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This Article is From Oct 10, 2020

चीन का रुख बदलने तक हुवावेई को 5G की इजाजत न दे भारत, RAW के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद ने बताई अहम बातें

सैन्य और खुफिया एजेंसियों के विशेषज्ञों ने भी हुवावेई (HUAWEI) और जेडटीई (ZTE) जैसी चीनी कंपनियों को भारत में 5G या रक्षा-सुरक्षा से जुड़े अन्य क्षेत्रों में प्रवेश न देने का पक्ष लिया है. भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद ने इसका समर्थन किया है.

चीन का रुख बदलने तक हुवावेई को 5G की इजाजत न दे भारत, RAW के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद ने बताई अहम बातें
हुवावेई को भारत में 5जी क्षेत्र में प्रवेश की इजाजत मिलना मुश्किल

सैन्य और खुफिया एजेंसियों के विशेषज्ञों ने भी हुवावेई (HUAWEI) और जेडटीई (ZTE) जैसी चीनी कंपनियों को भारत में 5G या रक्षा-सुरक्षा से जुड़े अन्य क्षेत्रों में प्रवेश न देने का पक्ष लिया है. भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद ने कहा है कि जब तक चीन का भारत को लेकर रुख नहीं बदलता, हमें ऐसा करना होगा.
सूद ने कहा कि हुवावेई के चेहरे के पीछे चीन सरकार और सेना है. ऐसे संदिग्ध कंपनियों को टेलीकॉम (Telecom) जैसे संवेदनशील क्षेत्र में प्रवेश देना जोखिम भरा है. उनका यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब दूरसंचार कंपनियां 5जी ट्रायल के लिए स्पेक्ट्रम का आवेदन सरकार से मांग रही हैं. हालांकि सरकार ने इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है. सूद की हाल ही में एक किताब 'द अल्टीमेट गोल: अ फॉर्मर रॉ चीफ एंड डिकंस्ट्रक्ट्स हाउ नेशन कंस्ट्रक्ट नेरेटिव्स'  आई थी. इसमें उन्होंने लिखा है कि हुवावे स्वतंत्र कंपनी होने का बहाना करती है, लेकिन हर कोई असलियत जानता है. चीन सरकार हुवावेई को वित्तीय मदद देती है.

कई देशों ने लगाई रोक
भारत ही नहीं, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने हुवावेई और अन्य चीनी कंपनियों पर पाबंदी लगा दी है. सीमा पर गतिरोध के बाद सरकार ने पड़ोसी मुल्क से किसी भी विदेश निवेश को लेकर नियम सख्त कर दिए हैं. टिकटॉक जैसी चीन की कई टेक्नोलॉजी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. हुवावे और जेडटीई को लेकर भारत का रुख सख्त हो गया है.

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कोविड से चीन का चेहरा उजागर
पूर्व इंटेलीजेंस प्रमुख सूद के मुताबिक, कोविड के बाद चीन के चेहरे से नकाब उतर गया है. यह धारणा टूट गई है कि साम्यवादी देश जिम्मेदार है. लेकिन चीन की यह धौंस जमाने वाली नीति 5जी और अन्य क्षेत्रों में चीनी कंपनियों के कारोबारी हितों को गहरी चोट पहुंचाएगी. सूद 31 साल तक खुफिया एजेंसी में सेवाएं देने के बाद मार्च 2003 में सेवानिवृत हो गए थे. 
उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि रहस्य चोरी करना जायज खुफिया गतिविधि का हिस्सा है. लेकिन भारत की दक्षिण एशिया में घेरेबंदी की कोशिश कर रहे चीन का दुश्मनी भरा रवैया है. भारत को भी अपने हितों का ख्याल रखना होगा.

चीन और अमेरिका के बीच टकराव बढ़ेगा
सूद ने आशंका जताई कि आने वाले दिनों में चीन और अमेरिका के बीच टकराव बढ़ेगा. कोविड काल में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की साख गिरी है. इन पर चीन का दबाव साफ देखा जा रहा है.


 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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