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This Article is From Mar 01, 2018

चीन-भारत सीमा पर स्थिति अब भी संवेदनशील, इसके बढ़ने की आशंका : रक्षा राज्य मंत्री

दोनों देशों के बीच लगभग 4 हजार किलोमीटर लंबी सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के रूप में जाना जाता है.

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चीन-भारत सीमा पर स्थिति अब भी संवेदनशील, इसके बढ़ने की आशंका : रक्षा राज्य मंत्री
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के साथ रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे.
नई दिल्ली: डोकलाम गतिरोध के आठ महीने बाद रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने कहा कि चीन के साथ लगती भारत की सीमा पर स्थिति संवेदनशील है. इसके साथ ही उन्होंने इसके बढ़ने की आशंका भी जताई है. उन्होंने कहा, 'वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति संवेदनशील है और गश्त, अतिक्रमण और गतिरोध संबंधी घटनाओं के चलते इसके बढ़ने की आशंका है.' दोनों देशों के बीच लगभग 4 हजार किलोमीटर लंबी सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के रूप में जाना जाता है.

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राष्ट्र निर्माण में सेना के योगदान विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा, 'हालांकि विश्वास बहाली के कदम उठाए जा रहे हैं, फिर भी हम एलएसी की गरिमा को बनाए रखने के लिए आवश्यक सभी कार्रवाई करते रहेंगे.' डोकलाम में पिछले साल उस समय भारत और चीन के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था जब भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को विवादित क्षेत्र में सड़क बनाने से रोक दिया था. 16 जून से शुरू हुआ गतिरोध 28 अगस्त को खत्म हुआ था.

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सूत्रों का कहना है कि चीन ने उत्तरी डोकलाम में अपने सैनिक रखे हुए हैं और विवादित क्षेत्र में महत्वपूर्ण रूप से अपनी अवसंरचना खड़ी कर रहा है. सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने जनवरी में कहा था कि भारत के लिए समय आ गया है जब वह अपना ध्यान पाकिस्तान से लगती सीमाओं से हटाकर चीन से लगती सीमा पर केंद्रित करे. उन्होंने एक तरह से इस बात का संकेत दिया था कि चीन से लगती सीमा पर स्थिति चिंताजनक है.

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क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति के बारे में बात करते हुए भामरे ने भारत जैसे देशों के लिए पाकिस्तान के आईएसआईएस की विचारधारा का 'वाहक' बनने की संभावना के बारे में भी बात की. उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पड़ोस में बढ़ती अस्थिरता ने सरकार से इतर तत्वों के हाथों में व्यापक जन विनाश के हथियारों के प्रसार की आशंका बढ़ा दी है. भामरे ने कहा, 'आज हम अनगिनत चुनौतियों के साथ एक जटिल पड़ोस का सामना कर रहे हैं. नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम उल्लंघन में लगातार सेना और असैन्य नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है. जम्मू कश्मीर में स्थिति एक चुनौती बन हुई है.'

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मंत्री ने देश के समक्ष 'शत्रुवत खतरों' से प्रभावी ढंग से निपटने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि धार्मिक कट्टरपंथ में वृद्धि और सोशल मीडिया के जरिए इसका प्रसार चिंता का कारण है. उन्होंने कहा, 'हमें अपनी सुरक्षा को खतरा उत्पन्न करने वाले तत्वों को विफल करने, कम करने और नष्ट करने के लिए कड़ी कार्रवाई जारी रखने की आवश्यकता है.'

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