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This Article is From Jul 05, 2014

'आतंकियों ने हमसे कहा, आप हमारी बहनों जैसी हैं'

'आतंकियों ने हमसे कहा, आप हमारी बहनों जैसी हैं'
कोच्चि:

युद्ध से जर्जर इराक में तकरीबन एक माह सांसत में बिताने के बाद आज वतन लौटीं ज्यादातर नर्सें अब इराक नहीं लौटना चाहतीं। हालांकि उन्होंने इराक में कहर बरपा रहे आईएसआईएस आतंकवादियों की अलग ही तस्वीर पेश की। इन नर्सों के मुताबिक अगवा किए जाने के बाद आंतकवादियों ने उन्हें बहन की तरह रखा।

45 अन्य नर्सों के साथ कोच्चि हवाई अड्डे पहुंची सैंड्रा सेबेश्चियन ने कहा, 'हम वापस नहीं जाएंगे। वापस जाने का कोई सवाल ही नहीं है। हम अपनी जान एक बार फिर दांव पर लगाने के लिए तैयार नहीं हैं।'

हालांकि सैंड्रा ने बताया कि 3 जुलाई को उग्रवादियों ने उन्हें बैग पैक करने और रवाना होने के लिए सिर्फ 15 मिनट का समय दिया। उसने कहा, 'उन्होंने हमसे कहा कि आप सभी हमारी बहन की तरह हैं। आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। लेकिन हमने उनपर भरोसा नहीं किया।'

सैंड्रा ने बताया कि तिकरित से मोसुल तक के 7 घंटे के सफर में उनके साथ कुछ हथियारबंद डाक्टर भी थे। वे चार बसों में दोपहर 12 बजे रवाना हुए और शाम 7 बजे मोसुल पहुंचे।

आईएसआईएस उग्रवादियों के हाथों बंधक बनाए जाने पर सैंड्रा और एक अन्य नर्स नीनू जोस ने कहा कि उन्हें वहां से पहले ही जाने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था, क्योंकि भारतीय दूतावास ने उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं दी थी। नीनू ने बताया कि उन्हें खाना दिया गया और सोने के लिए बिस्तर का इंतजाम किया गया।

कोट्टायम से ताल्लुक रखने वाली सैंड्रा ने बताया कि वह पिछले साल 16 अगस्त को इराक गई थी। उसे और अन्य नर्सों को पिछले चार महीने से गवर्नमेंट तिकरित ट्रेनिंग हास्पिटल से तनख्वाह नहीं मिली।

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