मध्‍य प्रदेश : व्‍यक्ति ने पत्‍नी के अंतिम संस्‍कार के लिए कूड़े के ढेर का सहारा लिया

मध्‍य प्रदेश : व्‍यक्ति ने पत्‍नी के अंतिम संस्‍कार के लिए कूड़े के ढेर का सहारा लिया

जगदीश भील का फाइल फोटो

खास बातें

  • जगदीश भील के पास 250 रुपये थे और शमशान घाट का चार्ज 2,500 रुपये था
  • पत्‍नी के अंतिम संस्‍कार की कोशिशों के बीच स्‍थानीय लोग मदद के लिए पहुंचे
  • 1500 रुपये की मदद मिलने के बाद भी उन्‍होंने कूड़े के ढेर का सहारा लिया
भोपाल:

दिहाड़ी मजदूरी करने वाले जगदीश भील (65) की पत्‍नी की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई. लेकिन पत्‍नी के अंतिम संस्‍कार के लिए उनके पास पैसे ही नहीं थे. राजधानी से 350 किमी दूर नीमच के शमशान घाट में अंतिम संस्‍कार के लिए 2500 रुपये  पैसे लग रहे थे, लेकिन उसका दसवां हिस्‍सा यानी 250 रुपये ही जगदीश के पास थे.

शमशान घाट के स्‍टाफ ने जगदीश को नदी में बॉडी को प्रवाहित करने की सलाह दी. यह बेहद गरीबों द्वारा अपनाई जाने वाली सदियों पुरानी परंपरा है. लेकिन जगदीश अपनी पत्‍नी को सम्‍मानजनक तरीके से विदाई देने के लिए अडिग थे.  

कुछ घंटे बाद स्‍थानीय लोगों ने उनको शमशान घाट के निकट एक गढ्ढा खोदने की तैयारी करते पाया. उन्‍होंने प्रशासन को सूचित किया. उसके बाद क्षेत्र के सीएमओ ने अपनी जेब से 1500 रुपये निकालकर जगदीश को ऑफर किए.

अंत में जगदीश ने अपनी पत्‍नी का अंतिम संस्‍कार किया. पर्याप्‍त लकड़ी के अभाव में, बेकार कागज, कार के टायर और अन्‍य कूड़े के सामान का इस्‍तेमाल किया.
 

हालिया बारिश के चलते जगदीश को कई दिनों से काम नहीं मिला और उनको पैसे की किल्‍लत हो गई

इस संदर्भ में स्‍थानीय प्रशासनिक अधिकारी शंकर लाल चौहान ने कहा, ''हमें लोगों के माध्‍यम से घटना की जानकारी मिली और फिर जगदीश की मदद के लिए लकड़ी का इंतजाम किया गया. इसके साथ ही हमने शमशान घाट के स्‍टाफ को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.''

उल्‍लेखनीय है कि हाल में ओडिशा के दाना मांझी केस के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद गरीब तबके के समक्ष आने वाली इस तरह की परेशानियां चर्चा के केंद्र में आई हैं. दाना मांझी के अपनी पत्‍नी की बॉडी को लेकर पैदल अपने गांव की तरफ जाने की हृदयविदारक तस्‍वीर ने देश-दुनिया में लोगों को झकझोर दिया था.

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