
हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की वृहद भूमिका पर बल देते हुए रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने रविवार को कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित कर रहा है और साथ ही अपनी क्षमता में भी विकास कर रहा है।
पर्रिकर ने पत्रकारों से कहा, "मेरा मानना है कि मुझे अच्छा होना पड़ेगा और पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने होंगे। मैंने इस दिशा में पहल करते हुए पड़ोसी देशों के साथ संयुक्त अभ्यास, चर्चा और प्रशिक्षण शुरू भी कर दिया है।"
उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपने पड़ोसी देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करने पर भी विचार कर रही है।
पर्रिकर ने कहा, "तकरीबन 38 देश भारत में अभ्यास के लिए अपने रक्षा कर्मियों को भेजते हैं। हम उन्हें और प्रोत्साहित कर रहे हैं। हम उनके लिए अधिक अवसर बना रहे हैं। हम कुछ रक्षा उपकरणों को निर्यात या क्रेडिट पर पड़ोसी देशों को भेजने पर भी विचार कर रहे हैं, ताकि वे अपनी रक्षा जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर हो सकें।"
रक्षामंत्री ने कहा कि सर्वोत्तम सुरक्षा खुद को मजबूत बनाना है।
उन्होंने कहा, "कमजोर से किसी को कोई डर नहीं रहता, जबकि सभी मजबूत पक्ष को तवज्जो देते हैं। हम खुद को मजबूत बनाएंगे, जिसके लिए हमने कई कार्य योजनाएं बनाई हैं ताकि सुरक्षा बलों का हौसला बुलंद बने।"
पर्रिकर ने हालांकि यह भी कहा कि हमारा लक्ष्य भारत को डराने वाले देश की नहीं बल्कि मैत्रीपूर्ण संबंधों के जरिए घनिष्ठता वाले देश की छवि बनाना है।
भारत और हिंद महासागरीय क्षेत्र (आईओआर) विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में पर्रिकर ने कहा कि हिंद महासागरीय क्षेत्र में भारत की स्थिति बेहद महत्वपूर्ण है।
अहिंसा को भारत का मजबूत पक्ष बताते हुए पर्रिकर ने कहा कि ताकतवर व्यक्ति ही शांति स्थापित कर सकता है।
पर्रिकर ने सम्मेलन में आईओआर देशों का एक समूह स्थापित करने की अपील की, जो आपस में पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक मुद्दों को हल करेंगे।
ओडिशा सरकार द्वारा कलिंगा रेजिमेंट स्थापित करने के प्रस्ताव पर रक्षा मंत्री ने कहा, "आप किसी रेजीमेंट को जाति या क्षेत्र के आधार पर स्थापित नहीं कर सकते। लेकिन हम राज्य में रक्षा बलों की उपस्थिति को मजबूत करने में मदद जरूर कर सकते हैं।"
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