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This Article is From Dec 30, 2015

मीडियाकर्मियों के लिए एशिया का सबसे खतरनाक देश है भारत : निगरानी संस्था

मीडियाकर्मियों के लिए एशिया का सबसे खतरनाक देश है भारत : निगरानी संस्था
सांकेतिक तस्वीर
पेरिस: विश्व की एक प्रमुख मीडिया निगरानी संस्था ने भारत को मीडियाकर्मियों के लिए 'एशिया का सबसे खतरनाक देश' करार देते हुए कहा है कि साल 2015 में दुनियाभर में कुल 110 पत्रकार मारे गए, जिनमें नौ भारतीय पत्रकार शामिल हैं।

'रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' (आरएसएफ) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में इस साल नौ पत्रकारों की हत्या हुई। इनमें से कुछ पत्रकार संगठित अपराध तथा इसके नेताओं से संबंध पर रिपोर्टिंग कर रहे थे। कुछ पत्रकारों ने अवैध खनन की रिपोर्टिंग के चलते अपनी जान गवांई।

भारत में अपनी ड्यूटी करने के दौरान पांच पत्रकार मारे गए, जबकि चार अन्य के मरने के कारणों का पता नहीं है। आरएसएफ ने कहा कि पत्रकारों की मौत इस बात की पुष्टि करती है कि भारत मीडियाकर्मियों के लिए एशिया का सबसे घातक देश है, जिसका नंबर पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों से पहले आता है।

आरएसएफ ने भारत सरकार से पत्रकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय योजना लागू करने का आग्रह किया है। संगठन ने चेताया है कि ज्यादातर पत्रकारों को उनके काम के लिए शांतिपूर्ण माने जाने वाले देशों में जानबूझकर निशाना बनाया गया है।

निगरानी समूह ने अपने वार्षिक लेखा-जोखा में कहा कि इस साल 67 पत्रकार अपनी ड्यूटी करते हुए मारे गए, जबकि 43 के मरने की परिस्थिति साफ नहीं है। इसके अलावा 27 गैर-पेशेवर 'सिटीजन जर्नलिस्ट' और सात अन्य मीडियाकर्मी भी मारे गए हैं।

आरएसएफ की रिपोर्ट कहती है कि ज्यादातर पत्रकारों की हत्या उनके खिलाफ जानबूझकर की गई हिंसा का नतीजा थी और यह मीडियाकर्मियों की रक्षा की पहलों की विफलता हो दर्शाता है। रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है।

रिपोर्ट पत्रकारों के खिलाफ अत्याचारों को अंजाम देने के लिए खासतौर पर 'गैर राज्य समूहों' पर प्रकाश डालती है, जो इस्लामिक स्टेट समूह सरीखे जिहादी हैं।

आरएसएफ ने 2014 में कहा था कि दो तिहाई पत्रकार जंगी क्षेत्रों में मारे गए हैं, जबकि 2015 में यह एकदम से विपरीत है और संस्था कहती है, 'दो तिहाई पत्रकार शांतिपूर्ण देशों में मारे गए हैं।' आरएसएफ के महासचिव क्रिस्टोफ़ डेलोएरी ने कहा कि पत्रकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू करने के लिए एक विशेष तंत्र बनाना बहुत जरूरी है।

पेरिस आधारित संस्था ने कहा कि इस साल 110 पत्रकार मारे गए हैं, जिसके लिए इस आपात स्थिति से निपटने के लिए एक तंत्र की जरूरत है। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के एक विशेष प्रतिनिधि की तुरंत नियुक्ति होनी चाहिए।

संस्था ने कहा कि सन् 2005 से 787 पत्रकारों में से 67 की हत्या की गई। जानकारी के मुताबिक उनके काम करने के दौरान उन्हें निशाना बनाया गया।

आरएसएफ की रिपोर्ट कहती है कि युद्धग्रस्त इराक और सीरिया इस साल पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक जगहें हैं। इराक में 11 और सीरिया में 10 पत्रकार मारे गए हैं।

सूची में तीसरा नंबर फ्रांस का है जहां जनवरी में जिहादी हमले में आठ पत्रकार मारे गए थे। यह हमला व्यंग पत्रिका शार्ली हेब्दो के दफ्तर पर हुआ था, जिसने दुनिया को सदमे में डाल दिया था।

बांग्लादेश में चार धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगरों की हत्या की गई, जिसकी जिम्मेदारी स्थानीय जिहादियों ने ली।

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