अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : दुर्गम सीमा पर डटे रहने वाले इस जवान ने बेटी के लिए गाया अनूठा गीत, देखें- VIDEO

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान अर्जुन खेरियल ने गीत ‘लाड़ो, लाड़ो मेरी, लाड़ो...’ न सिर्फ लिखा है बल्कि इसकी धुन बनाने के साथ-साथ इसे गाया भी

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : दुर्गम सीमा पर डटे रहने वाले इस जवान ने बेटी के लिए गाया अनूठा गीत, देखें- VIDEO

आईटीबीपी के हेड कांस्टेबल अर्जुन खेरियल ने बेटियों को समर्पित गीत लिखा और गाया है.

खास बातें

  • आईटीबीपी के जवान का खास गाना बेटियों को समर्पित
  • मधुर गीत की शब्द रचना भी दिल को छूने वाली
  • महिला दिवस पर देश की बेटियों को समर्पित गीत
नई दिल्ली:

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवान वैसे को दुर्गम सीमा पर मुस्तैदी से कर्तव्य निभाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन जान की बाजी लगाने वाले ये जवान कितने संवेदनशील भी होते हैं, इसका अहसास एक गाने को सुनकर हो जाता है जो अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रिलीज हुआ है. आईटीबीपी के हेड कांस्टेबल अर्जुन खेरियल ने यह गीत न सिर्फ लिखा है बल्कि इसकी धुन बनाने के साथ-साथ इसे गाया भी है. गीत ‘लाड़ो, लाड़ो मेरी, लाड़ो...' इतना मधुर है कि इसे सुनकर यह कल्पना नहीं की जा सकती कि यह कोई व्यवसायिक गायक नहीं बल्कि आईटीबीपी का एक जवान गा रहा है.             

देश की बेटियों को समर्पित गीत ‘लाड़ो, लाड़ो मेरी, लाड़ो...' न सिर्फ मधुर है बल्कि इसकी शब्द रचना भी दिल को छूने वाली है. सीमा पर विषम परिस्थितियों में कर्तव्य निभाने वाले जवान, उनके परिवार और उनकी बेटियां, यह सब कुछ इस गीत के तानेबाने में शामिल है. जवान अर्जुन खेरियल ने इस गीत के जरिए देश के उत्थान और विकास में देश की बेटियों के योगदान को स्पष्ट किया है. एक सैनिक की बेटी के माध्यम से इस गीत में हिमवीर की भावनाओं, ड्यूटी और सुरक्षा बलों की दृढ़ता का चित्रण है. गीत के माध्यम से जवानों और बेटियों की भावनाओं को बहुत संजीदगी से उठाया गया है.

भारत सरकार का अभियान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' पूरे जोर शोर से चलाया जा रहा है. हेड कांस्टेबल अर्जुन खेरियल ने बेटी पर आधारित एक गाना जिसके बोल हैं, ‘मेरी लाडो...' स्वयं लिखा है और उन्होंने उसे खुद कंपोज करने साथ अपनी आवाज भी दी है. अर्जुन खेरियल ने यह गाना महिला दिवस के उपलक्ष्य में देश की बेटियों को समर्पित करते हुए गाया गया है.

गीत में शहीदों, उनके परिवारों और बेटियों का भी जिक्र है और बेटियों को संदेश है कि अगर उसके पापा कर्तव्य पथ पर देश की सेवा में शहीद भी हो जाएं तो हमेशा ये समझे कि उनका साया बेटी पर हमेशा आशीर्वाद बनकर बना रहेगा. बेटियों को पढ़ाने, उन्हें काबिल बनाने का संदेश भी गीत के माध्यम से दिया गया है.

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देश में नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. सुरक्षा बलों में भी महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हुई है.

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आईटीबीपी देश का अग्रणी अर्धसैनिक बल है. इस बल के जवान अपनी कड़ी ट्रेनिंग एवं व्यवसायिक दक्षता के लिए जाने जाते हैं. वे किसी भी हालात व चुनौती का मुकाबला करने के लिए हर समय तत्पर रहते हैं. वर्षभर हिमालय की गोद में बर्फ से ढंकी अग्रिम चौकियों पर रहकर देश की सेवा करना इनका मूल कर्तव्य है, इसलिए इनको ‘हिमवीर' के नाम से भी जाना जाता है.

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आईटीबीपी में महिलाओं की संख्या 2000 से अधिक है. वर्ष 2017 से भारत-चीन सीमा पर बल की दुर्गम अग्रिम चौकियों पर महिलाओं की तैनाती की जा रही है जो नारी सशक्तिकरण का ज्वलंत उदाहरण है. इन सीमाओं पर तापमान शून्य से 45 डिग्री तक नीचे चला जाता है और ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है.