विज्ञापन
This Article is From Feb 27, 2021

जिनसे प्रेरित होकर बनाई गई फिल्म 'थ्री ईडियट' उन्होंने सेना के लिए बनाया सोलर हीटेड टेंट

आविष्कारक और शिक्षाविद सोनम वांगचुक ने सैनिकों के लिए सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाले टेंट विकसित किए, लद्दाख के सियाचिन एवं गलवान घाटी जैसे अति ठंडे इलाकों में उपयोगी

जिनसे प्रेरित होकर बनाई गई फिल्म 'थ्री ईडियट' उन्होंने सेना के लिए बनाया सोलर हीटेड टेंट
सोनम वांगचुक ने सेना के लिए सौर ऊर्जा से गर्म होने वाले पर्यावरण अनुकूल टेंट विकसित किए हैं.
श्रीनगर:

आविष्कारक एवं शिक्षाविद सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाला पर्यावरण अनुकूल तम्बू (Tent) विकसित किए हैं जिसका इस्तेमाल सेना (Army) के जवान लद्दाख के सियाचिन एवं गलवान घाटी जैसे अति ठंडे इलाके में कर सकते हैं. बता दें कि बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म ‘थ्री इडियट्स' (3 Idiots) में फुंगसुक वांगडू का किरदार वांगचुक पर ही आधारित था. वांगचुक ने कई पर्यावरण अनुकूल अविष्कार किए हैं. उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाले सैन्य टेंट जीवाश्म ईंधन बचाएंगे जिसका पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है और साथ ही सैनिकों की सुरक्षा भी बढ़ाएंगे.

वांगुचुक ने बताया, ‘‘ये टेंट दिन में सौर ऊर्जा को जमा कर लेते हैं और रात को सैनिकों के लिए सोने के गर्म चेम्बर की तरह काम करते हैं. चूंकि इसमें जीवश्म ईंधन का इस्तेमाल नहीं होता है, इसलिए इससे पैसे बचने के साथ-साथ उत्सर्जन भी नहीं होता है.'' अविष्कारक ने बताया कि सैन्य टेंट में सोने के चेम्बर का तापमान ऊष्मारोधी परत की संख्या को कम या ज्यादा कर बढ़ाया एवं घटाया जा सकता है.

वांगचुक ने बताया, ‘‘सोने के चेम्बर में चार परत होती है और बाहर शून्य से 14 डिग्री सेल्सियस कम तापमान होने पर इसमें 15 डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है. गर्म स्थानों पर परतों की संख्या घटाई जा सकती है.''

उन्होंने कहा कि टेंट के भीतर बहुत आरामदायक तापमान नहीं होना चाहिए क्योंकि सैनिकों को खुले में दुश्मनों से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि गलवान घाटी जैसे इलाकों में शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान होता है.
लद्दाख में भारत-चीन के बीच सीमा पर हुए गतिरोध का संदर्भ देते हुए वांगचुक ने बताया कि उन्होंने सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाले टेंट के शुरुआती संस्करण 15 साल पहले पश्मीना बकरियों के चरवाहों के लिए बनाए थे.

वांगचुक ने नए टेंट को प्रारूप का संदर्भ देते हुए कहा कि इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है और इसमें 10 सैनिक रह सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ टेंट का कोई भी हिस्सा 30 किलोग्राम से अधिक वजनी नहीं है, जिससे आसानी से इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है. टेंट को 30 से 40 हिस्सों में अलग-अलग किया जा सकता है.''

वांगचुक ने कहा कि अति हल्के अल्युमिनियम का इस्तेमाल कर टेंट के प्रत्येक हिस्से का वजन 20 किलोग्राम तक लाया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा प्रोटोटाइप से वह संस्करण महंगा होगा.'' वांगचुक ने स्वीकार किया कि सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाले टेंट का विकास करने में सेना ने मदद की.

NDTV Exclusive: विक्रम लैंडर का अफसोस नहीं, गम है कि ढाई लाख 'विक्रम' अपनी मांओं की गोद में मर रहे- सोनम वांगचुक

उन्होंने कहा, ‘‘इसे सेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है.'' वांगचुक ने बताया कि हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टर्नटिव, लद्दाख (एचआईएएल) की उनकी टीम ने इस टेंट के प्रोटोटाइप को एक महीने में तैयार किया.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com