इस रॉकेट को जून के पहले हफ्ते में लॉन्च किया जाएगा
नई दिल्ली:
भारत में विकसित करीब 200 बड़े हाथियों के बराबर वजन वाला रॉकेट ‘भारतीय जमीन से भारतीयों को अंतरिक्ष में पहुंचा सकता है.’ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित रॉकेट केंद्र पर देश के सबसे आधुनिक और भारी जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क तीन (जीएसएलवी एमके-3) को रखा गया है जो अब तक के सबसे वजनदार उपग्रहों को ले जाने में सक्षम है. इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विश्व के कई करोड़ डॉलर के प्रक्षेपण बाजार में मजबूत स्थिति बना ली है.
हालांकि जीएसएलवी-एमके तीन का यह पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण है लेकिन अगर सबकुछ योजना के अनुरूप चलता है तो एक दशक या कम-से-कम आधा दर्जन सफल प्रक्षेपण के बाद इस रॉकेट को धरती से भारतीयों को अंतरिक्ष में पहुंचाने वाले’ सबसे उपयुक्त विकल्प के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है.
यह रॉकेट पृथ्वी की कम ऊंचाई वाली कक्षा तक आठ टन वजन ले जाने में सक्षम है जो भारत के चालक दल को ले जाने के लिए लिहाज से पर्याप्त है. इसरो पहले ही अंतरिक्ष में दो-तीन सदस्यीय चालक दल भेजने की योजना तैयार कर चुका है और उसे बस इस बाबत सरकार द्वारा तीन-चार अरब डॉलर की राशि आवंटित किए जाने का इंतजार है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हालांकि जीएसएलवी-एमके तीन का यह पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण है लेकिन अगर सबकुछ योजना के अनुरूप चलता है तो एक दशक या कम-से-कम आधा दर्जन सफल प्रक्षेपण के बाद इस रॉकेट को धरती से भारतीयों को अंतरिक्ष में पहुंचाने वाले’ सबसे उपयुक्त विकल्प के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है.
यह रॉकेट पृथ्वी की कम ऊंचाई वाली कक्षा तक आठ टन वजन ले जाने में सक्षम है जो भारत के चालक दल को ले जाने के लिए लिहाज से पर्याप्त है. इसरो पहले ही अंतरिक्ष में दो-तीन सदस्यीय चालक दल भेजने की योजना तैयार कर चुका है और उसे बस इस बाबत सरकार द्वारा तीन-चार अरब डॉलर की राशि आवंटित किए जाने का इंतजार है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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