प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
भारत को रक्षा तकनीक के विकास में एक और उपलब्धि हासिल हुई है. स्वदेशी रूप से विकसित हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस ने हवा से हवा में मार करने वाली बीवीआर मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इसने एक प्रभावी जंगी जेट के तौर पर अपनी पूरी क्षमता प्रदर्शित की तथा वह अंतिम परिचालन मंजूरी हासिल करने के बिल्कुल करीब पहुंच गया है.
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को गोवा में समुद्र तट के पास परीक्षण के तौर पर तेजस से इस मिसाइल को दागा गया जो अपनी सभी परिचालन जरूरतों पर खरी उतरी. इससे पहले तेजस को सैन्य हथियारों और अन्य मिसाइलों से लैस करने की मंजूरी दी गई थी. भारतीय वायुसेना ने 40 तेजस मार्क -1 संस्करण का आर्डर दिया था. वायुसेना ने फिर दिसंबर में करीब 50,000 करोड़ रुपये की लागत से 83 और तेजस की खरीद के लिए एचएएल को अनुरोध प्रस्ताव दिया था.
यह भी पढ़ें : पाक का जेएफ 17 विमान वर्तमान का, लेकिन तेजस भविष्य का है : वायुसेना प्रमुख
अधिकारियों का कहना है कि बीवीआर मिसाइल के सफल परीक्षण से इस विमान को अंतिम परिचालन मंजूरी मिलने में तेजी आएगी. उसे सरकारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की एयरोनॉटिक्स डेवलपमेंट एजेंसी ने मिलकर तैयार किया है. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा , ‘‘हल्के जंगी विमान ने मारक क्षमता में विस्तार तथा अपने सुरक्षित परिचालन को प्रदर्शित करने के लिए हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी बीवीआर मिसाइल को सफलतापूर्वक दागा.’’ उसे कल गोवा में समुद्रतट के पास एलसीए से दागा गया. एलसीए की कमान विंग कमांडर सिद्धार्थ सिंह के हाथों में थी.
VIDEO : स्वदेशी लड़ाकू विमान सक्षम
इस परीक्षण से पहले मिसाइल पृथक्करण लक्षणों का गहन अध्ययन किया गया. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने तेजस को विश्वस्तरीय विमान बनाने के लिए डीआरडीओ और अन्य एजेंसियों को बधाई दी. डीआरडीओ के अध्यक्ष एस क्रिस्टोफर ने कहा कि इस परीक्षण के साथ ही तेजस ने एफओसी प्रमाणन की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम उठाया है. जिस तेजस ने मिसाइल दागा उसके साथ दो और तेजस थे ताकि इस घटना को उच्च क्षमता वाले कैमरों से कैद किया जा सके और उसका इस मिसाइल के परीक्षण के संदर्भ विस्तृत विश्लेषण किया जा सके.
(इनपुट भाषा से)
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को गोवा में समुद्र तट के पास परीक्षण के तौर पर तेजस से इस मिसाइल को दागा गया जो अपनी सभी परिचालन जरूरतों पर खरी उतरी. इससे पहले तेजस को सैन्य हथियारों और अन्य मिसाइलों से लैस करने की मंजूरी दी गई थी. भारतीय वायुसेना ने 40 तेजस मार्क -1 संस्करण का आर्डर दिया था. वायुसेना ने फिर दिसंबर में करीब 50,000 करोड़ रुपये की लागत से 83 और तेजस की खरीद के लिए एचएएल को अनुरोध प्रस्ताव दिया था.
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अधिकारियों का कहना है कि बीवीआर मिसाइल के सफल परीक्षण से इस विमान को अंतिम परिचालन मंजूरी मिलने में तेजी आएगी. उसे सरकारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की एयरोनॉटिक्स डेवलपमेंट एजेंसी ने मिलकर तैयार किया है. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा , ‘‘हल्के जंगी विमान ने मारक क्षमता में विस्तार तथा अपने सुरक्षित परिचालन को प्रदर्शित करने के लिए हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी बीवीआर मिसाइल को सफलतापूर्वक दागा.’’ उसे कल गोवा में समुद्रतट के पास एलसीए से दागा गया. एलसीए की कमान विंग कमांडर सिद्धार्थ सिंह के हाथों में थी.
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इस परीक्षण से पहले मिसाइल पृथक्करण लक्षणों का गहन अध्ययन किया गया. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने तेजस को विश्वस्तरीय विमान बनाने के लिए डीआरडीओ और अन्य एजेंसियों को बधाई दी. डीआरडीओ के अध्यक्ष एस क्रिस्टोफर ने कहा कि इस परीक्षण के साथ ही तेजस ने एफओसी प्रमाणन की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम उठाया है. जिस तेजस ने मिसाइल दागा उसके साथ दो और तेजस थे ताकि इस घटना को उच्च क्षमता वाले कैमरों से कैद किया जा सके और उसका इस मिसाइल के परीक्षण के संदर्भ विस्तृत विश्लेषण किया जा सके.
(इनपुट भाषा से)
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