वृद्धों के लिए रहन-सहन की रैंकिंग में भारत पहुंचा निचले पायदान पर

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

लंदन:

वृद्धों के लिए दुनिया की सबसे बेहतरीन और दुनिया की सबसे खराब जगहों की वैश्विक रैंकिंग में स्विटजरलैंड का नाम सबसे अच्छी जगह और भारत का नाम सबसे खराब जगह में शुमार किया गया है।

हेल्पेज इंटरनेशनल नेटवर्क ऑफ चैरिटीज और ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन की सहभागिता से तैयार ग्लोबल एज वॉच इंडेक्स 2015 में 96 देशों में भारत को 71वां स्थान दिया गया।

इस सूचकांक में 96 देशों के वृद्धों के सामाजिक और आर्थिक रहन-सहन का आकलन किया गया। इसके लिए शोधकर्ताओं ने वृद्धों को आय, स्वास्थ्य, शिक्षा, और सहयोगी वातावरण के चार स्तरों पर आंका।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत आर्थिक सुरक्षा के पैमाने पर निचले स्तर यानी 72वें स्थान पर रहा। भारत का प्रदर्शन अन्य पैमानों की तुलना में सहयोगी वातावरण के पैमाने पर 52वें स्थान पर, सबसे बेहतर रहा।

वार्षिक सूचकांक में विश्व की 60 वर्ष और इससे ऊपर की आयु वाली आबादी के 90.1 करोड़ लोगों यानी 91 फीसदी को शामिल किया गया। सूचकांक में स्विटजरलैंड पहले स्थान पर, नॉर्वे दूसरे स्थान पर, स्वीडन तीसरे स्थान पर, जर्मनी चौथे और कनाडा पांचवे स्थान पर रहे।

8वें स्थान पर आने वाले जापान के अतिरिक्त ऊपरी 10 स्थानों पर आने अन्य सभी देश पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में अग्रणी देश हैं। वृद्धों के जीवनस्तर को सुधारने के लिए निवेश करने वाले देश सूचकांक में सबसे ऊपर हैं। खोज में साबित हुआ है कि ये देश वृद्धों के लिए पेंशन, स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे मामलों में कई नीतियां लागू करते हैं।

सूचकांक की तैयारी की अगुआई करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन के प्रोफेसर असगर जैदी ने कहा कि यह सूचकांक दुनियाभर के देशों में रहने वाले वृद्ध लोगों के जीवन को प्रतिबिंबत करने में बेहद महत्वपूर्ण है। यह हमें उनकी पेंशन से प्राप्त आय और स्वास्थ्य का आकलन करने में ही मदद नहीं करता बल्कि साथ ही यह जहां वे रहते हैं वहां उनकी उम्र के अनुरूप सहयोगी वातावारण का भी आकलन करता है।

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हेल्पेज इंटरनेशनल के कार्यकारी अध्यक्ष टोबी पोर्टर ने कहा, "आज दुनिया के तमाम देशों में वृद्धों का अनुपात बढ़ रहा है। 2050 तक 96 में से 46 देशों की 30 फीसदी से ज्यादा आबादी 60 वर्ष या इससे ऊपर के लोगों की होगी।"