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This Article is From Sep 10, 2020

वर्तमान और पूर्व विधायक व सांसदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

वर्तमान और पूर्व विधायक व सांसदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को स्पेशल कोर्ट में जल्द निपटाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

वर्तमान और पूर्व विधायक व सांसदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

वर्तमान और पूर्व विधायक व सांसदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को स्पेशल कोर्ट में जल्द निपटाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दागी विधायकों/ सासंदों को जीवनभर चुनाव लड़ने से रोकने की अर्जी पर केंद्र सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह चौंकाने वाली बात है कि सांसदों, विधायकों के‌ खिलाफ देश में 4000 से भी ज्यादा मामले लंबित हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोमवार को इस मामले में अदालत सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि गंभीर अपराध के मामलों में किसी तरह का संरक्षण सांसदों और विधायकों को नहीं मिलना चाहिए. साथ ही संसद या विधानसभा को सुप्रीम कोर्ट कि संविधान पीठ के फैसले के आधार पर दागी सांसद या विधायकों को चार्जशीट के बाद प्रतिबंधित कर देना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब हमारे पास आंकड़े आ गए हैं. अब यह देखने कि जरूरत है कि कितनी विशेष अदालतों कि जरूरत इस व्यवस्था के लिए है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा इन अदालतों में नियुक्ति समेत अन्य व्यवस्था कि जिम्मेदारी हाईकोर्ट निभाएगा. एमाइकस क्यूरी  विजय हंसारिया ने कहा कि अदालतों का गठन समस्या नहीं है, समस्या ट्रायल तेजी से और निर्धारित समय में निपटने की है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियोग चलाने वालों के लिए भी इस संबंध में निर्देश देने कि जरूरत है, ताकि उनकी वजह से मामला नहीं चले. विजय हंसारिया ने सुझाव दिया कि सांसदों/विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों में स्थगन विशेष परिस्थितियों से अलग नहीं दिया जाए.

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हाईकोर्ट निचली अदालतों के इसके प्रावधान तय करे,साथ ही गवाहों कि सुरक्षा के लिए व्यवस्था की जाए. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए गवाह संरक्षण के फैसले को तत्काल सभी राज्यों में लागू किया जाए. जस्टिस एनवी  रमना ने पूछा कि सबसे पुराना लंबित मामला कौन सा है. एमाइकस ने बताया कि सबसे पुराना मामला 1983 में पंजाब का हैय 

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के वकील पर नाराजगी से कहा कि इतने लंबे समय से मामला क्यों लंबित है,1983 से मामला लंबित है और आप लोगों को पता नहीं, आखिर कौन इसके लिए जिम्मेदार होगा ? पंजाब सरकार के वकील ने कहा जानकारी हासिल करके और एक रिपोर्ट दाखिल करुंगा. 

SC ने कहा कि अभियोग चलाने वालों की नाकामी है कि मामले इतने समय तक लंबित हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि वर्तमान और पूर्व विधायक व सांसदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले संख्या 4442 हैं. मौजूदा विधायकों व सांसदों में से 2556 आरोपी हैं.

एमिकस क्यूरी ने अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर रिपोर्ट दाखिल की है जिसमें पूर्व सांसदों और विधायकों  के खिलाफ आपराधिक मामलों का तेजी से निपटान करने की मांग की गई है.  इसके  तहत देश भर के उच्च न्यायालयों को पूर्व और वर्तमान विधायकों व सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों की एक सूची  देने का निर्देश दिया गया था.

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रिपोर्ट में एमिकस ने कहा है कि सांसदों/ विधायकों ( वर्तमान और पूर्व) के खिलाफ विभिन्न अदालतों में कुल 4442 मामले लंबित हैं जिनमें सांसद और विधायकों के लिए विशेष अदालत भी शामिल हैं. हाईकोर्ट में लंबित 2556 मामलों में वर्तमान आरोपी व्यक्ति वर्तमान विधायक व सांसद हैं.यूपी इस सूची में सबसे ऊपर है.

उत्तर प्रदेश में 1217 मामले लंबित हैं, जिनमें से 446 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद आरोपी हैं.  वर्तमान विधायक/ सासंदों  में से 35 और पूर्व विधायक/ सासंद में से 81 पर जघन्य अपराधों का आरोप है, जिसमें आजीवन कारावास की सजा है. उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए स्टे के कारण 85 मामलों में ट्रायल रुक गया है.

वर्तमान मामले में जारी निर्देशों के संदर्भ में इलाहाबाद में एक विशेष अदालत का गठन किया गया था.  विशेष अदालत 12 जिलों से संबंधित मामलों का ट्रायल कर रही है.  बिहार में 73 मामले हैं जो आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराध से संबंधित है, जिसमें से 30 मामले वर्तमान विधायक/ सासंदों  के खिलाफ और 43 पूर्व विधायक/ सासंदों  के खिलाफ हैं.

 महाराष्ट्र में, कुल 330 मामले लंबित हैं, जिनमें से 222 में वर्तमान विधायक/ सासंद आरोपी हैं, 31 मामले आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराध से संबंधित हैं, जिसमें से 17 मामले वर्तमान विधायक/ सासंदों  के खिलाफ और 14 पूर्व  विधायक/ सासंदों  के खिलाफ हैं.

उड़ीसा में, 331 मामले हैं, जिनमें से 220 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद  आरोपी हैं, जिनमें से 32 मामले आजीवन कारावास और 10 विधायकों के खिलाफ सज़ा और पूर्व विधायकों के खिलाफ 22 मामले हैं. मध्य प्रदेश में 184 मामले हैं, जिनमें से 125 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद  आरोपी हैं, 31 मामले ऐसे हैं जो आजीवन कारावास से दंडनीय हैं, जिनमें से 12 मामले वर्तमान विधायक/ सासंदों  के खिलाफ और 19 पूर्व वर्तमान विधायक/ सासंदों  के खिलाफ हैं.

आंध्र प्रदेश में, 106 मामले हैं और सभी एक विशेष अदालत, विजयवाड़ा के समक्ष लंबित हैं. 85 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद हैं. पश्चिम बंगाल में, कुल 131 मामले लंबित हैं, जिनमें से 101 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद आरोपी हैं. कर्नाटक में 53 मामले आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराधों से संबंधित हैं, जिनमें से 27 मामले वर्तमान विधायक/ सासंदों के खिलाफ और 26 पूर्व वर्तमान विधायक/ सासंदों के खिलाफ हैं.

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 केरल में, 333 मामले हैं, जिनमें से 310 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद  आरोपी हैं. असम में, 35 मामले लंबित हैं, जिनमें से 25 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद   आरोपी हैं, जिनमें से 12 मामले आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराध से संबंधित हैं, जिनमें से 8 मामले वर्तमान विधायक/ सासंद  के खिलाफ हैं.

दिल्ली में, सत्र अदालत (25) और मजिस्ट्रियल स्तर (62) में से प्रत्येक में दो विशेष न्यायालयों के समक्ष 87 मामले लंबित हैं. इन मामलों में 118 विधायक (87 वर्तमान विधायक/ सासंद और 31 पूर्व वर्तमान विधायक/ सासंद )  आरोपी हैं. पंजाब में, 35 मामले हैं, जिनमें से 21 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद शामिल हैं. झारखंड में 142 मामले हैं, जिनमें से 86 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद  आरोपी हैं.

तेलंगाना में, 118 मामले हैं और 107 वर्तमान विधायक/ सासंद आरोपी हैं. हैदराबाद में एक विशेष अदालत के समक्ष ये सभी मामले लंबित हैं. राजस्थान में, 49 मामले लंबित हैं, जिनमें से 17 वर्तमान विधायक/ सासंद  आरोपी हैं. 4 मामले ऐसे हैं जो आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराधों से संबंधित हैं, और ये सभी पूर्व वर्तमान विधायक/ सासंदों पर हैं.

छत्तीसगढ़ में, 21 मामले लंबित हैं, जिनमें से 13 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद  आरोपी हैं. उत्तराखंड में, 20 मामले हैं और 16 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद अभियुक्त हैं. गोवा में, कुल 12 मामले हैं, जिनमें से 10 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद  आरोपी हैं.

मणिपुर में, 15 मामले हैं जिनमें से 10 मामलों में वर्तमान विधायक/ सांसद आरोपी हैं. मिजोरम में, तीन वर्तमान विधायक/ सासंद  के खिलाफ 4 मामले हैं, जिनमें से दो उम्रकैद और दो अन्य 10 साल की कैद के साथ दंडनीय हैं.

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