प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार के पशु वध बिक्री के लिए जारी नोटिफिकेशन पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. एक्टिविस्ट गौरी मुलेखी और कुछ अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उस आदेश में संशोधन की मांग की है, जिस नोटिफिकेशन पर मदुराई बेंच से आदेश पर देश भर में रोक लगा दी गई थी. याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशन के नियम में से लाइवस्टॉक मार्केट के नियम पर रोक लगाई थी, जबकि एनिमल केयर नियमों पर कुछ नहीं हुआ. ऐसे में एनिमल केयर नियमों पर भी रोक लगनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट 21 जुलाई को मामले सुनवाई करेगा.
11 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा पशुओं को वध के लिए बेचने ओर खरीदने पर रोक को लेकर जारी अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब तक केंद्र सरकार इस अधिसूचना के नियमों में बदलाव कर रिनोटिफाई नहीं करता, रोक बनी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार जब दोबारा अधिसूचना जारी करे तो लोगों को पर्याप्त वक्त दिया जाना चाहिए.
वहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि इन नियमों को लेकर राज्य सरकारों से कई सुझाव और आपत्ति जताई है, जिन पर विचार किया जा रहा है. केंद्र सरकार फिलहाल नियमों को लागू नहीं कर रही है और इनमें बदलाव करने में करीब तीन महीने का वक्त लगेगा. इसके बाद केंद्र सरकार नियमों में बदलाव कर दोबारा नोटिफिकेशन जारी करेगी.
गौरतलब है कि हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि केंद्र का नोटिफिकेशन 'भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक' है, क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है. याचिकाकर्ता मोहम्मद फहीम कुरैशी ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 को भी चुनौती दी है. पेशे से वकील फहीम कुरैशी ने दलील दी है कि पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 तथा पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक है.
याचिकाकर्ता ने 23 मई को जारी दोनों अधिसूचनाओं के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है. फहीम कुरैशी ने उस नियम पर सवाल उठाया है, जिसमें कम उम्र के मवेशियों को तब तक बाजार में नहीं बेचा जा सकता, जब तक कि खरीदार एक हलफनामा भरे, जिसमें वह बताए कि वह एक किसान है, मवेशी का केवल कृषि उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होगा और उसे छह महीनों तक नहीं बेचा जाएगा.
11 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा पशुओं को वध के लिए बेचने ओर खरीदने पर रोक को लेकर जारी अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब तक केंद्र सरकार इस अधिसूचना के नियमों में बदलाव कर रिनोटिफाई नहीं करता, रोक बनी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार जब दोबारा अधिसूचना जारी करे तो लोगों को पर्याप्त वक्त दिया जाना चाहिए.
वहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि इन नियमों को लेकर राज्य सरकारों से कई सुझाव और आपत्ति जताई है, जिन पर विचार किया जा रहा है. केंद्र सरकार फिलहाल नियमों को लागू नहीं कर रही है और इनमें बदलाव करने में करीब तीन महीने का वक्त लगेगा. इसके बाद केंद्र सरकार नियमों में बदलाव कर दोबारा नोटिफिकेशन जारी करेगी.
गौरतलब है कि हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि केंद्र का नोटिफिकेशन 'भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक' है, क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है. याचिकाकर्ता मोहम्मद फहीम कुरैशी ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 को भी चुनौती दी है. पेशे से वकील फहीम कुरैशी ने दलील दी है कि पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 तथा पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक है.
याचिकाकर्ता ने 23 मई को जारी दोनों अधिसूचनाओं के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है. फहीम कुरैशी ने उस नियम पर सवाल उठाया है, जिसमें कम उम्र के मवेशियों को तब तक बाजार में नहीं बेचा जा सकता, जब तक कि खरीदार एक हलफनामा भरे, जिसमें वह बताए कि वह एक किसान है, मवेशी का केवल कृषि उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होगा और उसे छह महीनों तक नहीं बेचा जाएगा.
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