विज्ञापन
This Article is From Mar 29, 2018

गृह मंत्रालय आपराधिक मामलों का सामना कर रहे आईपीएस अधिकारियों की सूची बनाए : सीआईसी

सूचना आयुक्त यशोवर्द्धन आजाद ने आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर के आवेदन पर दिया आदेश, मंत्रालय से ब्योरा मांगा था

गृह मंत्रालय आपराधिक मामलों का सामना कर रहे आईपीएस अधिकारियों की सूची बनाए : सीआईसी
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग ने गृह मंत्रालय को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के ऐसे अधिकारियों की सूची तैयार करने को कहा है जो आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं. सूचना आयुक्त यशोवर्द्धन आजाद ने यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर के आवेदन पर दिया. उन्होंने मंत्रालय से देशभर में विभिन्न आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का ब्योरा मांगा था.

अपने जवाब में गृह मंत्रालय की पुलिस शाखा ने कहा है कि आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के बारे में मंत्रालय का पुलिस- 1 डिवीजन फाइल नहीं रखता है. आजाद ने कहा, ‘‘पीआईओ ने कहा कि चूंकि गृह मंत्रालय का पुलिस डिवीजन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का इस तरह का ब्योरा नहीं रखता है, इसलिए सवाल को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को स्थानांतरित कर दिया गया. आयोग ने जब आरटीआई आवेदन के अंतरण की वजह पूछी तो पीआईओ ने अनभिज्ञता जताई.’’

आजाद ने गौर किया कि आरटीआई आवेदन को विवेक का इस्तेमाल किए बिना अंतरित किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘एनसीआरबी बड़े पैमाने पर अपराध के आंकड़े रखता है और वह अपीलकर्ता की जरूरतों के हिसाब से आंकड़ों को अलग करके नहीं रखता है.’’ आजाद ने कहा कि गृह मंत्रालय आईपीएस कैडर का मूल मंत्रालय होने के नाते किसी अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र दायर होने पर हमेशा सूचना प्राप्त करता है. देशभर में गृह मंत्रालय के तहत तकरीबन 9000 अधिकारी हैं.

आजाद एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं जो सीआईसी में शामिल होने से पहले खुफिया तंत्र में वरिष्ठ अधिकारी के पद पर काम कर चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘‘अधिकारी का राज्य कैडर आवंटित किए जाने के बावजूद नोडल एजेंसी होने के नाते गृह मंत्रालय के पास सेवारत आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों का ब्योरा अवश्य होना चाहिए. हालांकि, पीआईओ के अनुसार वैसे आईपीएस अधिकारियों के नामों वाली सूची नहीं है, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.’’

आजाद ने मंत्रालय के अधिकारी से आपराधिक मामलों का सामना कर रहे आईपीएस अधिकारियों की सूची नहीं होने के बयान के बारे में एक हलफनामा देने को कहा. उन्होंने कहा, ‘‘कैडर नियंत्रक प्राधिकार होने के नाते गृह मंत्रालय की भूमिका आईपीएस अधिकारियों की सेवा शर्तों को देखने की है. अनुशासनात्मक कार्यवाही उस भूमिका का हिस्सा हैं क्योंकि इसे अधिकारियों की निजी फाइलों में रखा जाता है.’’

सूचना आयुक्त ने कहा कि मंत्रालय का काम अनुशासनात्मक कार्यवाही की निगरानी और अधिकारियों के खिलाफ जांच करना भी है. इमपैनलमेंट की प्रक्रिया के दौरान इसका विश्लेषण किया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की सूचना तैयार नहीं रखी जाती है तो भी आयोग गृह मंत्रालय को निर्देश देता है कि वह ऐसे आईपीएस अधिकारियों की सूची तैयार करे जो आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह ठाकुर को चार सप्ताह के भीतर सूची प्रदान करें. उन्होंने निर्देश दिया कि और किसी विवरण का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com