NIA ने ISIS से जुड़े होने के आरोप में हैदराबाद से 7 लोगों को गिरफ्तार किया था
हैदराबाद:
जून महीने के अंत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हैदराबाद से 7 लोगों को आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़े होने और भारत पर हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था. एनडीटीवी को उन 7 में से 5 लोगों के बयान मिले हैं, जो कि भारत में आईएसआईएस की पहुंच को लेकर कई परेशान करने वाले पहलुओं को उजागर करते हैं. इनसे पता चलता है कि यह आतंकी संगठन अपने गुर्गों के लिए कम से कम 3 भारतीय राज्यों में किस तरह हथियारों और विस्फोटकों की व्यवस्था करता है.
आरोपियों द्वारा हिरासत में दिए गए बयान कोर्ट में सुबूत के तौर पर तो इस्तेमाल नहीं हो सकते, लेकिन एनआईए का कहना है कि डिजिटल रिकॉर्ड्स, जब्त हुए हथियारों, गोला बारूद और विस्फोटकों के साथ-साथ गवाहों के बयानों से इन इकबालिया बयानों की पुष्टि होती है.
एनआईए के मुताबिक, इस साजिश का मुख्य संदिग्ध हैदराबाद के पुराने शहर से ताल्लुक रखने वाला 31 वर्षीय इंजीनियर इब्राहीम यजदानी है, जो कि सऊदी अरब में नौकरी के दौरान पहली बार आईएसआईएस की तरफ आकर्षित हुआ.
इब्राहीम ने 28 पन्नों के अपने विस्तृत बयान में कहा है कि वह अबू ईसा अल अमरीकी नाम के एक ऑनलाइन हैंडलर के संपर्क में था, जिसने उससे सीरिया जाने को कहा था. हालांकि कई आवेदनों के बावजूद उसे वीजा नहीं मिल पाया. जिसके बाद हैंडलर ने उसे भारत में ही रुकने और यहां अपने जैसे कुछ और लोगों का समूह बनाकर हमले करने को कहा.
एनडीटीवी को मिले इस समूह के 5 लोगों के बयान से पता चलता है कि उनका पहला कदम आईएसआईएस के अमीर (प्रमुख) अबु बकर अल बगदादी के प्रति वफादारी की कसम खानी होती थी. (एनआईए का दावा है कि उन्होंने सॉफ्टवेयर डीकोड कर ये शपथपत्र हासिल कर लिए हैं, जिनमें सातों आरोपियों के हस्ताक्षर हैं)
इब्राहीम और इलियास के भाई इस्हाक यज़्दानी कहते हैं कि उनके भाई के खिलाफ झूठा केस दर्ज किया गया है
इब्राहीम के बयान में हैंडलर्स के निर्देशों का भी जिक्र है, जिसमें उसे गल्फअप और टुटानोटा जैसे इक्रिप्टेड सॉफ्टवेयर के जरिये शपथपत्र अपलोड करने और फिर सारे फिजिकल और डिजिटल रिकॉर्ड्स मिटाने के निर्देश दिए गए थे.
हालांकि इसके बाद जो बात सामने आती है, वह इन्हें पहले गिरफ्तार किए गए समूहों से अलग बनाती है. इब्राहीम और पेशे से कंप्यूटर ठीक करने वाले हबीब के मुताबिक, उनके हैंडलर ने उन्हें हथियार एकत्र करने के लिए महाराष्ट्र के नांदेड़ में पहले से तय एक जगह पर जाने को कहा.
इब्राहीम ने बताया कि वहां एयरपोर्ट परिसर की दीवार के पास एक पेड़ पर पॉलीथीन बैग टंगा होता था, जो कि उनके लिए गोपनीय निशान था. इसी पेड़ के आसपास की झाड़ियों में एक बैग था, जिसमें दो पिस्तौल और 20 राउंड गोलियां थी.
जब ये बंदूकें खराब पाई गई, तो हैंडलर ने उन्हें हथियार लेने को दूसरा चक्कर राजस्थान के अजमेर का लगाने को कहा. अगला कदम विस्फोटक हासिल करना था, जिसके लिए इस समूह को ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ा.
इब्राहीम और हबीब के मुताबिक, हैंडलर ने उनके लिए चीनी और अमोनियम नाइट्रेट के एक बोरे का इंतजाम किया था, जो कि उन्हें हैदराबाद से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित बूढन पोचंपल्ली से लाना था. इसके बाद उसने उन्हें घर में ही बम बनाने के बारे में बताया.
इब्राहीम के मुताबिक, उनका नया हैंडलर उत्तर भारतीय और खासकर बिहार या उत्तर प्रदेश का प्रतीत होता था, क्योंकि वह 'मैं बताता हूं, कहता हूं, आपको ये करना होगा, हां मुझे मिल चुकी है' जैसे लहजे में बात करता था.
हालांकि इन आरोपियों के परिवार वाले सारे आरोपों को गलत बताते हैं. इब्राहीम और इलियास के भाई इस्हाक यज़्दानी कहते हैं कि उनके भाई के खिलाफ झूठा केस दर्ज किया गया है. वह कहते हैं कि इब्राहीम पढ़ा लिखा युवक है और उसने आईएसआईएस से कभी संपर्क नहीं साधा.
एनआईए के इन सबूतों की सत्यता की जांच तो कोर्ट में होगी, लेकिन अभी तक की जांच में एजेंसी के हाथ लगे सुबूत भारत में आईएसआईएस के गहरे नेटवर्क की मौजूदगी की ओर इशारा करते हैं.
आरोपियों द्वारा हिरासत में दिए गए बयान कोर्ट में सुबूत के तौर पर तो इस्तेमाल नहीं हो सकते, लेकिन एनआईए का कहना है कि डिजिटल रिकॉर्ड्स, जब्त हुए हथियारों, गोला बारूद और विस्फोटकों के साथ-साथ गवाहों के बयानों से इन इकबालिया बयानों की पुष्टि होती है.
एनआईए के मुताबिक, इस साजिश का मुख्य संदिग्ध हैदराबाद के पुराने शहर से ताल्लुक रखने वाला 31 वर्षीय इंजीनियर इब्राहीम यजदानी है, जो कि सऊदी अरब में नौकरी के दौरान पहली बार आईएसआईएस की तरफ आकर्षित हुआ.
इब्राहीम ने 28 पन्नों के अपने विस्तृत बयान में कहा है कि वह अबू ईसा अल अमरीकी नाम के एक ऑनलाइन हैंडलर के संपर्क में था, जिसने उससे सीरिया जाने को कहा था. हालांकि कई आवेदनों के बावजूद उसे वीजा नहीं मिल पाया. जिसके बाद हैंडलर ने उसे भारत में ही रुकने और यहां अपने जैसे कुछ और लोगों का समूह बनाकर हमले करने को कहा.
एनडीटीवी को मिले इस समूह के 5 लोगों के बयान से पता चलता है कि उनका पहला कदम आईएसआईएस के अमीर (प्रमुख) अबु बकर अल बगदादी के प्रति वफादारी की कसम खानी होती थी. (एनआईए का दावा है कि उन्होंने सॉफ्टवेयर डीकोड कर ये शपथपत्र हासिल कर लिए हैं, जिनमें सातों आरोपियों के हस्ताक्षर हैं)
इब्राहीम और इलियास के भाई इस्हाक यज़्दानी कहते हैं कि उनके भाई के खिलाफ झूठा केस दर्ज किया गया है
इब्राहीम के बयान में हैंडलर्स के निर्देशों का भी जिक्र है, जिसमें उसे गल्फअप और टुटानोटा जैसे इक्रिप्टेड सॉफ्टवेयर के जरिये शपथपत्र अपलोड करने और फिर सारे फिजिकल और डिजिटल रिकॉर्ड्स मिटाने के निर्देश दिए गए थे.
हालांकि इसके बाद जो बात सामने आती है, वह इन्हें पहले गिरफ्तार किए गए समूहों से अलग बनाती है. इब्राहीम और पेशे से कंप्यूटर ठीक करने वाले हबीब के मुताबिक, उनके हैंडलर ने उन्हें हथियार एकत्र करने के लिए महाराष्ट्र के नांदेड़ में पहले से तय एक जगह पर जाने को कहा.
इब्राहीम ने बताया कि वहां एयरपोर्ट परिसर की दीवार के पास एक पेड़ पर पॉलीथीन बैग टंगा होता था, जो कि उनके लिए गोपनीय निशान था. इसी पेड़ के आसपास की झाड़ियों में एक बैग था, जिसमें दो पिस्तौल और 20 राउंड गोलियां थी.
जब ये बंदूकें खराब पाई गई, तो हैंडलर ने उन्हें हथियार लेने को दूसरा चक्कर राजस्थान के अजमेर का लगाने को कहा. अगला कदम विस्फोटक हासिल करना था, जिसके लिए इस समूह को ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ा.
इब्राहीम और हबीब के मुताबिक, हैंडलर ने उनके लिए चीनी और अमोनियम नाइट्रेट के एक बोरे का इंतजाम किया था, जो कि उन्हें हैदराबाद से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित बूढन पोचंपल्ली से लाना था. इसके बाद उसने उन्हें घर में ही बम बनाने के बारे में बताया.
इब्राहीम के मुताबिक, उनका नया हैंडलर उत्तर भारतीय और खासकर बिहार या उत्तर प्रदेश का प्रतीत होता था, क्योंकि वह 'मैं बताता हूं, कहता हूं, आपको ये करना होगा, हां मुझे मिल चुकी है' जैसे लहजे में बात करता था.
हालांकि इन आरोपियों के परिवार वाले सारे आरोपों को गलत बताते हैं. इब्राहीम और इलियास के भाई इस्हाक यज़्दानी कहते हैं कि उनके भाई के खिलाफ झूठा केस दर्ज किया गया है. वह कहते हैं कि इब्राहीम पढ़ा लिखा युवक है और उसने आईएसआईएस से कभी संपर्क नहीं साधा.
एनआईए के इन सबूतों की सत्यता की जांच तो कोर्ट में होगी, लेकिन अभी तक की जांच में एजेंसी के हाथ लगे सुबूत भारत में आईएसआईएस के गहरे नेटवर्क की मौजूदगी की ओर इशारा करते हैं.
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