मुंबई / नई दिल्ली:
बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी की कंपनी को लेकर ताजा खुलासों के मुताबिक गडकरी ने उसी फर्म को उधार दिया, जिसने उनके पूर्ति समूह में पैसा लगाया था। रिजेंसी एक्वीफिन नाम की कंपनी ने गडकरी की कंपनी के चार करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
रिजेंसी इक्वीफिन की बैलेंस शीट कहती है कि गडकरी ने उन्हें 26 लाख रुपये उधार दिए। घाटे में चल रही पूर्ति कंपनी ने बाद में रिजेंसी इक्वीफिन को 95 लाख रुपये का लोन दिया।
उधर, आयकर विभाग ने मुंबई और पुणे में गडकरी की कंपनी पूर्ति पॉवर एंड शुगर लिमिटेड के खातों की जांच शुरू कर दी है। आयकर विभाग इस सिलसिले में जल्दी ही सेंट्रल बोर्ड ऑफ डाइरेक्ट टैक्सेज को रिपोर्ट सौंपेगा। आयकर विभाग गडकरी की कंपनी को मिले फंड के स्रोत का पता करेगा, साथ ही उन 18 कंपनियों की पड़ताल करेगा, जिन्होंने पूर्ति में पैसा लगाया था।
जल्दी ही इन कंपनियों को भी पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। पहली नजर में यह लग रहा है कि पूर्ति में पैसा लगाने वाली कई कंपनियां फर्जी थीं। जरूरत पड़ने पर आयकर अधिकारी नितिन गडकरी को भी पूछताछ के लिए बुला सकते हैं।
एनडीटीवी को यह भी खबर मिली है कि गडकरी की कंपनियों में पैसा लगाने के मामले में केंद्र के कंपनी मामलों के मंत्रालय ने जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि शुरुआती जांच नागपुर और मुंबई में कंपनी रजिस्ट्रार कर रहे हैं। जांच में कोई खामी पाए जाने पर गडकरी की कंपनियों के मामले की जांच कंपनी मामलों के मंत्रालय की स्पेशल फ्रॉड यूनिट को सौंपी जा सकती है।
वहीं बीजेपी ने साफ किया है कि अपनी कंपनी को लेकर विवादों में आए नितिन गडकरी इस्तीफा नहीं देंगे। इस पूरे मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी गडकरी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। आरएसएस को लग रहा है कि गडकरी पर लगे आरोप राजनीतिक हैं और यूपीए सरकार भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर रही है।
बीजेपी के सभी आला नेता भी एकसुर में अपने अध्यक्ष के बचाव में लगे हुए हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि बीजेपी अभी गडकरी के बारे में कोई फैसला कर हिमाचल प्रदेश चुनावों में मुद्दा नहीं बनाना चाहती है, लेकिन इतना जरूर है कि दिसंबर में कार्यकाल खत्म होने के बाद गडकरी का दोबारा बीजेपी अध्यक्ष बनना अब मुश्किल लगता है।
रिजेंसी इक्वीफिन की बैलेंस शीट कहती है कि गडकरी ने उन्हें 26 लाख रुपये उधार दिए। घाटे में चल रही पूर्ति कंपनी ने बाद में रिजेंसी इक्वीफिन को 95 लाख रुपये का लोन दिया।
उधर, आयकर विभाग ने मुंबई और पुणे में गडकरी की कंपनी पूर्ति पॉवर एंड शुगर लिमिटेड के खातों की जांच शुरू कर दी है। आयकर विभाग इस सिलसिले में जल्दी ही सेंट्रल बोर्ड ऑफ डाइरेक्ट टैक्सेज को रिपोर्ट सौंपेगा। आयकर विभाग गडकरी की कंपनी को मिले फंड के स्रोत का पता करेगा, साथ ही उन 18 कंपनियों की पड़ताल करेगा, जिन्होंने पूर्ति में पैसा लगाया था।
जल्दी ही इन कंपनियों को भी पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। पहली नजर में यह लग रहा है कि पूर्ति में पैसा लगाने वाली कई कंपनियां फर्जी थीं। जरूरत पड़ने पर आयकर अधिकारी नितिन गडकरी को भी पूछताछ के लिए बुला सकते हैं।
एनडीटीवी को यह भी खबर मिली है कि गडकरी की कंपनियों में पैसा लगाने के मामले में केंद्र के कंपनी मामलों के मंत्रालय ने जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि शुरुआती जांच नागपुर और मुंबई में कंपनी रजिस्ट्रार कर रहे हैं। जांच में कोई खामी पाए जाने पर गडकरी की कंपनियों के मामले की जांच कंपनी मामलों के मंत्रालय की स्पेशल फ्रॉड यूनिट को सौंपी जा सकती है।
वहीं बीजेपी ने साफ किया है कि अपनी कंपनी को लेकर विवादों में आए नितिन गडकरी इस्तीफा नहीं देंगे। इस पूरे मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी गडकरी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। आरएसएस को लग रहा है कि गडकरी पर लगे आरोप राजनीतिक हैं और यूपीए सरकार भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर रही है।
बीजेपी के सभी आला नेता भी एकसुर में अपने अध्यक्ष के बचाव में लगे हुए हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि बीजेपी अभी गडकरी के बारे में कोई फैसला कर हिमाचल प्रदेश चुनावों में मुद्दा नहीं बनाना चाहती है, लेकिन इतना जरूर है कि दिसंबर में कार्यकाल खत्म होने के बाद गडकरी का दोबारा बीजेपी अध्यक्ष बनना अब मुश्किल लगता है।
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