लेह/नई दिल्ली:
लद्दाख क्षेत्र में नहर सिंचाई परियोजना के मनरेगा के तहत हो रहे निर्माण कार्य को रुकवाने के बाद भारतीय सीमा में घुसने के बाद चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच तनातनी की खबरें हैं.
यह घटना बुधवार को लेह जिले के डेमचेक इलाके में हुई जहां गांव को सड़कों से जोड़ने का काम चल रहा है. लद्दाख के डेमचेक में दो साल पहले भी भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच सीमा पर तनाव हुआ था.
खबरों के मुताबिक, चीनी सेना के 55 जवान डेमचोक सेक्टर में घुए आए. भारतीय सीमा में घुसने के बाद चीनी सैनिकों ने वहां मनरेगा के तहत चल रहे रोड बनाने के काम को जबर्दस्ती रुकवा दिया. चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा घुसने की खबर जैसे आईटीबीपी के जवानों को लगी वो मौके पर पहुंच गए.
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने बैनर निकाल लिये है और वे वहां डटे हुए हैं. सेना तथा आईटीबीपी के जवान चीनी सैनिकों को एक इंच आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं जबकि पीएलए का दावा है कि यह क्षेत्र चीन का है.
इस क्षेत्र में 2014 में भी ऐसी ही घटना हुई थी जब मनरेगा योजना के तहत निलुंग नाला पर सिंचाई नहर बनाने का फैसला किया गया था. वह चीन के साथ विवादित स्थान रहा है.
पीएलए ने भारतीय कार्रवाई के विरोध में चार्डिंग-निलुंग नाला (सीएनएन) ट्रैक जंक्शन में तंबू गाड़ने के लिये ताशिगोंग के ग्रामीणों को राजी कर लिया था.
सूत्रों ने कहा कि इस बार चीनी पीएलए के 55 सैनिक थे जबकि सेना तथा आईटीबीपी के करीब 70 जवानों ने क्षेत्र की किलेबंदी कर दी थी और भारतीय क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया. इस बीच वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने जोर दिया कि कोई गतिरोध नहीं था और स्थापित प्रक्रिया के जरिए मुद्दे का हल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष से ऐसी आपत्तियां असामान्य नहीं हैं और ऐसी स्थितियों को सौहार्द्रपूर्ण तरीके से हल किया जाता है.
चीनी सैनिकों ने यह कहते हुए काम रुकवा दिया कि दोनों पक्षों में से किसी को भी निर्माण कार्य शुरू करवाने के लिए अनुमति की जरूरत होती है. चीनी सैनिकों के इस दावे का भारतीय जवानों ने यह कहते हुए विरोध किया कि परियोजना से जुड़ी जानकारी को तभी साझा किया जाएगा जब यह रक्षा उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद चीन को आक्रामक तरीके से जवाब देने की कोशिश की जा रही है. सीमा से जुड़े क्षेत्रों में 72 सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है.
गौरतलब है कि 2014 में एक नहर के निर्माण के दौरान भी चीनी सैनिकों ने उसे अपना क्षेत्र बताते हुए विरोध जताया था. 500 चीनी सैनिक उस क्षेत्र में डटे रहे थे लेकिन भारत ने उसके विरोध को नजरअंदाज कर दिया था. करीब 1000 सैनिक दोनों ओर से विवाद का समाधान होने तक डटे रहे थे.
(साथ में इनपुट भाषा से...)
यह घटना बुधवार को लेह जिले के डेमचेक इलाके में हुई जहां गांव को सड़कों से जोड़ने का काम चल रहा है. लद्दाख के डेमचेक में दो साल पहले भी भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच सीमा पर तनाव हुआ था.
खबरों के मुताबिक, चीनी सेना के 55 जवान डेमचोक सेक्टर में घुए आए. भारतीय सीमा में घुसने के बाद चीनी सैनिकों ने वहां मनरेगा के तहत चल रहे रोड बनाने के काम को जबर्दस्ती रुकवा दिया. चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा घुसने की खबर जैसे आईटीबीपी के जवानों को लगी वो मौके पर पहुंच गए.
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने बैनर निकाल लिये है और वे वहां डटे हुए हैं. सेना तथा आईटीबीपी के जवान चीनी सैनिकों को एक इंच आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं जबकि पीएलए का दावा है कि यह क्षेत्र चीन का है.
इस क्षेत्र में 2014 में भी ऐसी ही घटना हुई थी जब मनरेगा योजना के तहत निलुंग नाला पर सिंचाई नहर बनाने का फैसला किया गया था. वह चीन के साथ विवादित स्थान रहा है.
पीएलए ने भारतीय कार्रवाई के विरोध में चार्डिंग-निलुंग नाला (सीएनएन) ट्रैक जंक्शन में तंबू गाड़ने के लिये ताशिगोंग के ग्रामीणों को राजी कर लिया था.
सूत्रों ने कहा कि इस बार चीनी पीएलए के 55 सैनिक थे जबकि सेना तथा आईटीबीपी के करीब 70 जवानों ने क्षेत्र की किलेबंदी कर दी थी और भारतीय क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया. इस बीच वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने जोर दिया कि कोई गतिरोध नहीं था और स्थापित प्रक्रिया के जरिए मुद्दे का हल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष से ऐसी आपत्तियां असामान्य नहीं हैं और ऐसी स्थितियों को सौहार्द्रपूर्ण तरीके से हल किया जाता है.
चीनी सैनिकों ने यह कहते हुए काम रुकवा दिया कि दोनों पक्षों में से किसी को भी निर्माण कार्य शुरू करवाने के लिए अनुमति की जरूरत होती है. चीनी सैनिकों के इस दावे का भारतीय जवानों ने यह कहते हुए विरोध किया कि परियोजना से जुड़ी जानकारी को तभी साझा किया जाएगा जब यह रक्षा उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद चीन को आक्रामक तरीके से जवाब देने की कोशिश की जा रही है. सीमा से जुड़े क्षेत्रों में 72 सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है.
गौरतलब है कि 2014 में एक नहर के निर्माण के दौरान भी चीनी सैनिकों ने उसे अपना क्षेत्र बताते हुए विरोध जताया था. 500 चीनी सैनिक उस क्षेत्र में डटे रहे थे लेकिन भारत ने उसके विरोध को नजरअंदाज कर दिया था. करीब 1000 सैनिक दोनों ओर से विवाद का समाधान होने तक डटे रहे थे.
(साथ में इनपुट भाषा से...)
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