अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में स्नातक में प्रवेश के लिए होने वाले परीक्षा 'GRE' में कदाचार का मामला आया सामने

अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में स्नातक अध्ययन के लिए होने वाले प्रवेश परीक्षा में नकल करने का मामला सामने आया है.

अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में स्नातक में प्रवेश के लिए होने वाले परीक्षा 'GRE' में कदाचार का मामला आया सामने

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

एक तरफ जहां सरकार लगातार यह दावा करती रही है कि डिजिटल इंडिया के बाद देश में भ्रष्टाचार और कदाचार में कमी आयी है. वहीं अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में स्नातक अध्ययन के लिए होने वाले प्रवेश परीक्षा में नकल करने का मामला सामने आया है. GRE या ग्रेजुएट रिकॉर्ड परीक्षा में कदाचार करवाने वाले एक गिरोह प्रकाश में आया है.GRE में  होम टेस्ट की शुरुआत होने के बाद किस तरह से कदाचार को अंजाम दिया जाता है उस बात को चार छात्रों ने NDTV को बताया. उन्होंने कहा, कई दरवाजों वाला एक कमरा रहता है, जो परीक्षार्थीयों को पेपर हल करने वाली विशेषज्ञ टीम से जोड़ने में मदद करता है.

भारत जीआरई के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है, जो केवल चीन और अमेरिका के बाद तीसरा है. पिछले साल भारत में 85,000 से अधिक छात्रों ने जीआरई में हिस्सा लिया था.कदाचा्र की इस घटना को रैपेंट एक शीर्ष जीआरई कोचिंग संस्थान द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि इसके प्रशिक्षकों को अब छात्रों को धोखा देने में मदद करने के लिए पैसे की पेशकश की जा रही है.लेकिन ईटीएस या शैक्षिक परीक्षण सेवा की प्रतिक्रिया - जो संगठन परीक्षा आयोजित करता है ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया.ऑनलाइन परीक्षा के नियम कहते हैं कि परीक्षा देने वालों को कमरे में अकेले रहना चाहिए. परीक्षा शुरू होने से पहले मानव निरिक्षक एक वेब कैमरा के माध्यम से कमरे का 360 डिग्री दृश्य देखता है. लेकिन छात्रों ने एनडीटीवी ने कहा कि एक बार परीक्षा शुरू होने के बाद, निरीक्षक केवल परीक्षार्थी के वेब कैमरा द्वारा सीमित क्षेत्र को ही देख सकता है.

कदाचार करने वाले की तरफ से यह सुनिश्चित किया जाता हैं कि कमरे में कई दरवाजे रहते हैं, जो किसी दूसरे व्यक्ति को आने और जाने के लिए सक्षम बनाता है.एक बार परीक्षा शुरू होने के बाद, छात्र पर्यवेक्षक की दृष्टि के बाहर आ जाता है और स्क्रीन पर प्रश्नों की तस्वीरें क्लिक कर लेता है. प्रश्न फिर बाहर बैठे विशेषज्ञों को दिए जाते हैं, जो पेपर हल करते हैं और परीक्षार्थी को उत्तर देते हैं. परीक्षा के प्रत्येक खंड के लिए यह प्रक्रिया दोहराई जाती है.छात्रों ने कहा कि चूंकि जीआरई के मौखिक मात्रात्मक खंड के सवाल कई विकल्पों वाले होते हैं. इसलिए इसमें कदाचार करना आसान हो जाता है.

एक छात्र ने एनडीटीवी को बताया,m "कुछ परीक्षार्थियों ने अपने दोस्तों और अन्य लोगों की मदद के लिए ट्यूटर (जीआरई कोचिंग संस्थानों में कार्यरत) को भुगतान किया ... मेरे दोस्त ने 340 में 326 अंक प्राप्त किए"एक अन्य छात्र ने कहा कि कदाचार करने वाले आसानी से यह काम कर सकते हैं क्योंकि यह होम टेस्ट होता है.भारत में शीर्ष जीआरई कोचिंग संस्थान मान्या-प्रिंसटन रिव्यू, जिसने इस मुद्दे को लेकर सबसे पहले आवाज उठाई थी ने मांग की है कि जीआरई स्कोर की विश्वसनीयता की रक्षा के लिए "जीआरई होम टेस्ट" के विकल्प को बंद कर दिया जाए.


7 जनवरी की अपनी प्रतिक्रिया में, ईटीएस ने संकेत दिया कि वे धोखाधड़ी के मामले को लेकर गंभीर है. ईटीएस की तरफ से कहा गया है कि हमारा कार्यालय नियमित रूप से परीक्षार्थियों के स्कोर को रद्द कर रहा है और कई लोगों को प्रतिबंधित भी कर रहा है. हम लगातार इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं.संस्थान ने अब इस मुद्दे पर सरकार के थिंकटैंक NITI अयोग और मानव संसाधन विकास मंत्री  रमेश पोखरियाल से हस्तक्षेप की मांग की है. संस्थान की तरफ से कहा गया है कि भारत की शिक्षा प्रणाली की छाप और छवि" की रक्षा के लिए "कुछ सख्त कार्रवाई" की जाए.

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