प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
भारत ने मोजाम्बिक सरकार से अगले साल से एक लाख टन अरहर दाल खरीदने की पेशकश की है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया है कि पिछले हफ्ते मोजाम्बिक सरकार से बातचीत के दौरान ये प्रस्ताव भारत ने पेश किया। ये पेशकश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगले महीने होने वाली प्रस्तावित मोजाम्बिक यात्रा से ठीक पहले की गयी है। माना जा रहा है प्रधानमंत्री जुलाई के पहले हफ़्ते में वहां जा सकते हैं।
भारत को उम्मीद है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो मोजाम्बिक के खेतों में उगी दाल अगले साल से भारत आने लगेगी। सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि पिछले हफ्ते मोजाम्बिक सरकार से बातचीत के दौरान भारत ने वहां अरहर दाल का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में हर संभव मदद की भी पेशकश की है।
फिलहाल मोजाम्बिक में करीब 60,000 टन अरहर दाल होती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि मोजाम्बिक में अरहर दाल की पैदावार कई गुना बढ़ाना संभव है। बातचीत के दौरान भारत ने अनुरोध किया है कि मोजाम्बिक सरकार हर साल 25,000 टन तक पैदावार बढ़ाए। भारत अगले पांच साल बाद दो लाख टन तक अरहर खरीदने को तैयार होगा।
मोजाम्बिक में होने वाली अरहर दाल भारतीय अरहर दाल से काफी मिलती-जुलती है। भारत मोजाम्बिक से अरहर दाल सालाना सप्लाई करने की तयशुदा गारंटी चाहता है, जिसकी कीमत दोनों देश पहले ही तय कर लें।
दरअसल इस नई पहल के ज़रिये भारत दाल की जमाखोरी और कालाबाज़ारी रोकना चाहता है। अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये नई पहल दाल की कीमतों पर काबू पाने की जद्दोजहद में जुटी मोदी सरकार के लिए कितनी कारगर साबित होती है।
भारत को उम्मीद है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो मोजाम्बिक के खेतों में उगी दाल अगले साल से भारत आने लगेगी। सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि पिछले हफ्ते मोजाम्बिक सरकार से बातचीत के दौरान भारत ने वहां अरहर दाल का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में हर संभव मदद की भी पेशकश की है।
फिलहाल मोजाम्बिक में करीब 60,000 टन अरहर दाल होती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि मोजाम्बिक में अरहर दाल की पैदावार कई गुना बढ़ाना संभव है। बातचीत के दौरान भारत ने अनुरोध किया है कि मोजाम्बिक सरकार हर साल 25,000 टन तक पैदावार बढ़ाए। भारत अगले पांच साल बाद दो लाख टन तक अरहर खरीदने को तैयार होगा।
मोजाम्बिक में होने वाली अरहर दाल भारतीय अरहर दाल से काफी मिलती-जुलती है। भारत मोजाम्बिक से अरहर दाल सालाना सप्लाई करने की तयशुदा गारंटी चाहता है, जिसकी कीमत दोनों देश पहले ही तय कर लें।
दरअसल इस नई पहल के ज़रिये भारत दाल की जमाखोरी और कालाबाज़ारी रोकना चाहता है। अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये नई पहल दाल की कीमतों पर काबू पाने की जद्दोजहद में जुटी मोदी सरकार के लिए कितनी कारगर साबित होती है।
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