नई दिल्ली:
भारत ने वैश्विक साइबर हमलों से निपटने के लिए अपनी व्यवस्था को चाक चौबंद की है जिनसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े भौतिक और आर्थिक पहलु प्रभावित हो सकते हैं।
इस पहल का उस खुलासे के बाद काफी महत्व बढ़ जाता है कि अमेरिका की नेशनल सिक्यूरिटी सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) लगभग सभी अमेरिकी इंटरनेट कंपनी के आंकड़ों का उपयोग कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल और सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने दो नीतियों को मंजूरी दे दी है जिसमें राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा ढांचा और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति शामिल है।
उन्होंने कहा कि इसमें निजी सार्वजनिक साझेदारी होगी जो साइबर जगत और आपात स्थिति से जुड़े खतरों से निपटने में मदद करेंगे।
ऐसे साइबर नेटवर्क से जुड़ी आधारभूत संरचना का विकास सरकारी और सरकार से इतर (नन स्टेट एक्टर) के संगठनों, कारपोरेट और आतंकवादियों के संभावित हमले के मद्देनजर किया गया है क्योंकि इंटरनेट दुनिया भौगोलिक सीमाओं में बंधी हुई नहीं है और कहीं से भी और किसी की ओर से हो सकता है।
सीआईए के पूर्व तकनीकी सहायक की ओर से लीक सूचना से जुड़ी खबरों पर सूत्रों ने कहा कि ऐसा नहीं करने के समझौते की परवाह किए बिना सरकारें जो चाहती हैं वह करती है। उन्होंने कहा कि ‘‘हम सम्पूर्ण दुनिया में नहीं रहते हैं। आप समझौता करते हैं और समझते हैं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। नहीं, ऐसा इस तरह से नहीं होता है।’’
उन्होंने कहा कि देशों को ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रहना होता है। यह अमेरिका द्वारा अपनाये जाने वाले रास्ते से व्यवस्था का इस्तेमाल कर अपनी क्षमता प्रदर्शित करने से भी हो सकता है।
सूत्रों ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग इस बारे में नीति को इस महीने के बाद में एक कार्यशाला में सार्वजनिक करेगी ताकि इस बारे में राष्ट्रीय चर्चा और जागरूकता फैल सके।
बहरहाल, उन्होंने इस बारे में नहीं बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में शामिल किए गए सुरक्षा प्रणाली की प्रकृति किस प्रकार की है।
इंटरनेट और स्मार्ट फोन के देश की सीमाओं के परे घुसपैठ करने की घटनाएं काफी बढ़ रही है। ऐसी घटनाएं अमेरिका, रूस, चीन, ईरान, उक्रेन और ऑस्ट्रेलिया समेत 20 देशों से प्रेरित होने की बात सामने आ रही है।
आंकड़ों के मुताबिक, अभी देश में 35 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता और 15 करोड़ ब्राड बैंड उपयोग करने वाले है इनमें से 50 प्रतिशत प्रोनाग्राफी के लिए इनका उपयोग करते होंगे।
देश में राष्ट्रमंडल खेल 2010 के दौरान साइबर हमलों में काफी तेजी आई थी और ऐसे 8000 हमले हुए। सूत्रों ने बताया कि भारत पर साइबर हमले का सतत खतरा है और इसमें शत प्रतिशत सुरक्षा जैसी कोई बात नहीं है।
इस पहल का उस खुलासे के बाद काफी महत्व बढ़ जाता है कि अमेरिका की नेशनल सिक्यूरिटी सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) लगभग सभी अमेरिकी इंटरनेट कंपनी के आंकड़ों का उपयोग कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल और सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने दो नीतियों को मंजूरी दे दी है जिसमें राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा ढांचा और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति शामिल है।
उन्होंने कहा कि इसमें निजी सार्वजनिक साझेदारी होगी जो साइबर जगत और आपात स्थिति से जुड़े खतरों से निपटने में मदद करेंगे।
ऐसे साइबर नेटवर्क से जुड़ी आधारभूत संरचना का विकास सरकारी और सरकार से इतर (नन स्टेट एक्टर) के संगठनों, कारपोरेट और आतंकवादियों के संभावित हमले के मद्देनजर किया गया है क्योंकि इंटरनेट दुनिया भौगोलिक सीमाओं में बंधी हुई नहीं है और कहीं से भी और किसी की ओर से हो सकता है।
सीआईए के पूर्व तकनीकी सहायक की ओर से लीक सूचना से जुड़ी खबरों पर सूत्रों ने कहा कि ऐसा नहीं करने के समझौते की परवाह किए बिना सरकारें जो चाहती हैं वह करती है। उन्होंने कहा कि ‘‘हम सम्पूर्ण दुनिया में नहीं रहते हैं। आप समझौता करते हैं और समझते हैं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। नहीं, ऐसा इस तरह से नहीं होता है।’’
उन्होंने कहा कि देशों को ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रहना होता है। यह अमेरिका द्वारा अपनाये जाने वाले रास्ते से व्यवस्था का इस्तेमाल कर अपनी क्षमता प्रदर्शित करने से भी हो सकता है।
सूत्रों ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग इस बारे में नीति को इस महीने के बाद में एक कार्यशाला में सार्वजनिक करेगी ताकि इस बारे में राष्ट्रीय चर्चा और जागरूकता फैल सके।
बहरहाल, उन्होंने इस बारे में नहीं बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में शामिल किए गए सुरक्षा प्रणाली की प्रकृति किस प्रकार की है।
इंटरनेट और स्मार्ट फोन के देश की सीमाओं के परे घुसपैठ करने की घटनाएं काफी बढ़ रही है। ऐसी घटनाएं अमेरिका, रूस, चीन, ईरान, उक्रेन और ऑस्ट्रेलिया समेत 20 देशों से प्रेरित होने की बात सामने आ रही है।
आंकड़ों के मुताबिक, अभी देश में 35 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता और 15 करोड़ ब्राड बैंड उपयोग करने वाले है इनमें से 50 प्रतिशत प्रोनाग्राफी के लिए इनका उपयोग करते होंगे।
देश में राष्ट्रमंडल खेल 2010 के दौरान साइबर हमलों में काफी तेजी आई थी और ऐसे 8000 हमले हुए। सूत्रों ने बताया कि भारत पर साइबर हमले का सतत खतरा है और इसमें शत प्रतिशत सुरक्षा जैसी कोई बात नहीं है।
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