कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने मंगलवार को कहा कि पर्यावरण मंत्री रहते हुए उन्होंने जब उत्तराखंड (Uttarakhand) में पनबिजली परियोजनाओं (Hydropower Projects) को रोका था तो उन्हें तीखे हमले का सामना करना पड़ा था. उन्होंने उत्तराखंड के चमोली में हिमखंड टूटने से भयावह बाढ़ आने की घटना की पृष्ठभूमि में यह बयान दिया.
रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘जब मैंने उत्तराखंड में अलकनंदा, भागीरथी और दूसरी नदियों पर पनबिजली परियोजनाओं को रोका तो मैं निशाने पर आ गया था. हम इन परियोजनाओं के प्रभावों के बारे में विचार नहीं कर पा रहे थे.''
As Environment Minister, I came under sharp attack for stopping hydel projects on Alaknanda, Bhagirathi and other rivers in Uttarakhand on ecological grounds. We weren't considering the cumulative impacts of these projects. I can't help but recall that now.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 9, 2021
#UttarakhandDisaster pic.twitter.com/44Z1CZXRU3
उधर, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के विज्ञानियों का प्रारंभिक आकलन है कि दो दिन पहले उत्तराखंड में आकस्मिक बाढ़ झूलते ग्लेशियर के ढह जाने की वजह से आई. झूलता ग्लेशियर एक ऐसा हिमखंड होता है जो तीव्र ढलान के एक छोर से अचानक टूट जाता है.
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन ने कहा, ‘‘रौंथी ग्लेशियर के समीप एक झूलते ग्लेशियर में ऐसा हुआ , जो रौंथी/मृगुधानी चौकी (समुद्रतल से 6063 मीटर की ऊंचाई पर) से निकला था.''
हिमनद वैज्ञानिकों की दो टीम रविवार की आपदा के पीछे के कारणों का अध्ययन कर रही हैं. उन्होंने मंगलवार को हेलीकॉप्टर से सर्वेक्षण भी किया.
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