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This Article is From Oct 30, 2020

बदहाल है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में स्वास्थ्य व्यवस्था

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(Nitish Kumar) के गृह जिला नालंदा में कहने को जिला अस्पताल और चमकदार मेडिकल कॉलेज मौजूद है. लेकिन डॉक्टर और टेक्नीशियन की कमी के चलते जिला अस्पताल में वेंटीलेटर, ICU बेड और अल्ट्रा साउंड की मशीने धूल फांक रही हैं.

बदहाल है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में स्वास्थ्य व्यवस्था
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
नालंदा:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(Nitish Kumar) के गृह जिला नालंदा में कहने को जिला अस्पताल और चमकदार मेडिकल कॉलेज मौजूद है. लेकिन डॉक्टर और टेक्नीशियन की कमी के चलते जिला अस्पताल में वेंटीलेटर, ICU बेड और अल्ट्रा साउंड की मशीने धूल फांक रही हैं तो वहीं मेडिकल कॉलेज में हार्ट और कैंसर जैसी बीमारियों के कोई डॉक्टर तक नहीं है. हैरानी की बात ये है कि मेडिकल कॉलेज MCI की गाइड लाइन तक को पूरा नहीॉ कर पा रहा है.

राजधानी पटना से करीब अस्सी किमी दूर नालंदा के जिला अस्पताल में औसतन पांच सौ मरीज आते हैं..लेकिन अगर किसी गरीब को हार्ट अटैक हो जाए तो उसको इलाज पटना में ही मिल सकता है. अस्पताल में ICU के करोड़ों रुपए के 15 बेड धूल फांक रहे हैं. यहीं से कुछ दूरी पर अस्पताल के लिए सालभर पहले वेंटीवेटर भी आया लेकिन डॉक्टर और टेक्नीशियन की कमी के चलते वो भी स्टोर में बंद पड़ा है.

पूरे अस्पताल में 28 दिन तक के बच्चों का केयर सेंटर बढ़िया से चल रहा है. CT स्कैन और एक्सरे मशीन PPP मॉडल पर हैं इस कारण यह बेहतर काम कर रहा है.नालंदा जिला अस्पताल के DS उदय कुमार सिंह के अनुसार टेक्नीशियन और डाक्टरों की कमी से वेंटीलेटर और ICU नहीं चल रहा है कई बार सरकार को अवगत कराया जा चुका है लेकिन अबतक उपलब्ध नहीं करवाया गया है. 

-सदर अस्पताल से करीब 15 km दूर पावापुरी के मेडीकल कॉलेज है. 2015 में साढ़े पांच सौ करोड़ की लागत से ये शानदार बिल्डिंग खड़ी हो गई..यहां वेटीलेटर और ICU मौजूद है लेकिन ECG और अल्ट्रासाउंड टेस्ट अभी भी बाहर करवाना होता है. हालत ये है कि अगर किसी  को हार्ट अटैक हो तो पूरे जिले में एक भी सरकारी हार्ट स्पेशलिस्ट नहीं है..इस मेडीकल कॉलेज में MBBS की पढ़ाई तो हो रही है लेकिन MCI की मान्यता अटकी हुई है. डॉक्टरों की कमी के चलते मरीज यहां आने के बजाए पटना जाने में ज्यादा भरोसा रखते हैं और करोड़ों की लागत से बने मेडीकल कॉलेज बस नाम मात्र का रह गया है. वहीं वर्धमान मेडिकल कॉलेज के प्रमुख डॉक्टर पवन कुमार चौधरी का कहना है कि  दो हजार से ज्यादा मरीज आते है इसी लिए अल्ट्रासाउंड में देरी होती है.

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