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This Article is From Mar 28, 2016

हेलो कश्मीर! किशोर ने शुरू किया ऑनलाइन रेडियो, बनाया एंड्रॉयड ऐप

हेलो कश्मीर! किशोर ने शुरू किया ऑनलाइन रेडियो, बनाया एंड्रॉयड ऐप
प्रतीकात्मक फोटो
त्राल (जम्मू एवं कश्मीर): दक्षिणी कश्मीर में आतंकवाद का गढ़ माने जाने वाले गुमनाम शहर त्राल के दसवीं कक्षा के एक छात्र ने हिंसा ग्रस्त राज्य के युवाओं की समस्याओं को उजागर करने के लिए खुद अपने दम पर एक ऑनलाइन रेडियो ऐप बनाया है।

उमर निसार (15) आतंकवादी हिंसा और सैन्य बलों और इस्लामी विद्रोहियों के बीच गोलीबारी के लिए खबरों में रहने वाले त्राल शहर के एक सरकारी स्कूल का छात्र है। लेकिन इन सबने इस किशोर संगीत प्रेमी के सपनों को फीका नहीं किया है।

उमर निसार ने बताया, 'मैं विरोध प्रदर्शनों, बंद और हिंसा के बीच भी स्कूल जाता था। ये सब मुझे कभी नहीं रोक पाए।' उमर ने बताया कि उसने खुद ही प्रोग्रामिंग सीखी। उनके मन में इंटरनेट रेडियो 'पनुन एफएम' के लिए कोड तैयार करने का विचार इसलिए आया, क्योंकि वह कश्मीर के युवाओं को आवाज देना चाहता था और कश्मीर की संस्कृति व भाषा का राज्य की सीमाओं से परे प्रसार करना चाहता था, जहां उपभोक्ता गूगल प्ले स्टोर से इसके कार्यक्रमों को डाउनलोड करके सुन सकें।

उमर ने कहा, 'यह युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक होगा और इससे उन्हें अपनी प्रतिभा खोजने का एक मंच भी मिलेगा।' उमर ने कहा, 'इसमें मैंने अपने रुपये लगाए हैं, लेकिन अब भी मेरे पास माइक्रोफोन्स और कम्प्यूटर्स जैसे जरूरी उपकरणों की कमी है।'

उमर ने कहा कि उसे विज्ञापनों से कमाई की उम्मीद है या फिर किसी 'निवेशक' की आस है जो पैसे का प्रबंध करके और अधिक प्रोग्राम्स तैयार करने के लिए एक संपूर्ण स्टूडियो की स्थापना करने में उसकी मदद करे। उमर के पिता जीवनयापन के लिए ट्रैक्टर चलाते हैं और उनका सेब का एक छोटा-सा बगीचा है।

उमर ने बताया कि उसे 'www.pannunfm.in' पर उपलब्ध ऑनलाइन रेडियो का कोड तैयार करने में आठ महीने का समय लगा। उमर ने कहा, 'पनुन एफएम' घाटी के लोगों को ऐसा मंच देगा जहां वे बिजली, पानी या अपनी किसी भी अन्य समस्या को साझा कर पाएंगे। इसके साथ ही यह मनोरंजन का माध्यम भी है। मैंने काफी शोध और मेहनत के बाद इसे तैयार किया है।'

ऐप कश्मीर में दैनिक जीवन से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित करता है और साथ ही यह स्कूली बच्चों के सवालों को भी उठाता है। इसके साथ ही इसमें संगीतमय कार्यक्रम भी शामिल हैं।

ऐप के लिए सामग्री जुटाने के लिए उमर ने अपने 10 दोस्तों की मदद ली है, जिनमें छात्र और स्थानीय पत्रकार शामिल हैं। वे रेडियो के लिए बिना किसी शुल्क के काम करते हैं। उमर एक पत्रकार बनना चाहता है और उसे उम्मीद है कि उसका यह उपक्रम इसमें उसकी मदद करेगा।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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