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This Article is From May 17, 2015

केजरीवाल की जंग से लड़ाई में एक और अधिकारी की नियुक्ति और हटाने का मामला गरमाया

केजरीवाल की जंग से लड़ाई में एक और अधिकारी की नियुक्ति और हटाने का मामला गरमाया
नई दिल्ली: कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति पर छिड़े विवाद में एक और नया मोड़ गया है। शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति का आदेश निकालने वाले सेक्रेटरी सर्विसेज़ के अनिंदो मजूमदार को कल अरविंद केजरीवाल ने हटा दिया और उनका कामकाज प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को दे दिया था। लेकिन लगभग एक घंटे बाद ही उप-राज्यपाल ने सेक्रेटरी सर्विसेज़ के बाबत उनसे सलाह न लेने की बात कहकर उन्हें भी पद पर बने रहने के निर्देश दिए।

इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उप-राज्यपाल नजीब जंग को तीन पन्नों की चिट्ठी लिखकर उनपर असंवैधानिक तरीके से कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति करने का आरोप लगाया था। जबकि उप-राज्यपाल का कहना है कि नियमों के मुताबिक मुख्य सचिव के पद को 35 घंटे से ज़्यादा खाली नहीं रखा जा सकता। इसी के चलते जब दिल्ली सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो उन्होंने कार्यवाहक मुख्य सचिव के पद पर वरिष्ठता के हिसाब से शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति कर दी।

सरकार में कार्यकारी मुख्यसचिव शंकुतला गैमलिन की नियुक्ति के मामले में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार से दोनों पक्षों के बीच चिट्ठियों का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो शनिवार को भी जारी है। वहीं केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि मैं दिल्ली से पूछना चाहता हूं कि जो कथित रूप से बिजली कंपनियों के बेहद करीब हों, क्या उन्हें दिल्ली का चीफ़ सेक्रटरी बनाना चाहिए? क्या चुने हुए सीएम की फैसले में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए?

थोड़ी देर पहले एलजी ने दिल्ली सरकार को चिट्ठी लिखकर, कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाने का आदेश जारी करने वाले अधिकारी अनिंदो मजूमदार को हटाने के फ़ैसले पर विरोध दर्ज कराया है। एलजी ने मजूमदार को बहाल किया है।

सिर्फ़ 10 दिन के लिए कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाई गई शकुंतला गैमलिन का मामला राजनीतिक रंग अख्तियार कर रहा है। दिल्ली सरकार ने इसे उपराज्यपाल के जरिए तख्ता पलट की कोशिश बताया है तो विरोधी पार्टियां इसे केजरीवाल का राजनीतिक स्टंट बता रही हैं।

दरअसल उपराज्यपाल ने शुक्रवार को संविधान का हवाला देकर कार्यवाहक मुख्य सचिव के पद पर शकुंतला गैमलिन की तैनाती की। दिल्ली सरकार बिजली कंपनियों से सांठ-गांठ का आरोप लगाकर इसका विरोध कर रही है। लेकिन उपराज्पाल इस पर सफाई दे रहे हैं कि गैमलीन की नियुक्ति वरीयता और ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर की गई है और ये संविधान की धारा 239-A के मुताबिक़ है। उनका सवाल है कि नियुक्ति से पहले सरकार ने एतराज़ क्यों नहीं किया और वरिष्ठ नौकरशाह को विवाद में घसीटना ग़लत है।

संविधान के जानकार कहते हैं कि उपराज्यपाल के पास जो अधिकार हैं उनको चुनौती नहीं दी जा सकती है। दिल्ली सरकार केवल उपराज्यपाल को सलाह दे सकती है। संविधान विशेषज्ञ एसके शर्मा कहते हैं कि दिल्ली सरकार की शक्तियां सीमित हैं, ये दूसरे राज्यों जैसा नहीं है।

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