स्वतंत्रता दिवस पर सर्वोच्च बलिदान देने वाले को किया याद, शहीद जावेद अली सैफी के नाम पर रखा द्वार का नाम

देश की सरहदों की सुरक्षा के लिए तैनात कैप्टन जावेद अली सैफी जाकिर नगर के निवासी थे. साथ ही जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र भी रहे.

स्वतंत्रता दिवस पर सर्वोच्च बलिदान देने वाले को किया याद, शहीद जावेद अली सैफी के नाम पर रखा द्वार का नाम

कैप्टन जावेद अली साल 2000 में शहीद हो गए थे, उनकी तस्वीर हाथ में लिए लोग.

नई दिल्ली:

कैप्टन जावेद अली सैफी (Captain Javed Ali Saifi) साल 2000 में जम्मू कश्मीर में शहीद हो गए थे. उनकी स्मृतियों को बनाए रखने और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन के सम्मान में दिल्ली के जाकिर नगर में प्रवेश करने वाली सड़क और द्वार का उद्घाटन किया गया. अब इस द्वार का नाम 'शहीद कैप्टन जावेद अली सैफी स्मारक' रखा गया है. काफी समय से स्थानीय लोग इसकी मांग कर रहे थे. स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर यह कार्य किया गया.

देश की सरहदों की सुरक्षा के लिए तैनात कैप्टन जावेद अली सैफी जाकिर नगर के निवासी थे. साथ ही जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र भी रहे. देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हुए कैप्टन जावेद अली साल 2000 में शहीद हो गए थे. 

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उनके शहीद होने के करीब दो दशक बाद और काफी कोशिशों के बाद लोगों की कोशिश रंग लाई है. अथक प्रयासों के बाद ही उनकी स्मृति में स्वतंत्रता दिवस पर अशोक पार्क की ओर से जाकिर नगर में प्रवेश करने वाली सड़क और द्वार का उद्घाटन किया गया. शहीद के सम्मान में द्वार का नाम भी उनके नाम पर ही रखा गया है. स्वतंत्रता दिवस पर कैप्टन सैफी को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए थे, जिसमें हर उम्र और वर्ग के लोग शामिल थे.

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बता दें कि कैप्टन सैफी का जन्म साल 1968 में बुलंदशहर में हुआ था. वह पढ़ाई में भी काफी अच्छे थे. जामिया मिलिया इस्लामिया से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने 1995 में सेना लेफ्टिनेंट बने और जल्द ही उन्हें कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया. शुरुआत में उन्होंने भारतीय सेना की इंजीनियरिंग कोर ज्वाइन की थी. हालांकि बाद में वह राष्ट्रीय राइफल्स में आ गए थे.