भारत-चीन सीमा पर तनाव को दूर करने के लिए दोनों देश की सेनाओं के शीर्ष अधिकारियों के बीच शनिवार को बातचीत हुई. विदेश मंत्रालय ने इस बैठक को लेकर रविवार को आधिकारिक बयान जारी किया. यह सीमा विवाद पर लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत के बाद पहला आधिकारिक बयान है. विदेश मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "भारत-चीन सीमा से लगे क्षेत्रों में तनाव को दूर करने के लिए पिछले कुछ हफ्तों में दोनों देशों ने राजनयिक और सैन्य माध्यमों के जरिये बातचीत की है.
छह जून को चूसूल-मोल्डो में दोनों सेनाओं के शीर्ष अधिकारियों की बैठक हुई. भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की ओर से कमांडर ने बातचीत की है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने बयान में कहा कि यह बैठक सौहर्दपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुई. विभिन्न द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने पर सहमत हुए हैं. दोनों देशों के नेताओं के बीच हुए समझौते को ध्यान में रखते हुए द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में शांति आवश्यक है.
दोनों पक्षों ने कहा कि यह वर्ष भारत और चीन के राजनयिक संबंधों की स्थापना का 70वां वर्षगांठ है. गतिरोध का जल्द से जल्द समाधान संबंधों को और आगे बढ़ाने में योगदान देगा. तदानुसार, दोनों पक्ष स्थिति को ठीक करने और सीमावर्ती इलाकों में शांति सुनिश्चित करने के लिए सैन्य एवं राजनयिक संपर्कों के माध्यम से बातचीत जारी रखेंगे.
बता दें कि करीब एक महीने से लद्दाख में दोनों सेनाओं में तनातनी है. पैंगोंग लेक के फिंगर 4 और फिंगर 8 को लेकर है ज़्यादा विवाद है. अप्रैल से पहले सेना फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करने जाती थी. अब चीनी सेना भारतीय सेना को फिंगर 4 से आगे बढ़ने नही दे रही है. चीनी सेना पहले फिंगर 4 तक पैट्रोलिंग करने आती थी. चीनी सेना की आपत्ति है भारत बॉर्डर पर सड़क क्यों बना रहा है जबकि भारत का कहना है सड़क वाली जगह बॉर्डर से दूर और उसका इलाका है.
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