पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग (फाइल फोटो)
सिक्किम क्षेत्र में चीन के साथ बढ़ती तनातनी के बीच चीन ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए इस मसले पर मध्यस्थता की पेशकश की है. उसकी इस पेशकश को दांव इसलिए माना जा रहा है क्योंकि उसका मानना है कि पूर्वी क्षेत्र में भारत, भूटान की मदद कर रहा है. दरअसल सिक्किम क्षेत्र में डोकलाम एरिया में चीन एक सड़क का निर्माण करने का इच्छुक है. वास्तव में यह क्षेत्र चीन और भूटान के बीच विवादित है. इसलिए भूटान ने चीनी कदम पर आपत्ति उठाई है. भारत ने भी भूटान के पक्ष का ही समर्थन किया है और चीनी निर्माण को रोकने की बात कही है. इसी बात से चीन नाराज है और भारत-भूटान मित्रता की काट के लिए चीन-पाक मित्रता का कार्ड खेल रहा है.
इसलिए ही चीन के कश्मीर में सकारात्मक भूमिका निभाने संबंधी बयान को कोई तवज्जो नहीं देते हुए भारत ने गुरुवार को कहा कि मामले के मूल में सीमापार से भारत में फैलाया जा रहा आतंकवाद है और एक खास स्रोत से फैलाए जा रहे आतंकवाद से पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो गया है.
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दरअसल चीन ने बुधवार को कहा था कि वह कश्मीर पर भारत व पाकिस्तान के संबंधों को सुधारने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है, जहां के हालात ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, 'भारत की स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट है. द्विपक्षीय ढांचे में जम्मू-कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर पाकिस्तान से बातचीत करने के भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है'. उन्होंने कहा कि इस मामले के मूल में सीमापार से भारत में फैलाया जा रहा आतंकवाद है और एक खास स्रोत से फैलाए जा रहे आतंकवाद से पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो गया है.
इन सबके बीच भारत-चीन सीमा विवाद पर शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक होने जा रही है. सरकार ने इस बैठक का आयोजन किया है. इस माध्यम से सरकार सीमा पर हालात के बारे में सभी दलों को जानकारी देगी. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर यह बैठक होगी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हालात की जानकारी देंगी. शुक्रवार शाम चार से पांच बजे के बीच इस बैठक का आयोजन होगा. इस बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत कुमार डोभाल इस महीने के आखिर में ब्रिक्स देशों के एनएसए स्तर की मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए चीन जा रहे हैं. इस साल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी चीन करने वाला है. उसी पृष्ठभूमि में एनएसए स्तर की मीटिंग का आयोजन होने जा रहा है.
इसलिए ही चीन के कश्मीर में सकारात्मक भूमिका निभाने संबंधी बयान को कोई तवज्जो नहीं देते हुए भारत ने गुरुवार को कहा कि मामले के मूल में सीमापार से भारत में फैलाया जा रहा आतंकवाद है और एक खास स्रोत से फैलाए जा रहे आतंकवाद से पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो गया है.
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दरअसल चीन ने बुधवार को कहा था कि वह कश्मीर पर भारत व पाकिस्तान के संबंधों को सुधारने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है, जहां के हालात ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, 'भारत की स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट है. द्विपक्षीय ढांचे में जम्मू-कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर पाकिस्तान से बातचीत करने के भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है'. उन्होंने कहा कि इस मामले के मूल में सीमापार से भारत में फैलाया जा रहा आतंकवाद है और एक खास स्रोत से फैलाए जा रहे आतंकवाद से पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो गया है.
इन सबके बीच भारत-चीन सीमा विवाद पर शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक होने जा रही है. सरकार ने इस बैठक का आयोजन किया है. इस माध्यम से सरकार सीमा पर हालात के बारे में सभी दलों को जानकारी देगी. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर यह बैठक होगी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हालात की जानकारी देंगी. शुक्रवार शाम चार से पांच बजे के बीच इस बैठक का आयोजन होगा. इस बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत कुमार डोभाल इस महीने के आखिर में ब्रिक्स देशों के एनएसए स्तर की मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए चीन जा रहे हैं. इस साल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी चीन करने वाला है. उसी पृष्ठभूमि में एनएसए स्तर की मीटिंग का आयोजन होने जा रहा है.
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