विज्ञापन
This Article is From Jan 27, 2016

मुस्लिम कट्टरपंथियों की तरह बर्ताव कर रहे हैं कुछ हिंदू समूह : जावेद अख्तर

मुस्लिम कट्टरपंथियों की तरह बर्ताव कर रहे हैं कुछ हिंदू समूह : जावेद अख्तर
मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्‍तर (फाइल फोटो)
कोलकाता: मशहूर गीतकार एवं पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने कहा है कि कुछ हिंदू समूह अब मुस्लिम कट्टरपंथियों की तरह बर्ताव कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि यदि इस प्रकार के तत्वों को छोड़ दिया जाए तो भारतीय समाज हमेशा सहिष्णु रहा है।

हिंदू नहीं, ये कुछ हिंदू समूह हैं
अख्तर ने कल रात यहां एक साहित्य समारोह में कहा, 'मैंने 1975 में मंदिर में एक हास्य दृश्य दिखाया था। मैं आज ऐसा नहीं करूंगा लेकिन 1975 में भी मैं मस्जिद में ऐसा दृश्य नहीं दिखाता क्योंकि वहां असहिष्णुता थी। अब दूसरा पक्ष उसकी तरह व्यवहार कर रहा है।' उन्होंने असहिष्णुता पर एक परिचर्चा में कहा, 'अब वे इस जमात में शामिल हो रहे हैं..यह त्रासदीपूर्ण है। हिंदू मत कहिए। यह गलत नुमाइंदगी है। ये कुछ हिंदू समूह हैं।' हालांकि उन्होंने आमिर खान अभिनीत हिंदी फिल्म 'पीके' का उदाहरण देते हुए कहा कि हिंदुओं ने ही इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सफल बनाया।

विवादों के समय हम अपना लेते हैं अतिवादी रुख
सलीम खान के साथ मिलकर 'शोले', 'डॉन', 'सीता और गीता' और 'दीवार' समेत बॉलीवुड की कई सफल फिल्मों की पटकथा लिखने वाले अख्तर ने कहा, 'मुझे वाकई इस बात को लेकर संदेह है कि यदि आप किसी इस्लामी देश में मुस्लिम प्रतीकों को लेकर इसी प्रकार की फिल्म बनाएंगे तो क्या वह सुपरहिट होगी।' उन्होंने कहा, 'हम विवादों की स्थिति में अतिवादी रुख अपना लेते हैं।' अख्तर ने कहा, 'कुछ लोगों का कहना है कि समाज में असहिष्णुता खतरे के स्तर पर पहुंच गई है। मुझे इस बात पर भरोसा नहीं है। कुछ लोग हैं जो कहते हैं कि कोई असहिष्णुता नहीं है। मुझे उन पर भी भरोसा नहीं है। असलियत इस दोनों स्थितियों के बीच है। सच्चाई यह है कि भारतीय समाज हमेशा ये सहिष्णु था और है। समाज के कुछ ऐसे वर्ग हैं जो हमेशा भिड़े रहते हैं।' हालांकि उनके अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला देश में कोई नया चलन नहीं है।

अपना साहित्‍य अकादमी अवार्ड लौटाने से किया इनकार
अख्तर ने कहा, 'अभिव्यक्ति की आजादी पर हमेशा किसी न किसी तरह का हमला होता रहा है। हम एक लेख में और सम्मेलन में कोई बात कह सकते हैं लेकिन आप एक डॉक्यूमेंट्री और एक फीचर फिल्म में वही बात नहीं कह सकते। यह हमेशा से ऐसा ही रहा है।'कुछ लेखकों की 'पुरस्कार वापसी' मुहिम के बीच उन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'क्योंकि मैं जानता हूं कि यह पुरस्कार मुझे लेखकों ने दिया है तो मुझे इसे क्यों लौटाना चाहिए?' अख्तर ने कहा कि लेखक इस जूरी का हिस्सा होते हैं, न कि पुलिसकर्मी या नौकरशाह।

रस्किन बांड भी अकादमी पुरस्‍कार लौटाने के पक्ष में नहीं
उन्होंने कहा, 'मैं नयनतारा सहगल (के मामले) को समझता हूं। उन्होंने लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा नहीं किया। शायद उन्हें लगा कि इस तरह वह विरोध जाहिर कर सकती हैं।' लेखक रस्किन बॉन्ड ने कहा कि साहित्य निकाय लोगों की हत्या होने से नहीं रोक सकता। उन्होंने भी अपना अकादमी पुरस्कार लौटाने से इनकार कर दिया है। अभिनेत्री से लेखिका बनीं नंदना सेन ने कहा कि एमएम कलबुर्गी, नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे जैसे स्वतंत्र विचारकों पर पिछले 12 महीनों में कई संगठित हमले हुए हैं जो काफी परेशान करने वाली बात है।

असहिष्णुता पर सार्वजनिक तौर पर अपने विचार रखने वाले लोगों की निंदा किए जाने पर उनके विचारों के बारे में पूछे जाने पर नंदना ने कहा, 'न तो मेरे पिता और न ही मेरी मां को अलोकप्रिय होने का डर है।' नंदना अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन और लेखिका नब्नीता देव सेन की बेटी हैं।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com