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This Article is From Aug 18, 2016

भारत बिना देर किए अंतरिक्ष में मानवयुक्त यान भेजने की तैयारी शुरू करे : वैज्ञानिक माधवन नायर

भारत बिना देर किए अंतरिक्ष में मानवयुक्त यान भेजने की तैयारी शुरू करे : वैज्ञानिक माधवन नायर
प्रतीकात्मक फोटो
हैदराबाद: प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक जी माधवन नायर ने कहा है कि भारत को बिना देर किए मानवयुक्त अंतरिक्ष यान भेजने की दिशा में काम शुरू कर देना चाहिए. इस तरह का कदम इसरो की समूची अनुसंधान गतिविधियों को नया ‘‘जीवन और शक्ति’’ प्रदान करने वाला होगा.

नायर ने अभियान पर सरकार के रवैए को ‘‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताते हुए कहा कि सरकार ने अब तक इस अभियान के लिए औपचारिक मंजूरी नहीं दी है, जबकि एक दशक पहले इसरो ने एक बैठक बुलाई थी जिसमें 80 वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया था और इन सभी ने इस तरह की परियोजना शुरू करने का समर्थन किया था.

सात नवंबर 2006 को वैज्ञानिकों की इस बैठक में सर्वसम्मति से यह सुझाव दिया गया था कि इस तरह का अभियान शुरू करने के लिए यह बेहद उपयुक्त समय है. शुरुआत में इस कार्य के संदर्भ में आठ वर्ष की अवधि के लिए प्रारंभिक अनुमानित लागत 10,000 करोड़ रुपये रखी गई थी. संसद के हालिया सत्र में केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने कहा था कि अब तक इस अभियान को सरकार से मंजूरी नहीं मिली है और इस वक्त इसरो भविष्य की क्षमता निर्माण को लेकर ऐसे ही एक यान के लिए प्रासंगिक अहम प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहा है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष नायर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह (मानवयुक्त अंतरिक्ष यान अभियान) अगला ठोस कदम है जो विश्व की अंतरिक्ष बिरादरी में हमारी स्थिति और मजबूत करेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे हाथ से मौका फिसल गया. लेकिन मैं यही कहूंगा कि अब भी देर नहीं हुई है और जो रकम हम ले रहे हैं वह बहुत कम है, मसलन पांच-छह साल में 10,000 करोड़ रुपये से लेकर 15,000 करोड़ रुपये तक की जो राशि खर्च होगी, उतनी रकम भारत पूरी तरह से वहन कर सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह इसरो की समूची अनुसंधान गतिविधियों को नया जीवन और शक्ति प्रदान करेगा. यह महज पीएसएलवी और उपग्रहों का अंतरिक्ष में प्रक्षेपण जैसा नहीं है. हां, वहां ऐसा होता है. उद्योग भी ऐसा कर सकते हैं. लेकिन, हमारे अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) को और मजबूत करने की आवश्यकता है.’’

नायर ने दावा किया कि पिछले दो साल में इसरो ने कोई नई शुरुआत नहीं की है. उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी आर एंड डी सेक्टर में जब तक कि आप अपना लक्ष्य ऊंचा नहीं रखते और उसे पूरा करने की दिशा में कुछ चुनौतीपूर्ण नहीं करते हैं तो आप संगठन की पूरी संस्कृति खो देते हैं.’’

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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