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This Article is From Jan 26, 2014

65वां गणतंत्र दिवस : राजपथ पर देश की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन

65वां गणतंत्र दिवस : राजपथ पर देश की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन
तिरंगे को सलामी देते राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
नई दिल्ली:

राजपथ पर उत्साही जनता के विशाल हुजूम के बीच, प्राचीन काल से चली आ रही भारत की अनूठी एकता में पिरोई विविधताओं वाली विरासत, आधुनिक युग की विभिन्न क्षेत्रों की उसकी उपलब्धियां और देश की सुरक्षा की गारंटी देने वाली फौज की क्षमता का देश के 65वें गणतंत्र दिवस के मौके पर भव्य प्रदर्शन हुआ।

गणतंत्र दिवस परेड में ही नहीं, बल्कि उसे देखने आए देश के हर क्षेत्र, समुदाय, जाति और धर्म के उमड़े जन सैलाब ने अनेकता में एकता के जज़्बे का अनूठा प्रदर्शन किया। परेड के 8 किलोमीटर के रास्ते में बच्चों, महिलाओं, युवाओं और वृद्धों के चेहरों की चमक और उत्साह देखते ही बनता था।

भव्य राष्ट्रपति भवन के समीप से रायसीना हिल्स की ओट से परेड की अगुवाई करने वाली सेना की पहली टुकड़ी की झलक पाते ही विजय चौक से राजपथ तक लोगों की करतल ध्वनियों से गूंज गया। परेड का नेतृत्व दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रतो मित्रा ने किया। दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजवीर सिंह सेकंड-इन-कमांड रहे।

इस साल की परेड में भारत के पहले स्वेदश विकसित हल्के लड़ाकू विमान 'तेजस' का प्रदर्शन आकर्षण का केंद्र रहा। डीआरडीओ द्वारा तैयार इस विमान को भारत की वायु रक्षा तैयारियों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। परंपरा के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद राष्ट्रगान हुआ और परेड की विधिवत शुरूआत हुई। राष्ट्रपति ने परेड की सलामी ली। परेड में इस साल मुख्य अतिथि के तौर पर जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे उपस्थित थे।

पहले स्वदेश निर्मित और विकसित मुख्य युद्ध टैंक (एमबीटी अर्जुन) एमके-2 का भी प्रदर्शन किया गया। वायु सेना में हाल ही में शामिल किए गए परिवहन विमान सी-130जे सुपर हरक्युलिस ने भी लोगों को मंत्रमुग्ध किया। डीआरडीओ ने इस मौके पर अपनी 'अस्त्र' और 'हेलिना' मिसाइलों तथा मानवरहित प्रणालियों पर आधारित एक झांकी 'दक्ष' का प्रदर्शन भी किया।

भारतीय सेना द्वारा प्रदर्शित शस्त्र प्रणाली में टैंक टी-90 'भीष्म', आईसीवी बीएमपी-2 (सरथ), टीके-टी-72, ओएसए-एके शस्त्र प्रणाली, ब्रह्मोस शस्त्र प्रणाली और परिहवन योग्य उपग्रह टर्मिनल (टीएसटी) आदि शामिल हैं। वायु सेना की झांकी 'भारतीय वायु सेना में बदलाव' के थीम पर आधारित थी, जिसमें पिछले आठ दशक में वायु सेना के बहुस्तरीय बदलावों को झलकाया गया और उसकी पूरी क्षमता का प्रदर्शन किया गया। नौसेना की झांकी में एक पनडुब्बी के मॉडल को दर्शाया गया।

इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पुष्पमाला चढ़ाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद समारोह की शुरूआत हुई। नौसेना की मार्च कर रही टुकड़ियों में 144 जवान थे, जिनका नेतृत्व सर्जन लेफ्टिनेंट अंबिका नौटियाल ने किया। वायु सेना की 144 जवानों की टुकड़ी का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर मानवेंद्र सिंह ने किया।

अर्धसैनिक बलों की मार्च करने वाली टुकड़ियों में सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, तटरक्षक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल, रेलवे सुरक्षा बल, दिल्ली पुलिस के जवान तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना के कैडेट शामिल हुए। परेड में 18 राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों तथा विभागों की झांकियों ने देश की विविधतापूर्ण ऐतिहासिक, वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में देश की प्रगति को भी दिखाया।

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2013 के लिए चुने गए 25 बच्चों में से 20 ने परेड में भाग लिया। पांच बच्चों को मरणोपरांत सम्मानित किया गया है। पिछले कई बार की तरह सीमा सुरक्षा बल के मोटरसाइकिल सवारों की 'जांबाज' प्रस्तुति भी परेड का मुख्य आकर्षण रही। इसमें 30 बाइकों पर 162 सवारों ने हैरतअंगेज कारनामे दिखाए।

परेड के आखिर में वायु सेना के विमानों ने आसमान में ऐसे करतब दिखाए, जिसे लोग सांस थामे देखते रह गए। इस बार फ्लाइपास्ट में ‘चक्र’ फार्मेशन किया गया। इसमें एमआई-35 हेलीकॉप्टरों, सी-130जे सुपर हर्कुलस, सी-17 ग्लोबमास्टर, सुखोइ-30, मिग-29 ने हिस्सा लिया। फ्लाइपास्ट में 'चक्र' फार्मेशन के साथ 'त्रिशूल' और 'ग्लोब' फार्मेशन भी किया गया।

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