संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)
जमशेदपुर:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि वर्तमान समय संघ के बिल्कुल अनुकूल है और हालात उसके पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि आज समाज के बुद्धिजीवी लोग भी संघ के बारे में जानना चाह रहे हैं. भागवत का कहना था कि संघ को काफी लंबे समय से विरोध का सामना करना पड़ रहा था लेकिन स्वयंसेवकों के अथक परिश्रम और समाज के लिए उनके समर्पण की वजह से अब हालात संघ के पक्ष में हो गए हैं. उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवियों ने इसके बारे में यह मानकर पूछना शुरू कर दिया है कि सिर्फ संघ ही समाज के लिए कुछ अच्छा कर सकता है. भागवत ने कहा, ‘आज, समाज संघ का हिस्सा बनना चाहता है क्योंकि वे मानते हैं कि यह समाज के लिए कुछ बेहतर करेगा.’
भागवत ने यह बात आरएसएस के कार्यकर्ताओं की चार दिवसीय बैठक के समापन के मौके पर बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य व्यक्तियों, परिवारों, समाज के बर्ताव में बदलाव लाना और आजीविका प्रदान करना है ताकि देश को विकसित किया जा सके जिसका ‘हम स्वप्न’ देखते हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में नागपुर में रतन टाटा ने उनसे मुलाकात की थी.
भागवत ने कहा कि वह (टाटा) उस प्रक्रिया के बारे में जानना चाहते थे जिसका पालन आरएसएस अपनी शाखाओं में समर्पित स्वयंसेवक तैयार करने के लिए करती है और इस तरह की शाखाओं की यात्रा करने की इच्छा जताई. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उन्होंने टाटा को आश्वासन दिया कि वह इसकी व्यवस्था करेंगे ताकि वह मुंबई में शीघ्र ही आरएसएस की शाखाओं में जा सकें. स्वयंसेवकों के कठिन प्रयास और समर्पण की सराहना करते हुए भागवत ने कहा कि देश-विदेश में लोग आरएसएस के बारे में चर्चा कर रहे हैं, जिसने कभी भी जाति, मजहब या छुआछूत के नाम पर समाज में भेद नहीं किया और बल्कि एकता और देशभक्ति को प्रोत्साहन दिया.
हालांकि, उन्होंने स्वयंसेवकों को आगाह किया कि जब परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं हों तो वे अधिक सतर्क रहें और अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन बिना कोई गलती के करें. भागवत ने कहा कि आरएसएस हिंदू राष्ट्र का अभिन्न हिस्सा रही है.
(इनपुट भाषा से...)
भागवत ने यह बात आरएसएस के कार्यकर्ताओं की चार दिवसीय बैठक के समापन के मौके पर बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य व्यक्तियों, परिवारों, समाज के बर्ताव में बदलाव लाना और आजीविका प्रदान करना है ताकि देश को विकसित किया जा सके जिसका ‘हम स्वप्न’ देखते हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में नागपुर में रतन टाटा ने उनसे मुलाकात की थी.
भागवत ने कहा कि वह (टाटा) उस प्रक्रिया के बारे में जानना चाहते थे जिसका पालन आरएसएस अपनी शाखाओं में समर्पित स्वयंसेवक तैयार करने के लिए करती है और इस तरह की शाखाओं की यात्रा करने की इच्छा जताई. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उन्होंने टाटा को आश्वासन दिया कि वह इसकी व्यवस्था करेंगे ताकि वह मुंबई में शीघ्र ही आरएसएस की शाखाओं में जा सकें. स्वयंसेवकों के कठिन प्रयास और समर्पण की सराहना करते हुए भागवत ने कहा कि देश-विदेश में लोग आरएसएस के बारे में चर्चा कर रहे हैं, जिसने कभी भी जाति, मजहब या छुआछूत के नाम पर समाज में भेद नहीं किया और बल्कि एकता और देशभक्ति को प्रोत्साहन दिया.
हालांकि, उन्होंने स्वयंसेवकों को आगाह किया कि जब परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं हों तो वे अधिक सतर्क रहें और अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन बिना कोई गलती के करें. भागवत ने कहा कि आरएसएस हिंदू राष्ट्र का अभिन्न हिस्सा रही है.
(इनपुट भाषा से...)
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