
खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) भारत अभियान सवाल उठाने वाली महिला आईएएस दीपाली रस्तोगी के समर्थन में उतरे बीजेपी सांसद प्रह्लाद पटेल.
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खुले में शौचमुक्त अभियान को महिला आईएएस ने बताया गोरों की नकल
कहा, जहां पीने का पानी नहीं वहां शौचालय में कैसे डलेगा पानी
बीजेपी सांसद प्रह्लाद पटेल ने कहा, वाजिब सवाल उठाया गया
महिला आईएएस ने आर्टिकल में ये लिखा
दीपाली ने ओडीएफ पर अपनी राय अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में प्रकाशित आर्टिकल में जाहिर किया है. आर्टिकल में दीपाली ने लिखा, 'गोरों के कहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुले में शौचमुक्त अभियान चलाया, जिनकी वॉशरूम हैबिट भारतीयों से अलग है'. दीपाली आगे लिखती हैं, 'गोरे कहते हैं कि खुले में शौच करना गंदा है तो हम इतना बड़ा अभियान ले आए. हम मानते हैं कि शौचालय में पानी की जगह पेपर का उपयोग करना गंदा होता है तो क्या गोरे भी शौचालय में पेपर की जगह पानी का इस्तेमाल करने लगेंगे?'
उन्होंने लिखा है, ग्रामीण क्षेत्रों में खेत पर छोड़ी गई शौच तेज धूप में सूख जाती है. अगले दिन वह खाद बन जाती है. अगर ये लोग टैंक खुदवाकर शौचालय बना भी लें तो उसमें लगने वाला पानी कहां से लाएंगे. ग्रामीणों को लंबा फासला तय करके पानी लाना होता है. इतनी मेहनत से अगर कोई दो घड़े पानी लाता है तो क्या वह एक घड़ा शौचालय में डाल सकता है? बिलकुल नहीं.
महिला आईएएस पर कार्रवाई की तैयारी
केंद्र सरकार की योजना की आलोचना करने के चलते महिला आईएएस दीपाली रस्तोगी पर कार्रवाई किए जाने की तैयारी है. सचिव स्तर की अधिकारी के इस बर्ताव को सर्विस रूल्स के खिलाफ बताया जा रहा है. एमपी के मुख्य सचिव बीपी सिंह ने कहा कि वे इस मामले की जांच खुद करेंगे इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.
दीपाली के इस बर्ताव को आचरण संहिता की कंडिका-7 का उलंघन बताया जा रहा है. इसके तहत कोई भी लोकसेवक सरकारी नीति, कार्यक्रम के खिलाफ सार्वजनिक रूप से आलोचना नहीं कर सकता है. सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव रश्मि अरुण शमी का कहना है कि पूरे मामले का परीक्षण कराया जा रहा है. दीपाली फिलहाल आदिवासी विकास आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं. मामला मीडिया में आने के बाद से आईएएस दीपाली ने कुछ भी बयान देने से मना कर दिया है.
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