नई दिल्ली:
इसरो के वैज्ञानिकों ने रॉकेट तकनीक का इस्तेमाल कर नकली हृदय तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। हालांकि इस तकनीक का अभी जानवरों पर ही प्रयोग हुआ है, लेकिन वे दिन दूर नहीं, जब यह मशीन इंसान के भी काम आ सकेगी। पल्लव बागला की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।
सुअर पर किया प्रयोग
इसका प्रयोग एक सुअर पर किया गया है। यह सुअर इसरो द्वारा विकसित रॉकेट टेक्नोलॉजी से ज़िंदा है। डॉक्टरों की एक टीम ने इस सुअर के भीतर एक कंपैक्ट पंप लगाया जो दिल के उस हिस्से की तरह काम करता है, जो खून को पंप करता है। ये छोटा-सा उपकरण इंसानों के लिए भी मददगार हो सकता है।
वीडियो देखें
रॉकेट में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और तकनीक से बना
किसी रॉकेट में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और तकनीक ही इस उपकरण में लगी है, जिसे लेफ्ट वेंट्रिकल ऐसिस्ट डिवाइस कहते हैं। ये हार्ट के ट्रांसप्लांटेशन में उपयोगी है। इसे सुअर पर टेस्ट किया गया। वह ठीक है और उसके बाकी के अंग ठीक हैं। इससे पता चलता है कि यह कृत्रिम हृदय के लिए बहुत अच्छा विकल्प है।
प्रयोग रहा कामयाब
ये पंप- ऐसे टिटैनियम अलाय से बना है जो बायोकंपैटिएबल है- यानी जीवों की ज़रूरत के हिसाब से ढल सकता है। इसका वजन 100 ग्राम है। ये एक इलेक्ट्रिक पंप के ज़रिए एक मिनट में 3 से पांच किलोमीटर खून तक पंप कर सकता है। तिरुवनंतपुरम के एक अस्पताल में पांच सुअरों पर छह घंटे इसका परीक्षण चला। प्रयोग कामयाब रहा।
कीमत है सवा लाख रुपये
यह इस बात की मिसाल है कि रॉकेट टेक्नोलॉजी के लिए किया जाने वाला काम किस तरह इंसानों की मदद कर सकता है। अगर हृदय काम करना बंद कर दे तो ये उसका विकल्प हो सकता है। यह एक बाइपास पंपिंग सिस्टम मुहैया कराता है। आज ऐसे हार्ट पंप करोड़ों रुपयों में मिलते हैं, लेकिन इसरो का यह पंप बस सवा लाख का है।
सुअर पर किया प्रयोग
इसका प्रयोग एक सुअर पर किया गया है। यह सुअर इसरो द्वारा विकसित रॉकेट टेक्नोलॉजी से ज़िंदा है। डॉक्टरों की एक टीम ने इस सुअर के भीतर एक कंपैक्ट पंप लगाया जो दिल के उस हिस्से की तरह काम करता है, जो खून को पंप करता है। ये छोटा-सा उपकरण इंसानों के लिए भी मददगार हो सकता है।
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रॉकेट में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और तकनीक से बना
किसी रॉकेट में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और तकनीक ही इस उपकरण में लगी है, जिसे लेफ्ट वेंट्रिकल ऐसिस्ट डिवाइस कहते हैं। ये हार्ट के ट्रांसप्लांटेशन में उपयोगी है। इसे सुअर पर टेस्ट किया गया। वह ठीक है और उसके बाकी के अंग ठीक हैं। इससे पता चलता है कि यह कृत्रिम हृदय के लिए बहुत अच्छा विकल्प है।
प्रयोग रहा कामयाब
ये पंप- ऐसे टिटैनियम अलाय से बना है जो बायोकंपैटिएबल है- यानी जीवों की ज़रूरत के हिसाब से ढल सकता है। इसका वजन 100 ग्राम है। ये एक इलेक्ट्रिक पंप के ज़रिए एक मिनट में 3 से पांच किलोमीटर खून तक पंप कर सकता है। तिरुवनंतपुरम के एक अस्पताल में पांच सुअरों पर छह घंटे इसका परीक्षण चला। प्रयोग कामयाब रहा।
कीमत है सवा लाख रुपये
यह इस बात की मिसाल है कि रॉकेट टेक्नोलॉजी के लिए किया जाने वाला काम किस तरह इंसानों की मदद कर सकता है। अगर हृदय काम करना बंद कर दे तो ये उसका विकल्प हो सकता है। यह एक बाइपास पंपिंग सिस्टम मुहैया कराता है। आज ऐसे हार्ट पंप करोड़ों रुपयों में मिलते हैं, लेकिन इसरो का यह पंप बस सवा लाख का है।
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