अधिक प्रभावी क्रायोजेनिक इंजन (नॉटीब्वॉय) उसके भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण जरूरत है।
भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी को लाने में दो दशक का समय लगा है और इसके विकास पर 400 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। जीसैट-6 की मदद से भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान डी6 (जीएसएलवी-डी6) को शाम 4.52 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया।
49.1 मीटर लंबे व 416 किलो वजनी रॉकेट ने 2,117 किलोग्राम वजनी जीसैट-6 संचार उपग्रह को लगभग 17 मिनट में भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा तक पहुंचा दिया। पूरे मिशन के सफलतापूर्वक संपन्न हो जाने से मिशन नियंत्रण कक्ष में इसरो वैज्ञानिक बेहद खुश दिखे।
प्रक्षेपण को लेकर इसरो के अध्यक्ष ए.एस. किरन कुमार ने कहा, 'आज रॉकेट का प्रदर्शन सही रहा। क्रायोजेनिक इंजन की पेचीदगियां समझ में आ गई हैं।' किरन कुमार के कार्यकाल में यह पहला सफल जीएसएलवी रॉकेट प्रक्षेपण है, जिसने उपग्रह को कक्षा में पहुंचा दिया है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने जीएसएलवी रॉकेट को दूसरी बार गुरुवार को स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन की सहायता से छोड़ा है। इसी तरह के रॉकेट का जनवरी 2014 में पहली बार सफल प्रक्षेपण किया गया था, जिसकी मदद से जीसैट-14 को कक्षा में स्थापित किया गया था। प्रक्षेपण की 29 घंटे की उल्टी गिनती बुधवार को सुबह 11.52 बजे शुरू हुई थी।
इसरो की मिशन तैयारी समिति और प्रक्षेपण अनुज्ञा बोर्ड (एलएबी) ने सोमवार को इस बात की अनुमति दी थी कि प्रक्षेपण गुरुवार शाम किया जाए। यह पांचवीं बार है कि इसरो ने दो टन से अधिक भार के उपग्रह का प्रक्षेपण जीएसएलवी से किया। इससे पहले के चार प्रयासों में से तीन विफल रहे थे, जबकि एक सफल रहा था।
जीसैट-6 भारत का 25वां भू-स्थिर संचार उपग्रह है, जबकि जीसैट श्रेणी में 12वां। जीसैट-6 नौ साल तक काम करेगा। जीसैट-6 इसरो का बनाया 25वां भू-स्थैतिक संचार उपग्रह है। जीसैट सीरीज का यह 12वां उपग्रह है। इसके सी-बैंड में राष्ट्रीय बीम और एस-बैंड में पांच स्पॉट बीमों के जरिए संचार सुविधा मिल सकेगी। इसका एंटिना इसरो द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा एंटिना है। इसका इस्तेमाल पांच स्पाट बीम के लिए किया जाएगा।
पीएम मोदी ने सफल लॉन्च पर इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-6 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के लिए गुरुवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की टीम को बधाई दी और इसे 'अभूतपूर्व उपलब्धि' करार दिया।
मोदी ने ट्वीट किया, 'एक और दिन और एक और अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की हमारे वैज्ञानिकों ने। जीसैट-6 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई।' इसरो ने गुरुवार शाम श्रीहरिकोटा पास ही स्थित श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से जीएसएलवी-डी-6 के जरिए जीसैट-6 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। जनवरी 2014 के बाद इसरो का यह लगातार दूसरा सफल प्रक्षेपण है।
उपग्रह को लेकर एक इंजन वाला जीएसएलवी रॉकेट भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) तक गया, जहां से वह अपने अंतिम भूस्थिर कक्षा में प्रवेश कर जाएगा। जीएसएलवी के सफल उड़ान से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को बड़ा प्रोत्साहन मिला है, क्योंकि अधिक प्रभावी क्रायोजेनिक इंजन (नॉटीब्वॉय) उसके भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण जरूरत है।
भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी को लाने में दो दशक का समय लगा है और इसके विकास पर 400 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। जीसैट-6 की मदद से भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान डी6 (जीएसएलवी-डी6) को शाम 4.52 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया।
49.1 मीटर लंबे व 416 किलो वजनी रॉकेट ने 2,117 किलोग्राम वजनी जीसैट-6 संचार उपग्रह को लगभग 17 मिनट में भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा तक पहुंचा दिया। पूरे मिशन के सफलतापूर्वक संपन्न हो जाने से मिशन नियंत्रण कक्ष में इसरो वैज्ञानिक बेहद खुश दिखे।
प्रक्षेपण को लेकर इसरो के अध्यक्ष ए.एस. किरन कुमार ने कहा, 'आज रॉकेट का प्रदर्शन सही रहा। क्रायोजेनिक इंजन की पेचीदगियां समझ में आ गई हैं।' किरन कुमार के कार्यकाल में यह पहला सफल जीएसएलवी रॉकेट प्रक्षेपण है, जिसने उपग्रह को कक्षा में पहुंचा दिया है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने जीएसएलवी रॉकेट को दूसरी बार गुरुवार को स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन की सहायता से छोड़ा है। इसी तरह के रॉकेट का जनवरी 2014 में पहली बार सफल प्रक्षेपण किया गया था, जिसकी मदद से जीसैट-14 को कक्षा में स्थापित किया गया था। प्रक्षेपण की 29 घंटे की उल्टी गिनती बुधवार को सुबह 11.52 बजे शुरू हुई थी।
इसरो की मिशन तैयारी समिति और प्रक्षेपण अनुज्ञा बोर्ड (एलएबी) ने सोमवार को इस बात की अनुमति दी थी कि प्रक्षेपण गुरुवार शाम किया जाए। यह पांचवीं बार है कि इसरो ने दो टन से अधिक भार के उपग्रह का प्रक्षेपण जीएसएलवी से किया। इससे पहले के चार प्रयासों में से तीन विफल रहे थे, जबकि एक सफल रहा था।
जीसैट-6 भारत का 25वां भू-स्थिर संचार उपग्रह है, जबकि जीसैट श्रेणी में 12वां। जीसैट-6 नौ साल तक काम करेगा। जीसैट-6 इसरो का बनाया 25वां भू-स्थैतिक संचार उपग्रह है। जीसैट सीरीज का यह 12वां उपग्रह है। इसके सी-बैंड में राष्ट्रीय बीम और एस-बैंड में पांच स्पॉट बीमों के जरिए संचार सुविधा मिल सकेगी। इसका एंटिना इसरो द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा एंटिना है। इसका इस्तेमाल पांच स्पाट बीम के लिए किया जाएगा।
पीएम मोदी ने सफल लॉन्च पर इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-6 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के लिए गुरुवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की टीम को बधाई दी और इसे 'अभूतपूर्व उपलब्धि' करार दिया।
मोदी ने ट्वीट किया, 'एक और दिन और एक और अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की हमारे वैज्ञानिकों ने। जीसैट-6 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई।' इसरो ने गुरुवार शाम श्रीहरिकोटा पास ही स्थित श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से जीएसएलवी-डी-6 के जरिए जीसैट-6 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। जनवरी 2014 के बाद इसरो का यह लगातार दूसरा सफल प्रक्षेपण है।
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