Coronavirus: भारत को 5 लाख टेस्टिंग किट सप्लाई करेगा द. कोरिया

द. कोरिया में भारत की राजदूत श्रीप्रिया रंगनाथन ने बुसान में रहने वाले अमित गुप्ता को NDTV के लिए दिए गए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में भारत-द.कोरिया के आपसी रिश्ते के क्या बड़े फ़ायदे हो रहे हैं.

बुसान:

द. कोरिया से 5 लाख कोविड टेस्टिंग किट भारत आ रहे हैं. सिओल की एक कंपनी ह्यूमासिस और भारतीय दूतावास के बीच क़रार की वजह से ये मुमकिन हो पाया है. इसके अलावा वहां से पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट यानी PPE मंगवाने की कवायद भी शुरू हो गई है. द. कोरिया में भारत की राजदूत श्रीप्रिया रंगनाथन ने बुसान में रहने वाले अमित गुप्ता को NDTV के लिए दिए गए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में भारत-द.कोरिया के आपसी रिश्ते के क्या बड़े फ़ायदे हो रहे हैं.

सवाल: द.कोरिया ने बहुत हद तक कोरोना की महामारी को रोकने में पूरी दुनिया में (एक) मिसाल पेश की है. भारत और द.कोरिया के संबंध पहले से ही घनिष्ठ रहे हैं. अपने पहले कार्यकाल में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार द.कोरिया आ चुके हैं. दोनों देश इस महामारी को रोकने में कैसे एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं?

श्रीप्रिया रंगनाथन: आपने बिल्कुल सही कहा, भारत और द.कोरिया के बीच संबंध बहुत गहरे हैं. बहुत मज़बूत रिश्ते हैं. पिछले पांच सालों में इसके मायने और बड़े हुए हैं. हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और द.कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन के बीच मे एक पर्सनल फ़्रेंडशिप भी है जिसके बुनियाद पर इस रिश्ते को बहुत आगे ला जा सकते हैं. हम ये भी उम्मीद करते हैं कि द.कोरिया की 'न्यू साउदर्न पॉलिसी' और भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के आपसी सहयोग एक-दूसरे की मददगार रिश्तों से दोनों देशों को बहुत फ़ायदा हो सकता है. इसी के तहत मुझे उम्मीद है कि कोविड-19 की चुनौतियों से निबटने में बड़ा फ़ायदा हो सकता है.

सवाल: कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री मोदी और द.कोरियाई राष्ट्रपति मून जेई-इन के बीच टेलिफ़ोन पर बात भी हुई है...
श्रीप्रिया रंगनाथन: जी हां, पिछले हफ़्ते दोनों नेताओं के बीच बात हुई थी...दोनों नेताओं ने कहा है कि जितना हो सके दोनों एक-दूसरे की मदद करेंगे. ये भी फ़ैसला किया गया कि दोनों देशों के हेल्थ केयर एक्सपर्ट्स या रिसर्च एक्सपर्ट्स जो इस दौर में काम कर रहे हैं उनमें आपसी तालमेल कायम होगा. ताकि सूचनाएं और बेस्ट प्रैक्टिसेज़ एक-दूसरे को बांट सकें.

सवाल: भारत सरकार और द.कोरियाई सरकार के बीच जो साझेदारी हुई है उसमें यहां दूतावास का रोल क्या है?  
श्रीप्रिया रंगनाथन: हम द.कोरिया के अनुभव, तौर-तरीकों के बारे में भारतीय एजेंसीज़ को बताते रहते हैं. यहां जो कंपनियां ज़रूरी मेडिकल सामान या मेडिकल इक्विपमेंट्स बनाती हैं, उसके बारे में भी बताते रहते हैं. इन सबके दाम, कंपनी की विश्वसनीयता और दूसरी ज़रूरी जानकारियां भी देते रहते हैं. हमसे विदेश मंत्रालय के अलावा कई राज्य सरकारें भी हैं जो इस कोरियाई मॉडल की कामयाबी के बारे में जानकारी हासिल कर रही हैं. हम ज़रूरत पड़ने पर भारत के लिए मोल-भाव करने की कोशिश भी करते हैं. ये सब लगातर चलता रहता है.

सवाल: द. कोरिया में जो भारतीय रह रहे हैं उनका इस महामारी से कैसे बचाव हुआ है?
श्रीप्रिया रंगनाथन: हम खुशकिस्मत हैं कि यहां हमारी कम्यूनिटी में एक भी कोविड पॉज़िटिव नहीं निकला है. सबने कोरियाई सरकार के सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियम का अच्छी तरह पालन किया है, जिससे ज़रूर बचाव हुआ है. एंबैसी की तरफ़ से भी हम लगातार कोशिश कर रहे हैं. सभी को जानकारियां देते रहते हैं. इसके अलावा हमने भारतीय छात्रों और दूसरे ज़रूरतमंद लोगों के बीच मास्क भी बांटे हैं.

सवाल: क्या कोरोना से लड़ने का द.कोरियाई मॉडल भारत में लागू किया जा सकता है? यहां पहले नए मामलों की संख्या 25 से 30 के बीच आ गई थी और अब 5 से भी कम होती जा रही है..
श्रीप्रिया रंगनाथन: द.कोरिया का मॉडल इस आउटब्रेक को कंट्रोल करने में पूरे विश्व में एक मिसाल बन गया है. इनकी 3T यानी- ट्रैकिंग, टेस्ट और ट्रीटमेंट की रणनीति बहुत प्रभावी रही है. मुझे पूरा विश्वास है कि इनमें से जिसे भी व्यवहारिक तौर पर भारत में लागू किया जा सकता है, उसे ज़रूर लागू किया जाएगा.

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सवाल: भारत में मेडिकल स्टाफ़, डॉक्टर, कर्मचारियों ने PPE और मास्क की कमी महसूस की जा रही है. इस बारे में भारत और द.कोरि.या के बीच कोई बात बनी है?
श्रीप्रिया रंगनाथन: भारतीय एजेंसीज़ पहले ही PPE और कोविड टेस्ट-किट खरीद लिए हैं. अभी ह्यूमासिस के साथ 5 लाख किट का नया क़रार भी हुआ है. आगे के लिए भी ऑर्डर दिये जा रहे हैं. मास्क का आउटसोर्सिंग नहीं हुआ है. क्योंकि, फ़िलहाल द.कोरियाई गवर्नमेंट ने मास्क के निर्यात पर बैन लगाया हुआ है. द.कोरिया ने उत्पादन और अपना स्केल बढ़ाया है जिसके लिए हम उनके बहुत आभारी हैं. हिन्दुस्तान में इसकी ज़रूरत है.