India China Face Off: लद्दाख (Ladakh) में सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच जारी तनातनी को कम करने के लिये भारत और चीन के अधिकारियों के बीच गुरुवार को फिर से बातचीत हुई. वर्किंग मैकेनिजम फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन ऑन इंडिया-चीन बॉर्डर के तहत होने वाली इस बैठक में विदेश और रक्षा मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे. बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने सीमा पर मौजूदा हालात पर गहराई से विचार किया और यह प्रतिबद्धता जताई कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर फौजों की पूरी तरह वापसी के लिये दोनों देश गंभीरता से काम करते रहेंगे.
दोनों देशों ने यह विश्वास जताया कि सीमा पर शांति सुनिश्चित करना बेहतर द्विपक्षीय संबंधों के लिए ज़रूरी है. दोनों देश इस बैठक में राजी हुए कि एलएसी पर फौजों के जमावड़े को ख़त्म करने के लिये सैन्य एवं कूटनीतिक दोनों स्तरों पर आपसी संवाद आगे भी बनाए रखेंगे. हालांकि, अभी तक चीन न तो देपसांग से और न ही पैंगोंग झील से अपने सैनिकों को पीछे हटाने के लिए तैयार हुआ है.
भारत का स्पष्ट कहना है चीनी सैनिक अप्रैल 2020 से पहले वाली जगह पर चले जाएं. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मई से हुए तनाव को घटाने के लिये यह चौथी बैठक थी. पिछली बैठक 24 जुलाई को हुई थी. पांच दफा कोर कमांडर लेवल बातचीत हो चुकी है. इसके बावजूद दोनों देशों के सैनिकों के बीच गतिरोध बरकरार है. हालात यह हैं कि फिलहाल विवाद सुलझने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. ठंड बढ़ने से दोनों देशों के सैनिकों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है लेकिन कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है.
भाषा की खबर के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बनी मौजूदा स्थिति को लेकर दोनों पक्षों के बीच ‘‘स्पष्ट और गहन बातचीत हुई." दोनों पक्षों के बीच सीमा मामलों पर परामर्श एवं सहयोग संबंधी कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत डिजिटल माध्यम से वार्ता हुई. प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की बहाली संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है.
श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पक्षों ने पश्चिमी सेक्टर में एलएसी के पास सैनिकों के पूरी तरह से पीछे हटने के लिए पूरी गंभीरता के साथ काम करने की पुन: पुष्टि की, जैसी सहमति दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी थी.
(भाषा के इनपुट के साथ)
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